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Khatushyamji Scam: दर्शन, जमीन व दानपात्र घोटाले में घिरी मंदिर कमेटी, आज पेश होगी सरकारी रिपोर्ट

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सीकर. खाटूश्यामजी मंदिर ट्रस्ट की मनमर्जी के आगे श्याम भक्त पूरी तरह बेबस है। कोरोनाकाल में जहां लाखों श्याम भक्त बाबा श्याम के दीदार के लिए तरसते रहे। लेकिन मंदिर ट्रस्ट चहेतों को राज्य सरकार की कोरोना गाइडलाइन को ताक पर रखकर बाबा श्याम के दर्शन कराने से भी नहीं चूका। इस पर प्रशासन ने 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगा दिया। यह मामला शांत ही नहीं हुआ कि मंदिर ट्रस्ट ने मनमर्जी से दानपेटी रखना दी। इस मामले में भी देवस्थान विभाग ने वित्तिय अनियमिततता मानते हुए रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है। ऐसे में अब पूरी तरह गेंद राज्य सरकार के पाले में है। पिछले पांच साल में देवस्थान विभाग व जिला प्रशासन के पास मंदिर कमेटी की 22 से अधिक शिकायत पहुंची है। लगभग 20 साल बाद अब देवस्थान विभाग ने मंदिर कमेटी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है। मंदिर कमेटी की कई शिकायत तो अब भी विभाग की जांच में उलझी हुई है।
बड़ा घपला: मंदिर मूर्ति के बजाय ट्रस्ट के नाम जमीन
देवस्थान विभाग के आदेश के तहत धार्मिक स्थलों को मंदिर के लिए जमीन खरीदने पर उसका राजस्व रेकार्ड मंदिर मूर्ति के नाम से होना चाहिए। लेकिन यहां मंदिर ट्रस्ट जमीनों को भी अपने नाम कराने की परम्परा को बंद करने के बजाय बढ़ावा देने तुला है। पिछले दिनों इस मामले में भी शिकायत हुई तो अब मंदिर कमेटी ने आवेदन राजस्व विभाग में लगाया है।
इधर, मंदिर कमेटी को जमीन लीज पर देने का विरोध तेजखाटू-रींगस रोड पर बेशकीमती विवादित जमीन का मामला
चौमूं पुरोहितान ग्राम पंचायत क्षेत्र में खाटू-रींगस रोड पर बेशकीमती जमीन को श्याम मंदिर कमेटी खाटूश्यामजी को लीज पर देने को विरोध तेज हो गया है। ग्रामीणों ने राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। आंदोलन समिति के शंकरलाल एचरा, उपसरपंच गोकल सिंह, पूर्व सरपंच चौथमल कुमावत, राजेश धायल ने बताया कि चौमूं पुरोहितान की 14 बीघा सिवायचक भूमी जिसके खसरा नंबर 971,972/5 को राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने गलत तरीके से आवंटन कर दिया। उन्होंने बताया कि तत्कालीन कलक्टर यज्ञ मित्र सिंह देव ने उक्त जमीन मंदिर कमेटी को आवंटित कर दी थी। जिसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट मुख्यमंत्री ने मांगी थी। इसके बाद वर्तमान कलक्टर अविचल चतुर्वेदी ने रिपोर्ट देकर उक्त भूमी को गोशाला के नाम नहीं होने की बात कही। वहीं तहसीलदार एवं उपशासक सचिव ने भी आवंटन को निरस्त करने के लिए कहा था। बावजूद इसके राजस्व मंत्री ने पहले वाली जमीन के साथ बाकी बची जमीन को भी 330 रूपए के हिसाब से लीज पर दी है। इसके विरोध में ग्रामीणों ने राजस्व मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर पंच बाबूलाल बाजिया, राजेश माली, राजू नेहरा, गजानंद शर्मा, बलराम देवंदा, संतोष बाजिया, हरी सिंह, पप्पू देवी, प्रेम देवी, कमली देवी, भागोती देवी, रेखा देवी आदि मौजूद रहे।
यह है जमीन से विवादित जमीन से जुड़ा मामलाग्राम चौमूं पुरोहितान में खाटू-रींगस मार्ग पर 14 बीघा जमीन है। जिसको 1997 में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी से जुड़े अभय अनुष्ठान ट्रस्ट को 10 वर्ष के लिए लीज पर दी गई थी। अभय अनुष्ठान कि वर्ष 2007 में ही लीज खत्म होने पर 2007 के बाद श्री श्याम मंदिर कमेटी ने गौशाला के नाम पर उसे अपने अधीन ले लिया था। वैद्य दस्तावेजों के बिना ही मंदिर कमेटी ने इस जमीन पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया। मामले में चौमंू पुरोहितान के राजेश धायल ने फरवरी 2020 में पुलिस, जिला कलक्टर और मुख्यमंत्री को शिकायत की थी। इस बीच सीकर के तत्कालीन जिला कलक्टर यज्ञ मित्र सिंह देव ने वर्ष 2020 में जमीन श्याम मंदिर कमेटी को लीज पर दे दी।
85 फीसदी ट्रस्ट को मिलता है, फिर भी भक्त सुविधाओं से महरूम
खाटूश्यामजी के दरबार में चढ़ावे में मिलने वाली राशि दो हिस्सों में बांटी जाती है। 85 फीसदी राशि खाटूश्याजी ट्रस्ट में जमा होती है। इसके अलावा 15 फीसदी राशि सेवक परिवार को मिलती है। मंदिर ट्रस्ट को हर 85 फीसदी राशि मिलने के बाद भी श्याम भक्त अभी भी सुविधाओं से महरूम है। खाटूश्यामजी में अभी जन सुविधाओं के साथ पार्किंग की बड़ी समस्या है। लेकिन मंदिर ट्रस्ट भक्तों के लिए कोई सुविधा डवलप नहीं कर सका।
आखिर दान की राशी सार्वजनिक क्यों नहींमंदिर के भेंट पात्रों के अलावा रसीद और बैंक खातों के जरिए भक्तों की ओर से सालाना करोड़ो रूपए का दान आता है। मगर कमेटी की ओर से यह राशि सार्वजनिक नहीं की जाती। जबकि देश के कई धार्मिक स्थल खुद ऑडिट रिपोर्ट को भक्तों के साथ साझा करते हैं। इस मामले में देवस्थान मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा भी सवाल उठा चुके है।
कमेटी कार्यालय भक्तों की पहुंच से दूर
श्याम मंदिर कमेटी ने कार्यालय को भी भक्तों की पहुंच से दूर बना रखा है। मेले या अन्य दिनों में भक्त किसी समस्या या अन्य काम को लेकर कार्यालय तक पहुंचना चाहे तो वे नहीं पहुंच पाते। कार्यालय भी ऐसी जगह बने जहां आमजन पहुंच सके।

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