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विकास के नाम पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर संस्कृति,सभ्यता और धरोहरों से खिलवाड़ कर रही है मोदी सरकार. | Aajkal Rajasthan ga('create', "UA-121947415-2", { 'cookieDomain': 'aajkalrajasthan.com','allowLinker': true } ); ga('linker:autoLink', ['aajkalrajasthan.com/amp']);

विकास के नाम पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर संस्कृति,सभ्यता और धरोहरों से खिलवाड़ कर रही है मोदी सरकार.

हिंदुस्तान की संस्कृति सभ्यता की बात करके जनता के बीच अपनी पैठ बनाकर, चुनाव लड़ने वाली भाजपा, लगातार हिंदुस्तान की सांस्कृतिक धरोहरों को मिटाती जा रही है. बनारस से लेकर पूरे हिंदुस्तान में भाजपा की यह नीति लगातार है सामने आ रही है.

ऐसा ही मामला सागर जिले में देखने को मिला है, 400 एकड़ में एकड़ में फैली लाखा बंजारा झील ( जो किसी साढ़े तेरह सौ ) सागर की ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे लाखा नाम के एक बंजारे ने अपना बलिदान देकर एक तालाब को अपनी मेहनत से मध्य प्रदेश के सागर में बनाया था.इसे झील कहले या तालाब इसका पानी यहां के रहवासी पीने और खाना बनाने तक में इस्तेमाल करते थे, लेकिन आज यह तालाब पूरी तरीके से गंदगी और कीचड़ से लबालब भरा हुआ है.

मध्य प्रदेश के सागर जिले को भारत के 100 स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में नामांकित किया गया है. इसके बावजूद यह तालाब शहर के मध्य में होते हुए भी स्वच्छ नहीं है और इसकी हालत भाजपा नहीं बदल पाई है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत आने के कारण इस शहर के विकास की, स्वच्छता की और धरोहरों को संवारने की, उन्हें संजोए रखने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, लेकिन केंद्र सरकार इसमें पूरी तरीके से नाकाम हो चुकी है.

शहर के कुछ नागरिकों ने युवाओं ने आगे बढ़कर इस धरोहर को संवारने की जिम्मेदारी उठाई और इसे स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया, लेकिन जब इसकी सफाई का समय स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत आया तो, इसको मैनुअली सफाई करा कर इसमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिसके विरोध में इस शहर का आम जनमानस सत्याग्रह पर बैठ रहा है. सारी दलगत बातों को दरकिनार करते हुए क्षेत्रीय युवा एक साथ आए हैं और सत्याग्रह के रास्ते से यह मांग कर रहे हैं, कि इस तालाब की सफाई मैनुअली ना होकर मशीन द्वारा कराई जाए.

सत्याग्रह आरम्भ करने वाले प्रमुख नाम है : निखिल चौकसे, राहुल जैन उदयपुरा, कार्तिक रोहण और बीना से प्रशांत पाराशर, रोहित विश्वकर्मा, चंद्रकांत तिवारी और नरेंद्र विश्वकर्मा

मध्य प्रदेश इस समय बारिश की चपेट में है, सागर भी इससे अछूता नहीं है. शहर में लगातार हो रही बारिश के कारण तालाब के चारों तरफ जो बाउंड्री वॉल है, वह झील की तरफ झुकता जा रहा है. बाउंड्री वॉल का कुछ हिस्सा तो झील के पानी में समाधि तक ले चुका है.

अपने लोगों को टेंडर देने के नाम पर मैनुअली सफाई कराने के नाम पर लगातार भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है मौजूदा केंद्र सरकार.

धर्म के नाम पर संस्कृति के नाम पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा पूरे देश में सांस्कृतिक धरोहरों को नष्ट कर रही है, तहस-नहस कर रही है.पिछले दिनों बनारस में भी सैकड़ों शिवलिंग कचरे के ढेर में इस सरकार ने फिकवा दिया, जिसकी कई तस्वीरें भी वायरल हुई थी, लेकिन इस देश के किसी भी तथाकथित हिंदू का खून नहीं खौला.

पिछले 6 साल में इस सरकार में सैकड़ों मंदिर तोड़ दिए गए, सैकड़ों मूर्तियां तोड़ दी गई, कचरे में फेंक दी गई, लेकिन मीडिया द्वारा यह मुद्दे नहीं उठाए गए, भाजपा की प्रचार एजेंसी मीडिया ऐसे मुद्दों पर खामोश हो जाती है.

यह सरकार लगातार विकास के नाम पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है विकास के नाम पर देश का पैसा लूट कर भाजपा के नेता और उससे संबंधित लोग अपना घर भर रहे हैं.

इसी तरीके से भाजपा के पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने एक योजना लांच की थी जिसका नाम था नमामि गंगे और कहा गया था कि 2019 से पहले गंगा पूरी तरीके से स्वच्छ हो जाएगी, उस समय नमामि गंगे के नाम पर मंत्रालय बनाया गया, जिसकी जिम्मेदारी मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री  और भाजपा की नेता उमा भारती को दी गई.

उमा भारती ने कहा था कि अगर 2019 से पहले गंगा साफ नहीं हुई तो मैं गंगा में जल समाधि ले लूंगी. पूरी गंगा की बात अगर हम छोड़ भी दें तो भी, गंगा 1 किलोमीटर साफ भी नहीं हुई और उमा भारती अपनी बात से भी पलट गई.

भाजपा के तमाम नेता जनता के उन मुद्दों को पकड़ते हैं जिनसे जनता की भावनाएं जुड़ी हुई हैं.चाहे वह सांस्कृतिक धरोहरों की बात हो, देश की सभ्यता की बात हो सनातन धर्म की बात हो,गंगा से जुड़ी हुई बात हो, यह इन्हीं मुद्दों पर जनता को गुमराह करते हैं उनका वोट लेते हैं और बाद में पलट जाते हैं और पैसे की लूट चालू कर देते हैं.

गंगा सफाई के नाम पर लाखों करोड़ों का बजट पारित किया गया इस सरकार द्वारा, इसके अलावा पूरे देश से कई लोगों ने चंदा भी दिया, सरकार ने लोगों से चंदे का आह्वान भी किया गंगा सफाई के नाम पर, लेकिन मौजूदा हकीकत यह है कि पूरा पैसा लूट लिया गया, जो भी चंदा मिला था वह किसके पास गया उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है और गंगा 1 किलोमीटर भी स्वच्छ नहीं हुई.

बहरहाल सागर की आम जनता और युवाओं की मांग है कि, भ्रटाचार इसमें बिलकुल न हो लाखा बंजारा झील की सफाई मैनुअली कराने की बजाय मशीन से कराई जाए.

यह भी पढ़े : भारत में मीडिया द्वारा मानो धर्म की चादर ओढ़ कर,अपराध करने का लाइसेंस दिया जा रहा है

राष्ट्र के विचार
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