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किसी की बिगड़ी राइटिंग तो कोई भूल गया गुणा-भाग

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सीकर.कोरोना की वजह से अब भले ही सब कुछ अनलॉक की तरफ बढऩे लगा हो लेकिन बच्चों के लगातार डेढ़-दो साल नहीं आने का असर अब सामने आने लगा है। जीएसजेके संस्थान की ओर से बच्चों की बदली हुई आदतों को लेकर सर्वे किया। इसमें कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए है। शेखावाटी के 65 फीसदी विद्यार्थी अब दो घंटे बाद ही रूकूल में बोर होने लगे है। क्योंकि कोरोना की वजह से बच्चों की लंबे समय तक एक जगह बैठने की क्षमता लगभग खत्म हो गई है। ऑलनाइन क्लासों में सरकारी से निजी स्कूलों के 80 फीसदी से अधिक विद्यार्थी पूरी तरह स्मार्ट हो गए है। कम्प्यूटर व एन्ड्राइड मोबाइल पर क्लास लेने की वजह से शेखावाटी के विद्यार्थी आईटी फ्रेण्डली भी हो गए है। 61 फीसदी से अधिक विद्यार्थियों की कोरोना में ऑनलाइन क्लास लेने और गृहकार्य पर कम फोकस होने की वजह से हैण्ड राईटिंग बिगड़ गई है। कुछ बच्चे ऐसे है जो कोरोनाकाल में पूरी तरह रिलेक्स मूड में रहे वह जोड़-बाकी से लेकर गुणा-भाग भी भूल चुके है।
ऐसे समझें सर्वे को
किन क्लास के बच्चों पर सर्वे: कक्षा एक से आठसर्वे में कितने सरकारी स्कूल शामिल: 110सर्वे में कितने निजी स्कूल: 90कितने विद्यार्थियों पर किया सर्वे: 25 हजारकितने शिक्षकों से लिया फीडबैक: 600सिटिंग कैपेसिटी पर असर: 65 फीसदीअभी भी स्कूल नहीं जाने वाले विद्यार्थी: 20 फीसदीऑनलाइन कक्षाओं की वजह से आइटी में स्मार्ट हुए: 80 फीसदीकोरोनाकाल में होम ट्यूशन लिया: 88 फीसदी नेहैण्ड राईटिंग खराब हुई: 61 फीसदीशैक्षिक स्तर कमजोर होने से क्लास रिपिट करेंगे: 7 फीसदीकोरोना में बच्चों के प्रमोट होने से संतुष्ट अभिभावक: 78 फीसदी
कोरोना की वजह से बच्चों में यह आया असर
1. स्कूल जाने की आदत: 17 फीसदी देरी से पहुंच रहे बस स्टॉप
कोरोना की वजह से बच्चों के देरी से सोने और देरी से जागने की आदत आ गई है। अभी भी शेखावाटी के 17 फीसदी विद्यार्थी रोजाना दो से दस मिनट की देरी से सुबह बस स्टॉप पर पहुंच रहे हैं। 25 फीसदी ऐसे भी सामने आए जो शुरूआती दस दिनों में देरी से जागने की वजह से दो दिन तक स्कूल नहीं जा सके।
2. पढ़ाई व होमवर्क: फोटो स्टेट के भरोसे होमवर्कस्कूल जाने के बाद भी होमवर्क से अभी भी 38 फीसदी से अधिक विद्यार्थी कतरा रहे हैं। दो-चार चैप्टर पीछे होने पर विद्यार्थियों की ओर से फोटो स्टेट का सहारा लिया जा रहा है। खुद एक्सपर्ट का मानना है कि कुछ विद्यार्थी तो ऐसे है जिनका आधा होमवर्क फोटोस्टेट पर टिका है।
3. गेम्स: मोबाइल पर सबसे ज्यादा समय
ऑनलाइन क्लास की वजह से पिछले डेढ़ साल बच्चों के हाथ में घंटों मोबाइल रहा। ऐसे में बच्चों के खेलकूद की जगह भी गेम्स ने ले ली। अनलॉक होने के बाद भी शहरी क्षेत्र के 65 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र के 48 फीसदी विद्यार्थी आउटडोर गेम्स की बजाय मोबाइल पर गेम्स खेलते हैं। बच्चों का मोबाइल पर गेम्स खेलने का समय दो से पांच घंटे तक भी है। 25 फीसदी विद्यार्थियों ने मूवी देखने को मनोरंजन का जरिया बनाया है।
4. खानपान: हर दो घंटे में भूख, स्कूल में भी लंच से पहले खुल रहे टिफिनबच्चों में खानपान की बदल भी पूरी तरह बदल गई है। लगभग 49 फीसदी बच्चे ऐसे है जिनको लगातार घर रहने की वजह से हर दो घंटे में भूख लगने लगी है। इस वजह से कुछ विद्यार्थी लंच से पहले ही टिफिन खोलने पर मजबूर है। 41 फीसदी से अधिक विद्यार्थियों में मोटापा भी बढ़ा है।
एक्सपर्ट पैनल: बच्चों को प्यार से समझाए, कुछ भी थोपे नहीं
बच्चों की आदतों में काफी बदलाव सामने आए है। कुछ बच्चे लंबे समय तक क्लास में बैठना पसंद नहीं कर रहे हैं और कई की हैण्ड राईटिंग भी बदल गई है। लगातार प्रयास से सभी सुधार संभव है। इसलिए बच्चों को प्यार से समझाए कुछ भी बच्चों पर नहीं थोपे। शिक्षकों के प्रयास के साथ परिजनों की सहभागिता भी आवश्यक है। कोरोना की वजह से बच्चे ऑनलाइन क्लास में पूरी तरह स्मार्ट हुए है।
पूनम चौहान, बाल शिक्षा से जुड़े मामलों की एक्सपर्ट
शिक्षकों की जिम्मेदारी सबसे ज्यादाकोरोना की वजह से स्कूल बंद थी, लेकिन बच्चों में स्कूल जाने की काफी ललक थी। कोरोना की वजह से बच्चों में काफी बदलाव सामने आए है। ऐसे में अब शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों के भविष्य के लिए और ज्यादा भागीदारी निभाएं।
विमला महरिया, डाइट रिसर्च टीम मेम्बर, सीकर
भावनात्मक रूप से मजबूत हुआ, अब खेलों पर फोकस ज्यादाकोरोनाकाल में बच्चों के घर रहने से भावनात्मक विकास हुआ है। बच्चों का समुदाय से जुड़ाव भी बढ़ा है। लेकिन बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान शारीरिक स्थितियों को लेकर हुआ है। कुछ बच्चों में बजन भी बढ़ा है। अब पढ़ाई के साथ खेलों पर भी फोकस कराया जा रहा है जिससे मानसिक तनाव कम हो।
संजीव कुल्हरी, एक्सपर्ट, सीकर

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