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युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़ा देने वाला जाबांज दुनिया से अलविदा, जानिए ओला की कहानी

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सीकर. देश की रक्षा में अहम योगदान देने वाले भारतीय सेना के पूर्व जांबाज अफसर ८४ वर्षीय कैप्टन भगवान सिंह ओला अब नहीं रहे। सन १९३६ में ओला का जन्म कुड़ली ग्राम में हुआ। उन्होंने वर्ष १९५४ में राजपूताना विश्वविद्यालय से इंटरमीडियट पास की। उसके बाद भारतीय सेना में सन १९५५-१९८३ तक देश सेवा को समर्पित किए। देश सेवा के बाद समाज सेवा में लग गए। उन्होंने देश सेवा में रहते हुए चार बड़े युद्धों में अहम योगदान दिया। सन १९६० में गोवा युद्ध, १९६२ में इंडो-चाइना युद्ध, सन १९६५ में लाहौर सेक्टर में इंडो पाक युद्ध, १९७१ मेंं बांग्लादेश व वेस्टर्न सेक्टर दोनों युद्ध लड़े। देश सेवा में रहते हुए सेना सेवा मेडल के साथ कलोजप जेएंडके व असम, बंगाल तथा रक्षा पदक १९३३, समर सेवा स्टार पदक, पूर्वी स्टार (बंग्लादेश पत्र) पदक, पश्चिम स्टार (१९७१) वेस्टन सेक्टर पदक, ९ वर्ष मेरीटोरियस सर्विस पदक, २० वर्ष मेरीटोरियस सर्विस पदक, २५ इंडेपेंडेंट अनीर्वेसरी पदक व लांग सर्विस पदक प्राप्त किए है।
उद्घाटन के इंतजार में अस्पताल भवन
कांवट. गांव भादवाड़ी में 1.85 करोड़ की लागत से बना नवनिर्मित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का भवन पिछले डेढ़ माह से उद्घाटन की बाट जोह रहा है। करोड़ो की लागत से अस्पताल भवन पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है। लेकिन उद्घाटन नही होने से नवनिर्मित भवन में अभी तक न अस्पताल शुरू नही हो पाया है। फि लहाल अस्पताल पुराने व जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। ऐसे में मरीजों को काफ ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि भादवाड़ी पीएचसी का भवन काफ ी पुराना व जर्जर हो चुका था।

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