सीकर. कोरोना काल में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी जान की परवाह किए बगैर समाज की सेवा में पूरी शिद्दत से लगे हैं। सेवानिवृत्त फौजी और फिलहाल रोडवेज में एटीआई पद पर कायर्रत पुरां बड़ी के 45 बीरमाराम ने कोरोना मरीजों को ले जाने के लिए एम्बुलेंस चालकों की मनमर्जी और मरीज के परिजनों की पीड़ा देखी तो बीरमाराम परिचित से ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर आए और अपनी लग्जरी गाडी को एम्बुलेंस में बदल दिया। और रोजाना कोरोना संक्रमण से जीवन की लड़ाई लड़ रहे 5 से 7 मरीजों को प्रतिदिन अस्पताल पहुंचा रहे हैं।चादर और सेनेटाइजर से सुरक्षाकोरोना संक्रमण के दौरान एक ओर जहां लोग मरीज के पास जाने से भी कतरा रहे हैं वहीं बीरमाराम संक्रमण की परवाह किए बगैर एम्बुलेंस चलाकर मरीज के साथ जाते हैं जिसमें वे खुद की पेंशन की राशि पेट्रोल भरवाते हैं। कई बार मरीज के परिजन एम्बुलेंस में पेट्रोल डलवा देते हैं। मरीज को ले जाने के दौरान वे केवल मास्क व सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेसिंग की पालना करते हैं। इसके अलावा वे गाड़ी में मरीज के लेटने और खुद के बीच एक चादर लगा लेते है। अब तक बीरमाराम सीकर से कुचामन और जोधपुर तक मरीजों को लेकर जा चुके है। उनका कहना है कि साधन विहीन और गरीब लोगों की मदद करने में खासा सुकून मिलता है।एम्बुलेंस चालकों की मनमर्जी से हुए आहतबकौल बीरमाराम सांवली कोविड अस्पताल में कोरोना से रिकवर होने के बाद भाभी को पुरां बड़ी के लिए ले जाने लगे तो एम्बुलेंस चालकों ने महज दस किलोमीटर की दूरी के लिए 1500 रुपए मांगे। इससे आहत होकर वे घर पहुंचे और खुद की इरटिगा गाड़ी की पीछे की सीट हटाकर मरीज के लेटने के लिए जगह बना ली और मरीजों के साथ हो रही इस मनमर्जी की वसूली को देखते हुए एम्बुलेंस की निशुल्क सेवाएं देनी शुरू कर दी। परिचित से ऑक्सीजन का सिलेंडर लिया, बाजार से ऑक्सीजन मास्क खरीदा और गंभीर मरीजों के लिए पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर रख लिया ताकि अस्पताल तक ले जाने में सांस न उखड़ जाए।
- Advertisement -