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पहले दूध से कर्जदार बने गुरूजी अब वाहन योजना की मुसीबत

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सात महीने से नहीं मिला ट्रांसपोर्ट वाउचर का पैसा400 से अधिक स्कूलों में लगे हैं बच्चों के लिए वाहनसीकर. स्कूलों में बच्चों को दूध पिलाकर कर्जदार हुए शिक्षकों के सामने अब ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना भी मुसीबत बन गई है। जिले के सरकारी स्कूलों में सात महीने से ट्रांसपोर्ट वाउचर का पैसा नहीं मिल रहा है। इस वजह से 15 हजार स्कूली विद्यार्थियों के अलावा संस्था प्रधानों की मुसीबत बढ़ गई है। इस सत्र में स्कूलों तक एक भी पैसा नहीं पहुंचा है। जिले में करीब सवा दो करोड़ रुपए का बजट बकाया चल रहा हैं। सरकार की इस योजना से नामांकन में भी अच्छी वृद्धि हुई। लेकिन हर महीने इन वाहनों का किराया चुकाना शिक्षकों के लिए भारी पड़ रहा हैं।योजना के मापदंडयोजना का फायदा कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को मिलता हैं। इनके लिए अलग से बजट जारी किया जाता है। जिन गांवों, कस्बों और ढाणियों में स्कूल का संचालन नहीं किया जा रहा है। वहां के बच्चों को एक किमी से अधिक दूरी तय करने पर किराया राशि दी जाती हैं। यह राशि समसा कार्यालय से स्कूलों तक पहुंचती हैं। योजना का फायदा बच्चों को कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को स्कूल की दूरी 1 किमी से ज्यादा होने पर और कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को स्कूल की दूरी 3 किमी से दूर होने पर फायदा मिलता है। इसी प्रकार कक्षा 9 से 12 के लिए दूरी का प्रावधान 5 किमी से ज्यादा रखा गया है। 5वीं तक के प्रत्येक बच्चों को उपस्थिति के आधार पर 10 रुपए और कक्षा 6 से 8 तक के बच्चें को उपस्थिति के आधार पर 15 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से दिए जाते हैं।कमजोर होगी नामांकन की डोरस्कूल की दूरी घर से ज्यादा होने पर सरकार द्वारा स्कूली बच्चों को वाहन किराया उपलब्ध कराया जाता हैं। योजना के तहत बच्चों को स्कूल लाने ले जाने के लिए प्रदेश में सबसे ज्यादा वाहन सीकर जिले में लगे हुए हैं। पढ़ाई के साथ योजना की मदद से ही जिले के सरकारी स्कूल नामांकन में हर साल निजी स्कूलों को टक्कर दे रहे है। योजना के तहत स्कूलों में 4 सौ से अधिक वाहन किराए पर लगे हुए है। समय पर वाहन मालिकों को किराया नहीं मिलने के चलते वो इन दिनों अपनी मनमानी चला रहे हैं। इसका बच्चों की पढ़ाई पर सीधा असर पड़ रहा हैं। बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न होते देख अभिभावक भी स्कूल व्यवस्थाओं पर सवाल उठा रहे हैं। आने वाले स में इसका खामियाजा सरकारी स्कूलों को भुगतना पड़ सकता है।इनका कहना है किइस सत्र के नामांकन से शाला पोर्टल अपडेट नहीं है। ट्रांसपोर्ट वाउचर से जुड़े विद्यार्थियों की संख्या जयपुर से पोर्टल अपडेट होने के बाद ही हम देख सकते है। अप्रेल 2019 तक का भुगतान स्कूलों में हो चुका है। इस सत्र में योजना के बजट की मांग संख्या के आधार पर भेजी जाएगी।रिछपाल सिंह, एडीपीसी समसा, सीकर

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