Deprecated: The PSR-0 `Requests_...` class names in the Requests library are deprecated. Switch to the PSR-4 `WpOrg\Requests\...` class names at your earliest convenience. in /home/wpexgrjf/aajkalrajasthan.com/wp-includes/class-requests.php on line 24
सबसे मजबूत लोकतंत्र रहा भारत, फिसलकर पाक की राह पर जा रहा है | Aajkal Rajasthan ga('create', "UA-121947415-2", { 'cookieDomain': 'aajkalrajasthan.com','allowLinker': true } ); ga('linker:autoLink', ['aajkalrajasthan.com/amp']);

सबसे मजबूत लोकतंत्र रहा भारत, फिसलकर पाक की राह पर जा रहा है

नए साल की शुरुआत में, सीमा के पार पाकिस्तान से दो व्यथित करने वाली घटनाओं की खबरें आईं. पहली थी गुरु नानक के जन्म स्थान ननकाना साहिब गुरूद्वारे पर हुए हमले की खबर. एक रपट में कहा गया कि हमलावरों का लक्ष्य इस पवित्र स्थल को अपवित्र करना था. वहीं दूसरी रपट के अनुसार वहां मुसलमानों के ही दो गुटों के बीच हिंसा हुई थी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने घटना की निंदा की और मुख्य आरोपी इमरान चिश्ती को गिरफ्तार कर लिया गया.

यह मामला गुरूद्वारे के पंथी (पवित्र गुरुग्रन्थ साहिब का पाठ करने वाला व्यक्ति) की लड़की जगजीत कौर के अपहरण और उसके जबरदस्ती धर्म परिवर्तन से जुड़ा हुआ था. दूसरी घटना थी पेशावर में रविंदर सिंह नामक सिख युवक की हत्या. उसे तब गोली मार दी गई जब वह अपनी शादी के लिए खरीदारी कर रहा था.

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सिख समुदाय पर इन दो अत्यंत निंदनीय हमलों का राजनैतिक लाभ उठाने से बीजेपी भला कैसे चूक सकती थी. पार्टी ने तुरंत कहा कि इसी तरह की घटनाओं के चलते ही भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) जरूरी है.

सीएए एक भेदभाव पर आधारित कानून है और नागरिकता को धर्म से जोड़ता है, जो हमारे संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है. सीएए के मुद्दे पर देश भर में बहस चल रही है. इस बीच यह प्रचार जमकर किया जा रहा है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं की आबादी में भारी गिरावट आई है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि देश के विभाजन के समय पाकिस्तान की आबादी में हिन्दुओं का प्रतिशत 23 था जो अब घट कर 3.7 रह गया है और बांग्लादेश की हिन्दू आबादी भी 22 प्रतिशत से घट कर 8 प्रतिशत पर आ गई है.

यह भी पढ़े : युवा पंथनिरपेक्ष भारत, जिसमें सभी धर्मों के लिए जगह हो, उस विचार के लिए उठ खड़ा हुआ है

इसमें कोई संदेह नहीं कि इन दोनों देशों में अल्पसंख्यकों के साथ उचित और न्यायपूर्ण व्यवहार नहीं हो रहा है, परन्तु जो आंकड़े बताए जा रहे हैं, वे भी सही नहीं हैं. यह नहीं बताया जा रहा है कि विभाजन के दौरान हुए पलायन और बांग्लादेश के निर्माण का पाकिस्तान की हिन्दू आबादी पर क्या प्रभाव पड़ा. पाकिस्तान में पहली जनगणना 1951 में हुई थी. इस जनगणना के अनुसार, पूरे देश (पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान को मिलाकर) में गैर-मुसलमानों का प्रतिशत 14.2 था. पश्चिमी पाकिस्तान (आज के पाकिस्तान) में यह प्रतिशत 3.44 और पूर्वी पाकिस्तान (आज के बांग्लादेश) में यह 23.2 था. पाकिस्तान की 1998 की जनगणना में वहां गैर-मुसलमानों का प्रतिशत 3.72 पाया गया. जहां तक बांग्लादेश का प्रश्न है, तो वहां गैर-मुसलमानों की आबादी 23.2 प्रतिशत (1951) से गिरकर 9.6 प्रतिशत (2011) पर जरूर आ गई है.

पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय अहमदिया है. देश में करीब 40 लाख अहमदिया हैं और पाकिस्तान में उन्हें मुसलमान नहीं माना जाता. जहां तक बांग्लादेश का प्रश्न है, तो पाकिस्तान की सेना के अत्याचारों से परेशान होकर वहां से भारी संख्या में हिन्दुओं का पलायन हुआ था. पाकिस्तान की सेना ने बांग्लादेश में उस समय तांडव मचाया था, जब वह पाकिस्तान का हिस्सा था. इस बीच ये भी तथ्य है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़ों के अनुसार साल 2016 से 2019 के बीच भारत में शरणार्थियों की संख्या में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें सबसे ज्यादा संख्या तिब्बतियों और श्रीलंका के निवासियों की है.

किसी भी देश में वहां के अल्पसंख्यकों की स्थिति, उस देश में प्रजातंत्र की मजबूती का पैमाना होती है. अधिकांश दक्षिण एशियाई देश प्रजातान्त्रिक मूल्यों की रक्षा करने में असफल सिद्ध हुए हैं. पाकिस्तान के निर्माण के समय जिन्ना ने अपने ऐतिहासिक भाषण में यह घोषणा की थी कि धर्मनिरपेक्षता नए गणराज्य का केंद्रीय तत्त्व होगा. पाकिस्तान की संविधान सभा को संबोधित करते हुए जिन्ना ने 11 अगस्त 1947 को कहा था कि राज्य की नीति ऐसी होनी चाहिए जिसमें सभी धर्मों के लोगों को अपनी आस्था का पालन करने की स्वतंत्रता हो.

परन्तु जल्द ही वहां उस ‘द्विराष्ट्र सिद्धांत’ का बोलबाला हो गया, जो पाकिस्तान के निर्माण का आधार था. देश में फौज ने अपना जबरदस्त दबदबा कायम कर लिया और वहां तानाशाहों का राज हो गया. प्रजातंत्र का समर्थन करने वालों का दमन किया जाना लगा. पाकिस्तान का सबसे खराब दौर जिया-उल-हक का शासनकाल था. जिया ने मुल्लाओं के साथ मिलकर देश का इस्लामीकरण किया. सेना वहां पहले से ही शक्तिशाली थी.

वहीं, बांग्लादेश ने एक दूसरी राह पकड़ी. उसका निर्माण द्विराष्ट्र सिद्धांत के ताबूत में आखिरी कील था. उससे यह साबित हो गया कि धर्म कभी राष्ट्र का आधार नहीं हो सकता. बांग्लादेश की शुरुआत एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में हुई थी. वहां सांप्रदायिक और धर्मनिरपेक्ष ताकतों के बीच निरंतर संघर्ष चलता रहा और अंततः 1988 में, वह एक इस्लामिक गणराज्य बन गया. म्यांमार फौजी तानाशाही के चंगुल में फंसा हुआ है और वहां की प्रजातान्त्रिक ताकतें एक कठिन संघर्ष के दौर से गुजर रही हैं. वहां भी सेना और (बौद्ध) संघों का राज है और इसी के नतीजे में रोहिंग्या मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है.

श्रीलंका में भी ऐसे ही कुछ हालात हैं. वहां भी बौद्ध संघ और सेना राजनीति में दखल देते रहे हैं. मुसलमान और ईसाई अल्पसंख्यक तो परेशान हैं ही, तमिलों (जो हिन्दू, ईसाई आदि हैं) का भी नस्लीय आधार पर दमन किया जा रहा है. इन देशों के मुकाबले भारत में स्थितियां बहुत बेहतर हैं. यहां लोकतंत्र, बहुलतावाद और धर्मनिरपेक्षता के फलने-फूलने के लिए अनुकूल स्थितियां हैं. गांधीजी और नेहरू के नेतृत्व और स्वाधीनता संग्राम के मूल्यों से प्रेरित हमारे संविधान ने देश में धर्मनिरपेक्षता और प्रजातंत्र की जड़ें मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है.

