नरेंद्र शर्मा. सीकर. देवउठनी एकादशी पर रविवार को शहर में एक अनोखा विवाह हुआ। यह विवाह था नगरधणी गोपीनाथ राजा का। इसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई हैं। रविवार को गोपीनाथ राजा दधीची नगर में तुलसाजी को ब्याहने आए। शनिवार को तिलकोत्सव हुआ। इधर, तुलसाजी के यहां मंगलगीतों का आयोजन किया गया। रविवार को सुबह बान, चाकभात तथा शाम को विवाह संस्कार सम्पन्न किया गया। इससे पहले शनिवार दोपहर में दधीची नगर से दर्जनों लोग तिलक लेकर गोपीनाथ मंदिर गए। वहां तिलकोत्सव का आयोजन किया गया। तुलसीजी का ब्याह दधीची नगर निवासी बजरंग कुमार पवन कुमार घाटवावालों ने करवाया। सोमवार को बेटी ढेर सारा दायजा देकर विदा किया जाएगा।क्या है तुलसी विवाह हिन्दू पुराणों में तुलसीजी को विष्ण्ुप्रिया कहा गया है। विष्णु जी की पूजा में तुलसी दल यानि तुलसी के पत्तों का प्रयोग अनिवार्य माना जाता है। इसके बिना विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। दोनों को हिन्दू धर्म में पति व पत्नी के रूप में देखा जाता है। मान्यतानुसार कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन तुलसी जी और विष्णु जी का विवाह कराने की प्रथा है। 300 साल से चली आ रही है परम्परायूं तो तुलसी व शालिग्राम का विवाह वैदिक काल से होता आया है, लेकिन सीकर में गोपीनाथ राजा के मंदिर की स्थापना से ही यह परम्परा चली आ रही है। गोपीनाथ मंदिर के महंत ने बताया कि इसके अलावा जिस घर में कन्या नहीं होती, वहां लोग तुलसी का विवाह भगवान के साथ रचाते हैं। ताकि थळी कुंवारी न रहे। तुलसी विवाह में तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति या शालिग्राम पाषाण का पूर्ण वैदिक रूप से विवाह कराया जाता है।
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