सचिन माथुर, सीकर.
श्रीकल्याणजी के मंदिर ( Shri Kalyan ji Temple Sikar ) की महिमा जितनी निराली है, उतना ही रोचक इसका इतिहास भी है। आस्था और परंपराओं का अनूठा संगम भी इस मंदिर में समाहित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु डिग्गी के कल्याणपुरा की प्रतिमूर्ति के रूप में विराजित है। वहीं, मान्यता के मुताबिक मंदिर में मां लक्ष्मी ने खुद भगवान विष्णु से अलग अपना मंदिर बनवाया था।
मनोकामना पूरी होने पर बना मंदिरमंदिर की स्थापना का संबंध सीकर के अंतिम राव राजा कल्याण सिंह से है। इतिहासकार महावीर पुरोहित बताते हैं कि सीकर के राजा वलाब सिंह का डिग्गी के कल्याणजी का इष्ट था। जिनसे उन्होंने पुत्र प्राप्ति की मनोकामना की थी। कामना पूरी हुई तो उन्होंने बेटे का नाम भी कल्याण ही रख दिया। इसके बाद कल्याण के राजा बनने की कामना भी उन्होंने डिग्गी कल्याणजी से की। जो 1922 में पूरी होने पर खुद राव राजा कल्याण सिंह ने श्री कल्याणजी का मंदिर ही सीकर में बनवा दिया। इसके बाद राजा कल्याण सिंह यहां रोजाना सुबह शाम मंदिर की आरती में आने लगे। इसी परंपरा में मंदिर की सुबह की आरती आज भी राजा आरती के नाम से की जाती है। जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
सपने में मांगा अलग मंदिरश्रीकल्याण मंदिर में मां लक्ष्मी के श्रीकल्याणजी से अलग रहने की मान्यता भी है। महंत विष्णु प्रसाद शर्मा का कहना है कि मंदिर निर्माण के बाद मां लक्ष्मी राव राजा कल्याण जी के सपने में आई थी और मंदिर में अपनी अलग मूर्ति स्थापना की बात कही। इसके बाद राव राजा ने मां लक्ष्मी का अलग से मंदिर बनवाया। मान्यता है कि मंदिर में मां लक्ष्मी केवल शयन के समय ही भगवान विष्णु के साथ होती है। सुबह होते ही वह अपने अलग स्थान पर चली जाती है। इस मान्यता के चलते मंदिर में आज भी सुबह 4.30 बजे सबसे पहले मां लक्ष्मी को जगाने की आरती परंपरा है।
किन्नर समाज ने पहनाई मां को चुनरीमंदिर में दिवाली पर 16 दिवसीय महोत्सव का आयोजन होता है। जिसमें सुबह शाम की 32 आरतियों के साथ करवा चौथ पूजन और कन्या पूजन सहित विभिन्न कार्यक्रम होते हैं। महोत्सव में शुक्रवार को किन्नर समाज की ओर से पहली बार मां लक्ष्मी को चुनरी भी ओढ़ाई गई। इससे पहले मातृ दिवस पूजन का आयोजन हुआ। जिसमें 70 वर्ष से ज्यादा उम्र की मांओं का पूजन हुआ।[MORE_ADVERTISE1]
श्री कल्याण जी मंदिर में बसते हैं डिग्गी के कल्याणजी, मां लक्ष्मी ने मांगी थी अलग जगह
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