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अब शेखावाटी के किसान ‘सफेद सोने’ के पीछे

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नरेंद्र शर्मा. सीकर. परम्परागत खेती के साथ ही अब शेखावाटी के किसान नकदी फसलों को भी तरजीह देने लगे हैं। इन्हीं में एक फसल है कपास की खेती। सफेद सोना के नाम से ख्यात यह खेती सोने जैसा ही फायदा देती है और यही कारण है कि पूर्वांचल के बाद अब शेखावाटी में भी किसान सफेद सोना निपजा रहे हैं। प्राकृतिक रेशा प्रदान करने वाली कपास देश की महत्वपूर्ण रेशेवाली नकदी फसल है। निरंतर बढ़ती खपत और विविध उपयोग के कारण कपास की फसल को सफेद सोने के नाम से भी जाना जाता है। एक बार बोया पौधा कम पानी में भी कई साल तक फसल देता है। खेती किसानी पर विभिन्न देशों में दर्जनों शोध पत्र पढ़ चुके शेखावाटी के प्रगतिशील किसान सुंडाराम वर्मा के अनुसार अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा शेखावाटी की जलवायु कपास के लिए ज्यादा अनुकुल है। साथ ही इस फसल में खासकर इस क्षेत्र में कोई रोग नहीं लगता, जितना बोया जाता है, उतना ही उत्पादन होता है। भाव भी अच्छे मिलते हैं। वर्मा के अनुसार कपास की खेती सिंचित और असिंचित क्षेत्र दोनों में की जा सकती है।
दांता, खूड़, नागौर में ज्यादा खेतीकपास की खेती शेखावाटी में ज्यादातर दांतारामगढ़, खूड, लोसल व नागौर से सटे इलाकों में हो रही है। खुद सुंडाराम वर्मा ने भी कपास की एक नई किस्म विकसित की है। जो कम पानी में ही तैयार हो गई। इस पर कोई रोग नहीं लगता। सुण्डाराम बताते है कि कपास के एक पौधे के पहली साल में पचास डोडे और दूसरी साल में सौ तथा तीसरी साल से प्रतिवर्ष करीब दो सौ डोडे आ जाते हैं।
कपास की फसल के लिए यह है जरूरीभूमि : कपास के लिए अच्छी जलधारण और जल निकास क्षमता वाली भूमि होनी चाहिए। जिन क्षेत्रों में वर्षा कम होती है, वहां इसकी खेती अधिक जल-धारण क्षमता वाली मटियार भूमि में की जाती है। जहां सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हों वहां बलुई एवं बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती की जा सकती है। यह हल्की अम्लीय एवं क्षारीय भूमि में उगाई जा सकती है। इसके लिए उपयुक्त पी एच मान 5.5 से 6.0 है। हालांकि इसकी खेती 8.5 पी एच मान तक वाली भूमि में भी की जा सकती है।तापमान : कपास की उत्तम फसल के लिए आदर्श जलवायु का होना आवश्यक है। फसल के उगने के लिए कम से कम 16 डिग्री और अंकुरण के लिए आदर्श तापमान 32 से 34 डिग्री सेंटीग्रेट होना उचित है। इसकी बढ़वार के लिए 21 से 27 डिग्री तापमान चाहिए। फलन लगते समय दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री तथा रातें ठंडी होनी चाहिए। कपास के लिए कम से कम 50 सेंटीमीटर वर्षा का होना आवश्यक है। 125 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा का होना हानिकारक होता है।खेत : कपास का खेत तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खेत पूर्णतया समतल हो ताकि मिट्टी की जलधारण एवं जलनिकास क्षमता दोनों अच्छे हों। यदि खेतों में खरपतवारों की ज्यादा समस्या न हो तो बिना जुताई या न्यूनतम जुताई से भी कपास की खेती की जा सकती है।
अभी शेखावाटी में करीब 200 किसान कपास की खेती कर रहे हैं। सरकारी अनुदान की व्यवस्था हो तो और अधिक किसान इससे जुड़ सकते हैं। अभी शेखावाटी के लिए यह नई फसल है इसलिए इसका क्षेत्र भी सीमित है। जलवायु अनुकुल होने के कारण आने वाले समय में इस क्षेत्र में काफी संभावना है।सुंडाराम वर्मा, प्रगतिशील किसान

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