नरेंद्र शर्मा.सीकर. यदि सबकुछ ठीक रहा, तो आने वाले कुछ सालों में नीमकाथाना वन क्षेत्र पैंथर की दहाड़ से गूंजेगा। हालांकि यह इतना आसान तो नहीं है, लेकिन ‘सरकारी प्रयास’ उच्चस्तर के हो, तो बहुत जल्द ही नीमकाथाना-पाटन वन क्षेत्र में पैंथर रिजर्व विकसित किया जा सकेगा। इसके लिए सर्वे का कार्य हो चुका है। रिपोर्ट सरकार तक पहुंच भी गई है, जरूरत रिपोर्ट पर अमल करने की है। करीब 32 हजार हैक्टेयर में फैले इस वन क्षेत्र में पैंथर रिजर्व के लिए पिछले 10 साल से आवाज उठाई जा रही है। पिछली भाजपा सरकार में इसके लिए प्रस्ताव भी बनाया गया था और इस क्षेत्र को सरिस्का की तर्ज पर पैंथर रिजर्व के लिए विकसित किए जाने की योजना को कागजों में उतारा भी गया। पैंथर रिजर्व के लिए सर्वे तक तो मामला पहुंच गया, लेकिन इसके आगे की कार्ययोजना पर अभी विराम लगा है। सिमटता वन क्षेत्र और अपर्याप्त पानी के बावजूद नीमकाथाना-पाटन वन क्षेत्र में आधा दर्जन से ज्यादा पैंथर और उनके शावकों का विचरण काफी समय से बना हुआ है। पैंथर रिजर्व की परिकल्पना यदि साकार रूप लेती है, तो इनका कुनबा काफी बढ़ सकता है। नीमकाथाना में 18435.70 हैक्टेयर व पाटन में 13268 हैक्टेयर में वन क्षेत्र फैला है। पैंथर रिजर्व के लिए आवश्यक जगह तथा प्राकृतिक वातावरण इस क्षेत्र में है। वन्य जीवों को यहां का वातावरण रास भी आ रहा है। इसी का नतीजा है कि पैंथर के अलावा इस वन क्षेत्र में अन्य प्रजाति के दुर्लभ वन्यजीव मौजूद हैं। पिछली वन्यजीव गणना रिपोर्ट के अनुसार इस वन क्षेत्र में जरख (हायना), सियार/गीदड़, जंगली बिल्ली, मरुबिल्ली, लोमड़ी, भेडिय़ा, बिज्जू, सेही सहित अन्य प्रजाति के जीव मौजूद हैं।
अब रुख आबादी की ओरसिमटते वन क्षेत्र के कारण यहां विचरने वाले वन्यजीवों का रुख अब आबादी की ओर हो गया है। पिछले कुछ समय से पैंथर चला, गणेश्वर, गावड़ी में आबादी क्षेत्र तक पहुंच गए। यहां लोगों के बाड़ों में बंद मवेशियों को अपना शिकार बना चुके हैं। इतना ही नहीं, अभी पिछले दिनों नीमकाथाना के पास पैंथर ने एक व्यक्ति पर भी हमला कर दिया। आबादी क्षेत्र में मवेशियों को शिकार बनाने से पशुपालकों के साथ इनके टकराव की स्थिति भी बनी रहती है। कुछ समय पहले अजीतगढ़ क्षेत्र में आबादी में घुसे एक पैंथर को ग्रामीणों ने मार डाला था।
70 गांव-ढाणियों के 30 हजार लोगों को मिल सकता है रोजगारपैंथर रिजर्व के अस्तित्व में आने के बाद क्षेत्र के आसपास के 70 गांव ढाणियों के हजारों लोगों को रोजगार भी मुहैया हो सकेगा। एक तरफ जहां होटल इंडस्ट्री यहां निवेश के लिए तैयार है, तो दूसरी तरफ ट्रेवल्स के लिए भी बड़ी कंपनियों ने रूचि दिखाई है। इससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
खनन और जंगल माफिया की घुसपैठजिले के वन क्षेत्रों के समीप अवैध खनन गतिविधियां और वन कटाई ने भी पैंथरों के प्राकृतिक आवास को बुरी तरह प्रभावित किया है। यहां खनन माफिया की घुसपैठ के सामने सरकार के प्रयास बौने साबित होने से समस्या बढ़ती जा रही है। हरे पेड़ों के साथ औषधीय पौधे भी जंगल माफिया की भेंट चढ़ते जा रहे हैं। ब्लास्ंिटग और वन कटाई के चलते वन्यजीव अपना आवास छोडऩे को मजबूर हो रहे हैं।
—-पत्रिका व्यू वन्यजीवों की जान बचा सकता है पैंथर रिजर्व नीमकाथाना उपखंड जिले का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है। नीमकाथाना उपखंड में जिले का लगभग 50 फीसदी से अधिक वन क्षेत्र है। इस वन क्षेत्र को पैंथर रिजर्व बनाया जाए, तो वन्यजीवों की जान बच सकती है। वहीं वन विभाग का राजस्व बढऩे के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। बेरोजगारों को रोजगार भी मिल सकता है।
- Advertisement -
- Advertisement -
- Advertisement -