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लालकृष्ण आडवाणी को आज भी है इस बात का मलाल

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) आज 94 साल के हो गए हैं. इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, होम मिनिस्टर अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई दिग्गज नेता उनके घर पहुंचे जहां उन्हें जन्मदिन की बधाई दी. रिपोर्ट की मानें तो नेताओं के बीच काफी देर तक बैठक चली और इसी बीच केक काटा, साथ ही पुरानी यादों को भी ताजा किया गया.
बता दें, इससे पहले नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी लालकृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की बधाई दी थी. उन्होंने लिखा था कि, आदरणीय आडवाणी जी को जन्मदिन की बधाई. मैं उनके लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं. लोगों को सशक्त बनाने और हमारे सांस्कृतिक गौरव को बढ़ाने की दिशा में उनके कई प्रयास के लिए राष्ट्र उनका ऋणी है.
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आडवाणी को एक प्रेरणा और मार्गदर्शक बताया. राजनाथ सिंह ने कहा कि, आडवाणी की गिनती उन सब से सम्मानित नेताओं में होती है जिनकी विद्वता, दूरदर्शिता और बुद्धि को हर कोई स्वीकार करता है. इसके अलावा अमित शाह ने आडवाणी को बधाई देते हुए कहा कि, अपने सतत संघर्ष से बीजेपी की विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाकर संगठन को अखिल भारतीय स्वरूप देने में अपना अहम योगदान देने वाले हम सभी के आदरणीय श्रद्धेय श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. आप सदैव स्वस्थ रहें और दीर्घायु हों ऐसी ईश्वर से कामना करता हूँ.
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म अविभाजित भारत में साल 1927 में सिंध के कराची में हुआ था. सिंध अब पाकिस्तान में है. आज भी उनकी छाप भाजपा में नजर आती हैं. आडवाणी का कहना है कि उन्हें आज भी इस बात का दुख है कि सिंध अब भारत का हिस्सा नहीं है. साल 2017 में एक कार्यक्रम के दौरान आडवाणी ने कहा था कि, मुझे उस वक्त बहुत दुख हुआ था, जब यह पता चला था कि सिंध और कराची अब भारत का हिस्सा नहीं रहेंगे. मैं अपने बचपन के दिनों में सिंध में आरएसएस में काफी सक्रिय था. यह मेरे लिए दुख की बात है. मैं मानता हूं कि भारत सिंध के बिना अधूरा है.
बता दें, लालकृष्ण आडवाणी साल 2002 से 2004 तक देश के उप प्रधानमंत्री रहे. इसके अलावा उन्होंने 1998 से 2004 तक भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में गृह मंत्री के रूप में भी काम किया. इसके अलावा वह 10वीं और 14वीं लोकसभा में विपक्ष नेता के रूप में भी शामिल हुए. फिर साल 2009 में वह आम चुनाव में एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार भी रह चुके हैं. साल 2015 में लालकृष्ण आडवाणी को भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी नवाजा जा चुका है.
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