सीकर. कोरोना संक्रमण के बाद लॉक हुआ देश धीरे- धीरे अनलॉक हो गया। स्कूल, कॉलेज से लेकर सार्वजनिक परिवहन के साधन भी शुरू कर दिए गए, लेकिन शेखावाटी में रेलवे की पटरियां अभी लॉक हैं। शेखावाटी के लोग प्रदेश की राजधानी जयपुर और दिल्ली के लिए नियमित ट्रेन के लिए भी तरस रहे हैं। यह तो जनता की परेशानी है, लेकिन ट्रेनों का संचालन नहीं होने से रेलवे को हर माह करोड़ों का फटका भी लग रहा है। औसतन आंकड़ा देखा जाए तो जयपुर-सीकर-लोहारू और चूरू मार्ग के स्टेशनों पर रेलवे के सात सौ से ज्यादा कर्मचारी तैनात है। एक कर्मचारी की औसत तनख्वाह दस हजार रुपए मानी जाए तो 70 लाख से अधिक तो प्रत्येक माह तनख्वाह पर ही खर्च हो रहा है। स्टेशनों के रखरखाव व बिजली व अन्य खर्चें जोड़ें तो आंकड़ा एक करोड़ से अधिक होता है।
प्रपोजल बनते गए, ट्रेन नहीं चली
कोरोना संक्रमण के बाद रेलवे ने देशभर में स्पेशल ट्रेनों के रूम में रेल का संचालन शुरू किया। शेखावाटी क्षेत्र के यात्रियों को राहत पहुंचाने के लिए भी रेलवे ने कई प्रपोजल तैयार किए, लेकिन यहां ट्रेनों का संचालन पहले की तरह शुरू नहीं हो पाया। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भी रेल संचालन की मांग को मुखर नहीं किया। ऐसे में महज अभी दो ट्रेनों का संचालन रहा है। कोटा-हिसार और श्रीगंगानगर-बांद्रा ट्रेन ही अभी चल रही है। इसके अलावा सीकर-रेवाड़ी-दिल्ली ट्रेन के संचालन का प्रपोजल तैयार किया गया था। रेलवे ने दिल्ली के लिए ट्रेन चलाने की तैयारी भी कर ली, लेकिन नेताओं की कमजोरी के कारण जयपुर से दिल्ली की ट्रेन को अलवर के रास्ते शुरू कर दिया गया। शेखावाटी दिल्ली से जुड़ाव से वंचित हो गया।कहीं टल ना जाए प्रयागराज का विस्तारजयपुर-प्रयागराज ट्रेन का बीकानेर तक विस्तार करने की तैयारी रेलवे ने पिछले माह ही कर ली थी। ट्रेन का विस्तार मकर संक्रांति को किया जाना था। लेकिन जनप्रतिनिधियों में जागरूकता कमी से यह विस्तार टलता जा रहा है। रेलवे के जानकारों का कहना है कि ट्रेनों के संचालन के लिए शेखावाटी अंचल के सांसदों को रेलवे पर दबाव बनाना होगा।
जनता की जेब पर भारी शेखावाटी अंचल से जयपुर व दिल्ली के लिए रेलों का संचालन नहीं होना जनता की जेब पर भारी पड़ रहा है। स्कूल व कोचिंग संस्थान खुलने से यह मार दोहरी हो गई है। प्रदेश के विभिन्न स्थानों के एक लाख से अधिक विद्यार्थी यहां स्कूल व कोचिंग संस्थाओं में पढ़ते हैं। इन विद्यार्थियों का यहां पर आना भी शुरू हो गया है। करीब 35 हजार विद्यार्थी सीकर पहुंच भी चुके हैं, लेकिन रेलों का संचालन नहीं होने से इन छात्रों को बसों व दूसरे वाहनों से सीकर आना पड़ा। इसके अलावा प्रतिदिन एक हजार से अधिक लोग जयपुर अपडाउन करते हैं। बाजार के व्यापारियों का प्रतिदिन दिल्ली आना-जाना रहता है। यह सभी व्यापारी बसों में यात्रा करने को मजबूर है।
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