- Advertisement -
HomeRajasthan NewsSikar newsदेने का भाव रख हमें अगली पीढ़ी को जमीन से जोडऩा होगा...

देने का भाव रख हमें अगली पीढ़ी को जमीन से जोडऩा होगा – गुलाब कोठारी

- Advertisement -

सीकर. मनुष्य के शरीर, बुद्धि, मन व आत्मा चार तत्व है। जिनमें से शरीर व बुद्धि का संबंध भोग तथा मन व आत्मा का संबंध योग से है। इन चारों तत्वों में संतुलन से ही मनुष्य का जीवन सुखी हो सकता है। लेकिन, वर्तमान शिक्षा केवल शरीर व बुद्धि केन्द्रित होकर मनुष्य को अपूर्ण बना रही है। जिससे कड़वी बोली वाले बुद्धिमान तो पैदा हो रहे हैं, पर मिठास वाले मनुष्यों की कमी हो गई है। ऐसे में आज सबसे ज्यादा जरूरी अगली पीढ़ी को संस्कार देने व जमीन से जोडऩे की है। जो काम पत्रिका हरियाळो राजस्थान व अमृतम जलन जैसे अभियानों से कर रहा है। ये बात पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने गुरुवार को बाईपास स्थित पार्क एवन्यू होटल में आयोजित संवाद सेतु कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि जिस तरह बीच ये नहीं सोचता कि पेड़ के फल- फूल व छाया किसे मिलेगी, वैसे ही हमें भी स्वार्थ को छोड़कर अगली पीढ़ी को देने की भावना से ही सोचते हुए काम करना होगा। जिसकी शुरुआत संकल्प लेकर बच्चों से नियमित संवाद करने की पहल से करना होगा। बोले कि शेखावाटी उद्योगपतियों व सैनिकों से देश को सींचने वाली धरती है। जो देश के लिए जान देने को तैयार रहते हैं। यही जज्बा आगे भी जारी रखना हमारा पहला दायित्व व संकल्प होना चाहिए। समारोह में सीकर, चूरू व झुंझुनूं के प्रबुद्ध लोगों के साथ अतीत के चिंतन से लेकर वर्तमान की समस्याओं व समाधान तथा भविष्य की संभावनाओं तक पर खुलकर मंथन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत कोठारी की सम्मान श्रृंखला से हुआ।
हमारे लिए पाठक ईश्वर, वितरक पुजारी
कोठारी ने इस दौरान पाठकों को ईश्वर की संज्ञा दी। बोले, हमारे लिए पाठक ही ईश्वर है। जिसे प्रसन्न रखना ही हमारा ध्येय है। इसके लिए समाचार रूपी पूजा की सामग्री से पत्रिका रूपी पूजा की थाली सजाई जाती हैै। जिसे समाचार वितरक पुजारी के रूप में उनके मंदिर रूपी घर तक पहुंचाता है। आगे कहा कि पत्रिका ने धार्मिक ग्रंथों की जगह भी ले ली है। सुबह रामायण व गीता पढ़े ना पढ़े लेकिन पाठक पत्रिका जरूर पढ़ता है।
मोबाइल हो गया रिश्तेदार, भूले मां के हाथ का स्वाद
कोठारी ने इस दौरान मोबाइल की लत पर कुठाराघात किया। उन्होंने कहा कि आज लोगों के लिए मोबाइल रिश्तेदार हो गया। एक ही जगह बैठे होने पर भी परिवार के सदस्य अपने अपने मोबाइल मेंं डूबे रहते हैं। बच्चे भी मोबाइल देखकर खाना खाते हैं। जिससे भोजन में मिले मां के प्रेम व हाथ के स्वाद दोनों से दूर हो रहे हैं। बोले, अन्न ब्रम्हा है। लेकिन एक तो उसे कीटनाशक से तैयार किया जा रहा है, दूसरा उसमें प्रेम परंपरा खत्म हो रही है। जिसके असर से मनुष्यता खत्म हो रही है।

- Advertisement -
- Advertisement -
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -
Related News
- Advertisement -