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तीन साल में सरकार ने वसूले दो हजार करोड़, फिर भी आवारा पशुओं के मामले में राजस्थान नम्बर 1

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आशीष जोशीसीकर. राज्य सरकार हाईकोर्ट में गायों के नाम पर वसूली टैक्स की राशि और खर्च का हिसाब देने से बच रही है। बार-बार मोहलत मांगी जा रही है, लेकिन जवाब देते नहीं बन रहा। दरअसल, गत 2 सितंबर को जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को राजस्थान गौ संरक्षण एवं प्रवर्धन कोष नियम, 2016 के प्रावधानों के तहत एकत्र फंड व खर्च का विवरण पेश करने के आदेश दिए थे। सरकार ने जानकारी देने के लिए समय मांगा। अगली सुनवाई पर 28 सितम्बर को भी सरकार पूरा जवाब पेश नहीं कर पाई। कोर्ट ने एक बार फिर सरकार को दो सप्ताह की मोहलत देते हुए 25 अक्टूबर को पूरा विवरण देने के आदेश दिए हैं।सरकार कैसे जवाब दे, हकीकत न केवल बेहद चौंकाने वाली है, बल्कि सरकार की मंशा भी कठघरे में लाने जैसी है। सरकार ने गत तीन वर्षों में अब तक गो सेस के नाम पर 2000 करोड़ से ज्यादा की राशि एकत्रित की है। वहीं सरकार दो साल बाद भी बजट घोषणा अनुसार अब तक प्रत्येक पंचायत समिति पर नंदी शाला नहीं खोल सकी है। सडक़ों पर अब भी बेसहारा गायें और नंदी आवारा विचरण कर रहे हैं। जिनसे लगातार हादसे हो रहे हैं और कई लोगों की मौत तक हो चुकी है।——————गत भाजपा सरकार ने शुरू किया था गौ सेसगत भाजपा सरकार ने गौसंरक्षण एंव संवर्धन निधि नियम, 2016 अंतर्गत स्टाम्प ड्यूटी पर 10 प्रतिशत की दर से अधिभार एवं शराब बिक्री के वैट पर 20 प्रतिशत अधिभार लगाकर निधि का सृजन किया था।——————–गायों के नाम पर सरकार ने यों भरा खजानावर्ष — स्टाम्प ड्यूटी पर अधिभार से — शराब बिक्री के वेट पर अधिभार से — गौ सेस से प्राप्त कुल राजस्व2018-19– 26613.05– 27011.63–53624.682019-20– 29197.92— 42468.25– 71666.172020-21–34979.32 –38944– 73923.32(राशि लाखों में, मार्च 2021 तक तीन वर्षों में गो सेस से कुल अर्जित राजस्व : 199214.17 लाख।)—————————-देश में घटे, प्रदेश में बढ़े आवारा पशुराजस्थान आवारा पशुओं के मामले में देश में सबसे आगे है। 2019 की पशुगणना के अनुसार यहां 12 लाख 72 हजार 277 आवारा पशु हैं। वर्ष 2012 की तुलना में प्रदेश में करीब सवा तीन लाख आवारा पशु बढ़े हैं। वर्ष 2012 में राजस्थान आवारा पशुओं के मामले में तीसरे पायदान पर था। इसके बाद सुधार की बजाय स्थिति बिगड़ी और हम उत्तर प्रदेश और उड़ीसा को पछाड़ सबसे आगे आ गए। देश में 2012 मेें 52,87,767 आवारा पशु थे, जो 2019 में 50,21,587 रह गए।—————————आंकड़ों में समझें पीड़ा- 4,52,743 गौवंश ने दम तोड़ा प्रदेश की गौशालाओं में पांच साल में- 3,26,227 आवारा पशु बढ़े सात सालों में राज्य में- 02 करोड़ से ज्यादा का प्रतिदिन टैक्स वसूलती है सरकार गायों के नाम पर————————–एक्सपर्ट व्यू: गायों पर खर्च नहीं हो रहा गौ सेस का पूरा पैसागौ सेस से बड़ा फंड मिल रहा है, लेकिन सरकार पूरे पैसे खर्च नहीं कर रही। पंचायत समिति स्तर पर नंदीशाला खोलने का ऐलान किया था, अब तक कहीं भी शुरू नहीं हुई। पिछली सरकार के समय आधार कार्ड की तर्ज पर निराश्रित पशुओं को यूआइडी नंबर जारी करने की योजना बनी थी। वह भी फाइलों में दबी है। इसके जरिए सडक़ पर घूमने वाले निराश्रित पशुओं का आसानी से पता लगाया जा सकता है कि वह किसका है। प्रदेश में गौ अभ्यारण्य बनाने की पहल करनी चाहिए। इससे प्रदेश की छवि सुधरेगी व पूरे देश में अच्छा संदेश जाएगा।दिनेश गिरी महाराज, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान गौ सेवा समिति

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