सीकर. ऑपरेशन रक्षक में घायल सैनिक के आश्रित को नियुक्ति नहीं देने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर 1 लाख रुपए का हर्जाना और 1 महीने में आश्रित को नियुक्ति देने के आदेश जारी किए है। साथ ही कोर्ट ने मुख्य सचिव को अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को रद्द करने वाले झुंझुनूं कलक्टर पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। कोर्ट ने मामले में कार्मिक सचिव की कार्यप्रणाली पर भी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कार्मिक विभाग के परिपत्र के तहत युद्ध में घायल सैनिक के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति का हकदार माना है। मंदरूप सिंह की याचिका में एडवोकेट धर्मपाल सिंह ढ़ाका ने पैरवी पर न्यायाधीश एसपी शर्मा ने आदेश दिए है।
गौरतलब है कि ऑपरेशन रक्षक में भूतपूर्व सैनिक हवलदार मंदरूप सिंह ग्रेनेड की चपेट में आने से घायल हो गए थे। सेना के मेडिकल बोर्ड ने उन्हें 50 फीसदी दिव्यांग घोषित भी कर दिया था। उसके बाद जून 2003 में हवलदार मंदरूप सेवा से अलग हो गए थे। जानकारी के अनुसार आर्मी मेडिकल बोर्ड की ओर से 50 फीसदी दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी करने के बावजुद झुंझुनूं कलक्टर ने सिविल अस्पताल से दोबारा मेडिकल कराने को कहा। वही, एसएमएस अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने भी परीक्षण करने के बाद 50 फीसदी से कम दिव्यांगता का प्रमाण पत्र जारी कर दिया था। इसके कारण दिव्यांग भूतपूर्व सैनिक के आश्रित जसवीर अहलावत को अनुकंपा नौकरी के लिए 7 साल इंतजार करना पड़ा।
कलक्टर ने किया आवेदन खारिज
एसएमएस अस्पताल मेडिकल बोर्ड के 50 फीसदी दिव्यांग मानने से इंकार करने पर झुंझुनूं कलक्टर ने 30 अप्रेल 2012 को अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को खारिज कर दिया था। याचिका के जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि भले ही सेना के मेडिकल बोर्ड ने याचिकाकर्ता को 50 फीसदी दिव्यांग माना हो, लेकिन एसएमएस मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र के अभाव में आश्रित को नियुक्ति नहीं दी गई।
दादा थे आजाद हिंद फौज मे
युद्ध विकलांग सैनिक मंदरूप सिंह पुत्र गुरदयालराम जाति जाट गांव मनोहरपुरा तहसील बुहाना जिला झुंझुनू राजस्थान के निवासी है। युद्ध विकलांग सैनिक के तीन संताने हैं। जसवीर सिंह पर्यावरण प्रेमी एवं समाजसेवी हैं। जसवीर अहलावत के दादा आजाद हिंद फौज मे थे।
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