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नायाब नजीर: पांच साल से रात को जागकर अकेले मोहल्ले की सफाई कर रहे हैं अब्दुल, 9 बजते ही उठा लेते हैं झाड़ू

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सीकर. कहते हैं व्यक्ति हो उसके धर्म से नहीं बल्कि उसके कर्म से जाना जाता है। और ऐसा कर्म जो स्वच्छता से संबंध रखता हो तो बात ही कुछ और है। घर के अंदर की सफाई तो हर व्यक्ति कर लेता है लेकिन बहुत कम लोग होते हैं जो झाड़ू लेकर सडक़ साफ करने निकल जाते हैं। ऐसे ही एक 60 वर्षीय शख्स हैं अब्दुल समद जो दिनभर सडक़ों पर बिखरे कचरे को रात में साफ करते हैं। जिला कलक्टर आवास के सामने वाली गली में सिर पे टोपी लगाए हाथों में झाड़ू लगाए सडक़ों की सफाई करते हुए अब्दुल समद नजर आ जाते हैं। रात नौ बजे से वो सफाई करने में जुट जाते हैं। अब्दुल समद निरक्षर हैं लेकिन वो जानते हैं सफाई क्यों जरूरी है। यदि मोहल्ले की सडक़े साफ रहेंगी तो आधी से ज्यादा बीमारी दूर रहेंगी।
सफाई का दे रहे संदेशशहर के वार्ड 34 के मोहल्ला मस्तान शाह के रहने वाले अब्दुल समद सफाई करने के लिए कोई वक्त नहीं देखते लेकिन वे अक्सर रात में ही सडक़ों की सफाई करते हैं। सफाई पसंद अब्दुल बताते हैं कि उनके बच्चे उन्हें इस तरह रात को घर से निकलने से मना करते हैं लेकिन वो अपने मोहल्ले की सफाई किए बिना नहीं रहते हैं। अब्दुल पूरे मोहल्ले के रास्तों व मुख्य मार्गों की सफाई कर रहे होते हैं। वे ये कार्य बिना किसी आर्थिक या अन्य किसी तरह के फायदे के करते हैं। उन्होंने पिछले पांच साल से इसे दिनचर्या का हिस्सा बना रखा है। वे इस काम को करीब सात आठ साल से बदस्तूर करते आ रहे हैं। यहां तक कि कई बार उनको सफाई करते समय पांच छह घंटे भी लग जाते हैं, मगर पूरे मोहल्ले की सडक़ों व गलियों की सफाई करके ही दम लेते हैं।
कुरान से मिली प्रेरणाअब्दुल समद का कहना है कि उनको रास्तों में गंदगी देखकर बहुत बेचैनी होती है। इस काम को करने की प्रेरणा उनको कुरान से मिली। कुरान में सफाई को आधा इमान बताया गया है। बकौल अब्दुल समद अल्लाह सफाई को पसंद करता है और हमारे देश में भी स्वच्छता का महत्व दिया गया है। हर इनसान को अपनी व परिवार के साथ पूरे मआशरे( समाज) की सफाई के प्रति ध्यान देना चाहिए।
सफाई कार्य को बनाया दिनचर्याअब्दुल समद का सफाई के प्रति दिलचस्पी जुनून की हद तक है। सर्दी हो गरमी या फिर कोई और मौसम, वे सफाई करने से नहीं चूकतेे हैं। रात को डेढ़- दो बजे जब ट्रेफिक नहीं होता है तो झाड़ू लेकर निकल पड़ते हैं और रास्ते में पड़े कचरे को एकत्र करते हैं। उनका कहना है कि इस काम में उनको बेहद सुकून मिलता है।
नगर परिषद से शिकायतहालांकि अब्दुल समद ये सार्वजनिक सफाई कार्य बिना निशुल्क और बिना किसी लालच के करते हैं, फिर भी उनको नगर परिषद या जिला प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की हौंसला अफजाई नहीं मिलने का मलाल है। उनका वार्ड नगर परिषद सभापति जीवण खां का गृह वार्ड है और जिला कलक्टर आवास के ठीक सामने हैं। इसके बाद भी किसी की नजर नहीं पड़ी या किसी ने देखने की जहमत नहीं कि ये सडक़े साफ कैसे रहती हैं। इतना ही नहीं उन्हें नगर परिषद से शिकायत भी है कि जब वह सडक़ों की सफाई करके कचरे को किनारे पर लगा देते हैं तब भी नगर परिषद का अमला इस कचरे को नहीं उठाता है। दो-दो दिन तक कचरा सडक़ के किनारे ही लगा रहता है। उनका कहना है कि अगर उनके काम को प्रोत्साहन मिले तो हो सकता है और लोग भी इससे सबक लें और साफ-सफाई के प्रति जागरूक हों।

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