सीकर/पलसाना. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर देशभर में चल रहे लॉकडाउन के चलते व्यापार और उद्योग धंधों में आई गिरावट के बाद अब लोगों के सामने रोजगार का संकट भी पैदा हो गया है। दूसरे राज्यों में जाकर काम करने वाले लोगों के सामने अब रोजगार की समस्या खड़ी हो गई है। साथ ही उनको कोरोना का डर भी सता रहा है। ऐसे में दूसरे राज्यों से लौटकर घर आए प्रवासी अब आजीविका के लिए परम्परागत व्यवसायों से जुडऩे लगे है। ऐसे ही दो भाई हैं गोवटी निवासी राजेन्द्र कुमार व सुभाष कुमावत। जिन्होंने गांव आकर आत्मनिर्भर बनने की ठान ली है। जिसके चलते वह अपने पुराने व्यवसाय खेती से जुड़ गए हैं। उन्होंने बताया कि वो पिछले करीब पन्द्रह साल से महाराष्ट्र में रहकर मार्बल का काम कर रहे थे। लेकिन कोरोना के कहर व लॉकडाउन के बीच उनका काम धंधा बिल्कुल बंद हो गया। ऐसे में करीब डेढ़ महीने तक बेरोजगार रहने के बाद वह घर लौट आए। सामने रोजगार को ओर कोई रास्ता नहीं दिखा तो उन्होंने फिर से खेती की ओर लौटना ही तय कर लिया।
15 दिन का आइसोलेशन पूरा कर जुटे काम में
दोनों भाईयों ने बताया कि एक ओर तो काम शुरू नही हो रहे वहीं कोरोना को लेकर डर भी सता रहा है। ऐसे में ज्यादातर प्रवासी लौट आए हैं। कोरोना के डर में अब लोग फिर से बाहर नहीं जाना चाहते। ऐसे में जब वह भी महाराष्ट्र से वापस लौटे तो उन्होंने भी पहले तो 15 दिन का होम क्वारेंटाइन पूरा किया। फिर मिलकर अपना खेती का पुराना काम ही शुरू करना तय कर लिया। अब दोनों भाई मिलकर खेत में गोबर की खाद आदि डालकर खेत को तैयार कर रहे है। बरसात होने के बाद खेत की बीजाई कर खेत में ही काम कर परिवार की जरूररतें पूरी करेंगे। इन्हें देखकर गंाव में पहुंचे ओर भी प्रवासियों को परिवार के साथ रहकर आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिल रही है। ज्यादातर लोग खेती व अन्य परंपरागत व्यवसाय से जुडऩे लगे हैं।
प्रवासी भाईयों ने होम क्वारेंटाइन पूरा करते ही पकड़ा खेती का पुराना काम, मिलकर आत्मनिर्भर बनने की ठानी
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