दक्षिण एशिया के देशों में से भारत में प्रजातंत्र सबसे ज्यादा मजबूत है. यहां अल्पसंख्यकों की आबादी में वृद्धि हुई है, लेकिन उसका मुख्य कारण उनमें व्याप्त गरीबी और अशिक्षा है. समय के साथ, सांप्रदायिक ताकतों ने पहचान से जुड़े मुद्दे उछालने शुरू कर दिए और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध दुष्प्रचार शुरू कर दिया. इससे यहां भी अल्पसंख्यकों का हाशियाकरण होने लगा.

अन्य दक्षिण एशियाई देशों को भारत की राह पर चलना चाहिए था और अपने-अपने देशों में सहिष्णुता और उदारता की संस्कृति को मजबूती देनी चाहिए थी, परन्तु दुर्भाग्यवश, आज भारत, पाकिस्तान के नक्शेकदम पर चल रहा है. भारत पतन की फिसलन भरी राह पर जा रहा है इसका सबूत वे मुद्दे हैं जो पिछले कुछ वर्षों से देश पर छाए रहे हैं, जैसे- राममंदिर, घरवापसी, लव जिहाद, बीफ-गौरक्षा और अब सीएए-एनआरसी.

भारत में धार्मिक पहचान से जुड़े मुद्दों के राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में आने पर पाकिस्तानी कवयित्री फहमिदा रियाज ने अपनी कविता, ‘तुम भी हम जैसे निकले’ में अत्यंत सटीक टिपण्णी की थी. सांप्रदायिक ताकतों का प्रतिरोध करना हमेशा से एक कठिन काम रहा है और यह दिन-प्रतिदिन और कठिन होता जा रहा है. इस परिघटना को कट्टरवाद, साम्प्रदायिकता, धार्मिक राष्ट्रवाद आदि कहा जाता है. परन्तु यह साफ है कि इसका धर्म से कोई संबंन्ध नहीं है. असली धर्म तो वह है जिसका पालन हमारे सूफी और भक्ति संत करते थे. आज भारत में जो हो रहा है वह तो केवल धर्म का राजनैतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल है.

यह भी पढ़े : भारत के लोगों ने अपनी बात कह दी है- वे संविधान को नष्ट करने की इजाजत नहीं देंगे.

Thought of Nation राष्ट्र के विचार

The post सबसे मजबूत लोकतंत्र रहा भारत, फिसलकर पाक की राह पर जा रहा है appeared first on Thought of Nation.

Aajkal Rajasthan

Share
Published by
Aajkal Rajasthan

Recent Posts

शादी से एक दिन पहले पानी के टैंकर को लेकर हुई चाकूबाजी में दुल्हा गंभीर घायल

श्रीमाधोपुर/सीकर. राजस्थान के सीकर जिला के श्रीमाधोपुर इलाके के नांगल भीम गांव में पानी के…

2 years ago

अब बेरोजगारों को हर महीने भत्ते के मिलेंगे चार हजार

  सीकर.प्रदेश के बेरोजगारों के लिए राहतभरी खबर है। अगले साल से बेरोजगारों को अब…

2 years ago

रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह का यूपी सरकार पर तंज

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Sarkar) एक के बाद एक कई सवालों के घेरे…

2 years ago

कोरोना: तीसरी लहर संभावित, तैयारियां अधरझूल !

सीकर. कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन आने के बाद केन्द्र के साथ ही प्रदेश सरकार…

2 years ago

रीट आंसर की में बदलाव: बदलेगा मेरिट का गणित, किसी के धकधक, कई दौड़ में शामिल

सीकर. 36 दिन में रीट का परिणाम जारी कर अपनी पीठ थपथपाने वाले राजस्थान माध्यमिक…

2 years ago

बैंक में दूसरे का पट्टा रखकर उठाया 40 लाख का लोन, चीफ मैनेजर सहित दो को पांच वर्ष की सजा

सीकर. फर्जीवाड़े के लिए लोग कुछ भी कर सकते हैं। सहयोग के नाम पर कर्ज…

2 years ago