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राजस्थान में शिक्षा का तैयार हुआ नया प्रोजेक्ट, जल्द शुरू होगा ‘पढऩा लिखना’

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सीकर .प्रदेश से निरक्षरता के कलंक को धोने के लिए अब सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। प्रदेश के 4.20 लाख से अधिक निरक्षरों को आखर ज्ञान से जोडऩे के लिए प्रदेश में केन्द्र सरकार के सहयोग से पढऩा-लिखना अभियान जल्द शुरू होगा। अगले सप्ताह तक सभी जिलों में कार्य शुरू होने की संभावना है। इसके तहत 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों को जोड़ा जाएगा। पहले केन्द्र व राज्य सरकार की सहभागिता से प्रदेशभर में वर्ष 2018 तक साक्षर भारत अभियान संचालित हो रहा था। लेकिन 31 मार्च 2018 को योजना बंद हो गई। इसके बाद से प्रदेश के निरक्षरों को नई योजना का इंतजार था। अब मानव संसाधन मंत्रालय ने राजस्थान सहित कई राज्यों को इस योजना को धरातल पर लाने के निर्देश दिए है। इसके बाद साक्षरता विभाग की ओर से प्रदेश के सभी जिला कलक्टरों को भी पत्र लिखा है। सूत्रों की मानें तो इसमें वर्ष 2011 की जगणना के आधार पर जारी आंकड़ों के आधार पर निरक्षरों को शामिल किया है। पढऩा-लिखना अभियान के तहत पहले से कार्यरत प्रेरकों को लेकर अभी तक राज्य में कोई फैसला नहीं हो सका है। यदि सरकार प्रेरकों की सेवा पर ब्रेक लगाती है तो सरकारी स्कूलों के पीईईओ, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता व विद्यार्थियों की मदद से इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जाएगा।
कहां कितने निरक्षरसिरोही: 33300
करौली: 30300बारां:28600
नागौर: 28200जयपुर: 20000
अलवर: 19300जालौर: 19200
पाली: 19000धौलपुर: 16500
उदयपुर: 15000टोंक: 15000
जैसलमेर: 14400जोधपुर: 12700
बांसवाडा: 12600चित्तौडगढ़: 12300
बीकानेर: 12000बूंदी: 9900
बाड़मेर: 9000अजमेर: 8000
कोटा: 7900डूंगरपुर: 7300
श्रीगंगानगर: 7200हनुमानगढ़: 6600
झालावाड़: 6300सीकर: 6300
प्रतापगढ़: 6300भीलवाडा: 6300
राजसमंद: 6000चूरू: 5900
झुंझुनूं: 5800भतरपुर: 4500
सवाईमाधोपुर: 4100दौसा: 4000
इस निरक्षरों पर एक स्वंयसेवक लगाने की तैयारी
पढऩा-लिखना अभियान के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर दस निरक्षरों को साक्षर करने का जिम्मा एक स्वयंसेवक को दिया जाएगा। इन स्वयंसेवकों को कोई मानदेय नहीं दिया जाएगा। साक्षरता विभाग की ओर से स्वंयसेवकों को सिर्फ पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। स्वयंसेवकों का चयन राजकीय स्कूलों के पीईईओ की ओर से किया जाएगा।
कई बार बदल चुकी है योजना, नहीं दूर हो रहा कलंकदेशभर में साक्षरता के ग्राफ को बढ़ाने के लिए अब तक पांच योजना बन चुकी है। हर पांच-सात साल में योजना का नाम बदलकर नए सिरे से योजना लागू कर दी जाती है। लेकिन अभी तक सम्पूर्ण साक्षर का सपना अधूरा है। एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार को हर बार योजना बदलने के बजाय ग्राम पंचायत स्तर पर स्वंयसेवकों को जोडऩा चाहिए। लगभग 12 साल पहले यह कवायद भी हुई थी। लेकिन फिर से अचानक योजना बदल दी गई।
इधर, वर्षो से स्थायी नौकरी की आस में प्रेरकसाक्षरता विभाग में लंबे समय पर संविदा पर कार्यरत प्रेरकों को वर्ष 2018 में प्रोजेक्ट बंद होने का तर्क देते हुए हटा दिया गया। जबकि कई बार भाजपा व कांग्रेस संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का भी वादा कर चुकी है। प्रेरकों का कहना है कि वर्षो तक विभाग में सेवाए देने के बाद भी पुराने मानदेय की राशि नहीं दी गई है। जिले में सैकड़ों प्रेरक ऐसे है जो विभाग की सेवा में स्थायी होने की आस में शिक्षक व अन्य भर्तियों में भी शामिल नहीं हो सके।
शेखावाटी में कम निरक्षरशेखावाटी में अन्य जिलों के मुकाबले निरक्षरों की संख्या कम है। साक्षरता विभाग की ओर से जारी सूची के अनुसार चूरू जिले मे 5900, झुंझुनूं जिले में 5800 व सीकर जिले में 6300 निरक्षर है। खास बात यह है कि साक्षर भारत अभियान के तहत हुई परीक्षाओं में भी सीकर जिला सबसे आगे रहा था। फिलहाल प्रदेश के सभी जिलों में साक्षर भारत योजना लगभग बंद है। ऐसे में नए सिरे से स्टाफ की प्रतिनियुक्ति करनी होगी।

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