सीकर. सरहद की चौकसी में म्हारी बेटियां भी छोरो से कम नहीं है। शेखावाटी की बेटियों में सेना में जाने के प्रति जूनून काफी बढ़ रहा है। कई बेटियां तो ऐसी है जो परिवार के सेना में जाने की परम्परा को भी निभा रही है। गणतंत्र दिवस के मौके पर पत्रिका ने सरहद पर मुस्तैदी से दुश्मन को खदेडऩे में जुटी बेटियों से बातचीत की। बेटियों ने कहा कि आज के दौर में बेटियां किसी से कम नहीं है। श्रीमाधोपुर के महरौली गांव की बेटी मेजर यशस्वी शेखावत भी इनमें से एक है। वर्तमान में मेजर शेखावत अजमेर में राष्ट्रीय मिलिस्ट्री स्कूल में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत है। मेजर राइफल शूटिंग में भी कई पदक जीत चुकी है। मेजर यशस्वी के पति कर्नल विक्रम सिंह राठौड़ हैदराबाद में कार्यरत है। मेजर के पिता पूरण सिंह शेखावत जयपुर एसीबी में सीआई के पद से जनवरी 2018 में सेवानिवृत्त हो चुके है।पूरण सिंह ने बताया कि बचपन से ही बेटी की इच्छा सेना में जाने की थी। उन्होंने बेटी को सेना में जाने से कभी नहीं रोका, बल्कि उसका हौसला बढ़ाया। सेना में जाने के लिए बेटी ने पूरी ताकत लगा दी, कभी मेहनत से पीछे नहीं हटी। उन्होंने बताया कि वो भी 1977 में एयरफोर्स में भर्ती हुए और 1997 में सेवानिवृत्त होकर राजस्थान पुलिस में आ गए। इससे पहले उनके दादा प्रहलाद सिंह शेखावत और पिता मोहन सिंह शेखावत भी आर्मी में थे। दादा ने तो 1919 में प्रथम विश्व युद्ध में और पिता ने 1942 में हुए द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया। मेजर यशस्वी के चाचा देबी सिंह शेखावत भी आर्मी सिग्नल से आकर रास्थान पुलिस भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में सहायक पुलिस निरीक्षक के पद पर जयपुर कार्यरत है।राष्ट्रपति से मिल चुका सम्मान:
भाई सतवीर सिंह शेखावत ने एनडीए के बाद पूणे से एमबीए किया। तीन साल इंफोसिस में नौकरी करने के बाद सतवीर ने अमेरिका से एमबीए किया। सतवीर 2015 से अमेरिका में ही डेढ़ करोड़ के पैकेज पर काम कर रहा हैं। छोटी बहन दुर्गेश कंवर डिफेंस सेक्ट्ररी से सम्मानित हो चुकी है। दुर्गेश ने माउंटनेरी में उत्तरकाशी से ए ग्रेड पास कर दार्जलिंग से एडवांस कोर्स किया। बेस्ट कैडिट का अवार्ड भी दुर्गेश जीत चुकी है। दुर्गेश ने दमास मनाली से इंस्पेक्टर का कोर्स भी कर लिया हैं। तीनों बच्चों के अलावा चाचा को राष्ट्रपति और पिता को एंटी क्रप्शन में राजस्थान के डीजी से सम्मान मिल चुका हैं।बेटी ने कर्नल बनकर किया साकारपति के शहीद होने के बाद श्रीमाधोपुर तहसील स्थित सांवलोदा शेखावतान निवासी वीरांगना मधू शर्मा अपनी चारों बेटियों और बेटे को लेकर गांव आ गई। शहीद सूबेदार (धर्मगुरु) पूरणमल शर्मा सियाचीन ग्लेशियर में पोस्टेड थे। उस समय परिवार ग्लेशियर के नीचे बने क्वॉटर्स में रहता था। ऑपरेशन मेघदूत में सन 2009 की लड़ाई में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए पूरणमल शहीद हो गए।कैप्टन अंजू जम्मू कश्मीर में तैनातबच्चों की पढ़ाई के लिए मां 5 महीने बाद ही गांव से बच्चों को लेकर जयपुर किराए के मकान में रहने लगीं। तीसरे नंबर की बेटी अंजू ने जबलपुर से एमबीबीएस किया। एमबीबीएस करने के बाद पहले चांस में अंजू आर्मी मेडिकल कोर के कैप्टन पद पर चयनित हुई। उसने 25 जून 2017 को जयपुर में ज्वाइन किया। वर्तमान समय में कैप्टन अंजू शर्मा जम्मू कश्मीर के नौसेरा में कार्यरत है। अंजू का कहना है कि पिता शहीद पूरणमल चाहते थे कि बेटियां भी सेना में जाएं। सबसे बड़ी बहन सावित्री शर्मा की 2013 में शादी हो गई। उन्होनें कैमेस्ट्री से एमएससी कर रखी है। बड़ी बहन सविता शर्मा पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति पर कनिष्ठ लिपिक के पद पर जयपुर कलक्ट्रेट में नौकरी कर रही हैं। छोटी बहन ज्योति शर्मा जयपुर से सीविल सर्विस आरएएस की तैयारी कर रही है। भाई मनीष शर्मा कक्षा 11 में अध्ययनरत हैं।
- Advertisement -
- Advertisement -
- Advertisement -