सीकर. भगवान शिव की उपासना का विशेष पर्व महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2021)11 मार्च को हैं। महाशिवरात्रि पर शहर के मंदिरों में होने वाले धार्मिक आयोजनों की तैयारी शुरू कर दी गई है। मंदिरों में सामूहिक पूजा के आयोजन होंगे। वहीं शहर के कल्याजी के मंदिर स्थित शिव मंदिर में शिवरात्रि पर दो दिवसीय धार्मिक आयोजन होंगे। बुधवार को यहां फागोत्सव का आयोजन होगा। महंत विष्णु प्रसाद शर्मा ने बताया कि शिवरात्रि को सुबह आठ बजे भगवान शंकर की महाआरती की जाएगी। इसके बाद बाबा रामचंद्र दास की पुण्यतिथि पर समाधी पूजन होगा। सुबह दस बजे से भगवान शंकर का अभिषेक पूजन होगा। शाम चार बजे भगवान शंकर की बारात शोभायात्रा निकाली जाएगी। मंदिर में आयोजन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके अलावा पशुपति नाथ मंदिर, दारिद्रभंजन महादेव मंदिर सहित शहर के कई शिव मंदिरों में सामूहिक पूजा अर्चना और अभिषेक के आयोजन होंगे।
शिव व सिद्धि योग में आ रही है शिवरात्रि
महाशिवरात्रि शिव व सिद्धि योग में में आ रही है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि शिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशीयुक्त चतुर्दशी तिथि को मनाई जाएगी। इस दिन शिव योग बन रहा है। साथ ही इस दिन नक्षत्र घनिष्ठा रहेगा और चंद्रमा मकर राशि में विराजमान रहेगा। महाशिवरात्रि के दिन स्वयंभू शिवजी की पूजा की जाती है।
महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्तमहाशिवरात्रि 11 मार्च, बृहस्पतिवार
निशिथ काल-11 मार्च की रात 12 बजकर 12 मिनट से 1बजकर 01 मिनट तक। महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा की जाती है वह इस प्रकार है।रात्रि प्रथम प्रहर-11 मार्च शाम 06 बजकर 29 मिनट से 09 बजकर 32 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर-11 मार्च की रात 9 बजकर 33 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तकरात्रि तृतीय प्रहर-11 मार्च की रात 12 बजकर 37 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर-मध्यरात्रि बाद 03 बजकर 41 मिनट से सुबह 06 बजकर 43 मिनट तकशिवरात्रि पारण समय 12 मार्च की सुबह 06 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 02 मिनट तक
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व
महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। अगर कन्या का विवाह काफी समय न हो रहा हो या किसी भी तरह की बाधा आ रही हो तो उसे महाशिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। इस स्थिति के लिए यह व्रत बेहद फलदायी माना गया है। इस व्रत को करने से भगवान शिव का आर्शीवाद का प्राप्त होता है। साथ ही सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
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