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नेहड़ से पाकिस्तान पहुंचा लूनी नदी का पानी

जैताराम बिश्नोईचितलवाना (जालोर). किसी ने ठीक ही कहा है कि पंछी, पवन और पानी की कोई सरहद नहीं होती। ये कभी भी सरहद पार कर आ-जा सकते हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच इन दिनों चल रही तनावपूर्ण स्थिति के चलते एक ओर भारत पाकिस्तान को जाने वाला पानी रोकने की तैयारी कर रहा है। वहीं दूसरी ओर जालोर के ही नेहड़ क्षेत्र से होकर लूनी नदी का पानी प्राकृतिक बहाव के चलते शनिवार को पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर चुका है। राजस्थान के अजमेर जिले कि पास नाग की पहाड़ी से निकलने वाला लूनी नदी का यह पानी जोधपुर, बालोतरा और सिणधरी से जालोर जिले के गांधव होते हुए चितलवाना के अंतिम छोर खेजडिय़ाली की सीमा में प्रवेश करता है। यहां से फिर पांच किमी बाड़मेर की सीमा से होकर यही पानी पाकिस्तान तक पहुंचता है। लूनी नदी का पानी सीमा पार पाकिस्तान पहुंचने पर सीमावर्ती किसानों में भी खुशी की लहर है। यह पानी पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में पहुंचने के बाद यहां का जलस्तर भी बढ़ाने में काफी सहायक है। वहीं इसके कई दिनों तक चलने से यहां के किसानों के लिए खेती में रिसाव का पानी उपयोगी साबित होता है। हालांकि कि पाकिस्तान की कुछ सीमा में बहने के बाद यह फिर से भारत की सीमा में पहुंचकर कच्छ के रण में फैल जाता है।इसलिए कहते हैं लोग मरुगंगाअजमेर के नाग की पहाड़ी से निकलने वाला अमृत रूपी लूनी नदी का यह पानी जोधपुर से बाड़मेर, जालोर व पाकिस्तान के मरुस्थलीय क्षेत्र में किसानों को पेयजल के के साथ रबी की सिंचाई में भी काम आता है। एक बार पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करने के बाद रिसाव का यह पानी मीठा हो जाता है जो साल भर किसानों के काम आता है।पाकिस्तान से फिर पहुंचेगा कच्छ के रण लूनी नदी का यह पानी चितलवाना के खेजडिय़ाली सीमा से बाड़मेर की सीमा पार करते हुए पाकिस्तान में पहुंचता है। यहां का कुछ हिस्सा पार करने के बाद यही पानी दोबारा भारत की गुजरात सीमा में पहुंचकर फिर कच्छ के रण में फैल जाएगा। ऐसे में पानी भारत के साथ पाकिस्तान के किसानों के लिए भी काम आएगा।इनका कहना…लूनी नदी का पानी बाड़मेर की सीमा से होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश कर चुका है। वैसे पीछे पानी का वेग कम होने से रास्ता भी बहाल हो गया है।- पेमाराम, कार्यवाहक एसडीएम, चितलवाना

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