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नवजातों का जीवन बचा रहा केएमसी

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मुकेश कुमावत. नीमकाथाना. राजकीय कपिल अस्पताल में होने वाली प्रसूताओं की डिलीवरी में हर माह करीब 30 से 40 शिशु औसत वजन से कम हो रहे हंै। इन शिशुओं को पहले उनके परिजन सीकर या जयपुर बड़े अस्पतालों में लेकर जाते थे। इस वजह से कई बच्चे रास्ते में दम तोड़ देते थे। लेकिन अब सरकार शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए चलाई गई केएमसी (कंगारू मदर केयर सेंटर) अस्पताल में खोलने के बाद अस्पताल में स्थित एसएनसीयू वार्ड में ही बच्चे को पूरा उपचार मिलने पर उनकी जान बचाई जा रही है। अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार एक माह में 55 प्रतिशत औसत से कम वजन वाले शिशु पैदा हो रहे हैं। दो वर्ष के आकड़ों के अनुसार 3,727 में से 2211 औसत वजन ढाई किलो से कम वाले शिशु सामने आए। गौरतलब है कि पहले एसएनसीयू वार्ड में अच्छी सुविधा नहीं होने के कारण अधिकतर बच्चों को सीकर या जयपुर रेफर कर दिया जाता था, लेकिन अब अस्पताल में अच्छी तरह से एसएनसीयू वार्ड व केएमसी सेंटर शुरू होने के बाद शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आई है। पत्रिका ने जनवरी 2018 से नवंबर 2019 तक के आंकड़ों पर गौर किया तो वर्ष 2018 में प्रसव होने के 48 घंटे के भीतर 2004 शिशु तथा 460 शिशु प्रसूताओं के घर ले जाने के बाद बीमार हो गये। जनवरी 2019 से नवंबर 2019 तक प्रसव होने के 48 घंटे के भीतर 1097 शिशु तथा 166 शिशु प्रसूताओं के घर ले जाने के बाद बीमार हो गए।केएमसी के क्या है लाभएसएनसीयू प्रभारी शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जीएस छापोला के अलावा डॉ जयकिशन भी सेवायें दे रहे है। छापोला ने बताया कि केएससी देने से शिशु का वजन बढ़ता है। शिशु का तापमान सही रहता है और शिशु इंफेक्शन से भी दूर रहता है। स्तनपान बेहतर होता है। बच्चे और मां के बीच का रिश्ता मजबूत होता है। मदर केयर सेंटर में पहुंचने वाले ढाई किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चों के साथ उनकी मां व अन्य कोई रिश्तेदार के एमसी दे सकते हैं।महिलाओं मिलती है विशेष गाउनसीनियर नर्सिंगकर्मी द्वारका प्रसाद शर्मा ने बताया कि केएमसी सेंटर में चार बेड हैं जिनमें महिला व बच्चें को कवर करने के लिए विशेष गाउन दी जाती है। महिला गाउन में अपने बच्चे को उसी तरीके से रखती है जिस तरह से कंगारू अपने बच्चे को पेट के नीचे छुपाकर रखता है। इसका मुख्य कारण है कि उस गाउन से बच्चे को सामान्य तापमान मिलता है इससे गर्मी व सर्दी का बचाव रहता है।डेढ़ घंटे तक दी जाती है केएमसीअस्पताल में स्थित केएमसी सेंटर में बच्चें को शुरुआत में कम से कम डेढ़ घंटा दी जाती है। बच्चा जब तक ढाई किलो तक का नहीं हो जाए मां को केएमसी बंद नहीं करनी चाहिए। मां पूरे दिन भी अपने शिशु को केएमसी दे सकती है। केवल कपड़े बदलने के लिए ही बीच में रुकना चाहिए। अगर बच्चा रोने लगे या असुविधाजनक महसूस करें तो समझ जाइए कि केएमसी बंद करने का संकेत आपको मिला रहा है।

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