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बने एज्युकेशन जोन तो शिक्षानगरी की उम्मीदों को लगे पंख

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सीकर.शिक्षानगरी सीकर की अर्थव्यवस्था में 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा शिक्षण संस्थाओं का है। इसके बाद भी सरकार सीकर में एज्युकेशन कॉरिडोर के सपने को पूरा नही कर पा रही है। पिछले दस साल में भाजपा व कांग्रेस की ओर से चुनावी सभाओं में भी इसकी घोषणा भी की जा चुकी है। जयपुर व कोटा में एज्युकेशन कॉरिडोर के लिए जमीन तय होने के साथ भूखंड भी आवंटित हो गए है। लेकिन सीकर में अभी तक योजना का खाका भी नहीं खींच सका है। जबकि वर्ष 2031 तक की आवश्यकताओं के हिसाब से बने मास्टर प्लान में भी इसका प्रावधान किया हुआ है। एज्युकेशन कॉरिडोर बनने से शिक्षण संस्थाओं के साथ शहरवासियों की उम्मीदों को भी पंख लग सकेंगे। वही शहर का नियोजित विकास भी हो सकेगा। एक्सपर्ट का मानना है कि बाहरी इलाके में एज्युकेशन जोन बनने से रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेगी।
मास्टर प्लान में प्रावधान:मास्टर प्लान के हिसाब से शहर में एज्युकेशन जोन के लिए तीन प्रस्ताव सुझाए गए थे। इसके अनुसार जयपुर-झुंझुनूं बाईपास, कटराथल व जगमालपुरा योजना क्षेत्र में दीनारपुरा मार्ग पर जमीन आवंटन के प्रस्ताव तैयार किए गए थे। इसके बाद कांग्रेस के पिछले शासन में शिक्षण संस्थाओं को अलग से जमीन आवंटन के प्रस्ताव का खाका भी तैयार हुआ था। लेकिन आवंटित होने वाली जमीन की किस्म परिवर्तन का काम पूरा नहीं होने की वजह से प्रस्ताव अटक गया था।
ऐसे मिलेगा शिक्षानगरी को फायदा:
1. नियोजित विकास:
स्कूल, कोचिंग व कॉलेज सहित अन्य शिक्षण संस्थ एक ही परिसर में होने से शिक्षानगरी का नियोजित विकास हो सकेगा। शहर कई कॉलोनियों के बीच में सैकड़ों छात्रावास संचालित हो रहे हैं। जबकि वहां सीवरेज व डे्रनेज सहित अन्य मुलभूत सुविधाएं भी नहीं है। नए विजन के साथ एज्युकेशन कॉरिडोर बनने से शहरवासियों को भी फायदा मिलेगा।
2. जाम से मुक्ति:शहर की 60 से अधिक स्कूल-कॉलेज व 25 कोचिंग शहर के मुख्य शहर में आ चुकी है। सुबह व दोपहर को कई बार जाम के हालात भी बन जाते है। ऐसे में यदि अब शिक्षण संस्थाओं के लिए अलग से जोन बनाया जाता है तो शहरवासियों को जाम से काफी हद तक राहत मिल सकेगी।
3. पार्क, मार्केट सहित अन्य सुविधा भी नजदीक:
पढ़ाई व परिणाम के मामले में शिक्षानगरी ने प्रदेश के कई शहरों को पीछे छोड़ दिया है। सघन आबादी क्षेत्र में कई शिक्षण संस्थाओं के होने की वजह से पार्क सहित अन्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा विद्यार्थियों को कई क्षेत्रों में खरीददारी के लिए अभी भी शहर या मुख्य मार्गो पर आना पड़ता है। पढ़ाई के साथ बेहतर सुविधाएं मिलेगी तो यहां विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ेगी। इसका सीधा-सीधा असर यहां की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।
चारागाह भूमि में किस्म परिवर्तन के साथ जल्द पूरे होंगे अरमानशिक्षानगरी के बढ़ते स्वरुप को देखते हुए मास्टर प्लान में शैक्षिक जोन का प्रावधान किया गया है। चारागाह भूमि में किस्म परिवर्तन होते ही शिक्षानगरी की इस उम्मीद को पंख लग सकेंगे।इन्द्रजीत सिंह, सचिव, यूआईटी, सीकर
यह बोले,शिक्षण संस्थाओं के संचालक
गुणात्मक विकास के लिए एज्युकेशन जोन जरूरी
शिक्षानगरी सीकर के गुणात्मक विकास के लिए एज्युकेशन जोन बनना आवश्यक है। देश के नक्शे में शिक्षा के हिसाब से सीकर की अलग पहचान है। सरकार को इच्छा शक्ति दिखाते हुए एज्युकेशन जोन के प्रस्ताव को मंजूरी दिलानी चाहिए जिससे शिक्षानगरी में रोजगार की संभावनाएं और बढ़ सके।
हरिराम रणवां, पूर्व अध्यक्ष, सीकर यूआईटी
एज्युकेशन कोरिडोर से बढ़ेंगे रोजगार के अवसरएज्युकेशन कोरिडोर के प्रस्ताव पर मुहर लगती है तो शहर में रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे। विद्यार्थियों को खुले वातावरण में रहने का मौका मिल सकेगा। शहरवासियों को इस प्रस्ताव से राहत मिलेगी। अभी तक शिक्षण संस्थाएं अपने-अपने क्षेत्रों में अपनी क्षमता के हिसाब से नियोजित है। कोरिडोर बनने से शिक्षण संस्थाएं भी नियोजित तरीके से बस सकेगी। इसके सुनहरे दूरगामी परिणाम भी आएंगे।डॉ. पीयूष सुण्डा, सीकर
शिक्षानगरी की धाक और मजबूत होगीसीकर में कई राज्यों के विद्यार्थी पढ़ाई के लिए आ रहे हैं। पढ़ाई के साथ विद्यार्थियों को मूलभूत सुविधाएं और भी बेहतर तरीके से मिले तो वह यहां से अच्छा संदेश लेकर जाएंगे। सरकार यदि सीकर में शिक्षण संस्थाओं के लिए अलग से जमीन आवंटित कर जोन बनाती है तो सभी के लिए काफी राहत मिलेगी। इससे शिक्षानगरी की देशभर में धाक और मजबूत हो सकेगी।इंजीनियर साहिल चौधरी, सीकर

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