अमेरिका के टेक्सस राज्य के ह्यूस्टन शहर में प्रधानमंत्री मोदी जिस कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे उसी कार्यक्रम में अमेरिकी संसद के निचले सदन,हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में बहुमत के नेता और डेमोक्रेट सांसद, स्टेनी एच होयर जब प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में अपना भाषण दे रहे थे, उस समय उन्होंने गांधी और नेहरू की धर्मनिरपेक्ष सोच और राजनीति की बात की.
स्टेनी होयर ने भारतीय प्रवासियों के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि, अमेरिका की तरह भारत भी अपनी गौरवशाली परंपराओं पर गर्व करता है, जिससे वह अपने भविष्य को गांधी की शिक्षा और नेहरू की उस सोच जिसमें भारत को धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र बनाने की बात है,उसका बचाव कर सकें. जहां प्रत्येक व्यक्ति और उसके मानवाधिकारों का सम्मान किया जाएगा.
प्रधानमंत्री मोदी के इस कार्यक्रम की सोशल मीडिया से लेकर भारतीय मीडिया जगत तक खूब चर्चा हुई और प्रचार किया गया, लेकिन जिस तरीके से इस कार्यक्रम में गांधी और नेहरू के विचारों को अहमियत, अमेरिकी सांसद द्वारा दिया गया उससे साफ पता चलता है कि, भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी अपनी तरफ से लाख कोशिश कर लें, भारतीय जनता के सामने नेहरू को कितना भी विलेन साबित कर ले, अपनी हर नाकामी के लिए नेहरू को कितना भी जिम्मेदार बता लें , नेहरू से कितनी भी नफरत कर लें, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेहरू की जगह सावरकर, दीनदयाल, गोलवलकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और गोडसे जैसे लोगों को नहीं दे सकते.
अमेरिकी सांसद स्टेनी होयर ने कहा कि, भारत को नेहरू और गांधी की विरासत पर गर्व होना चाहिए. यह नेहरू की ही सोच थी, जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बन सका और अमेरिका के साथ बेहतर रिश्ते बने. यह सब बातें स्टेनी होयर जब बोल रहे थे उस समय प्रधानमंत्री मोदी ठीक उनके बगल में खड़े थे और उनको सुन रहे थे. इतना ही नहीं अमेरिकी सांसद ने नेहरू के दृष्टिकोण की बात एक से ज्यादा बार की.
उन्होंने कहा कि भारत ने नेहरू के विजन के जरिए खुद को एक सुरक्षित लोकतंत्र बनाए रखा. उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां बहुलतावाद और प्रत्येक भारतीय के मानवाधिकार सुरक्षित है.
अमेरिका के इस नेता ने, पंडित नेहरू के भारत की आजादी के समय के मध्य रात्रि के भाषण को भी बखूबी याद किया, उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा प्रत्येक आंख के आंसू पूछे जाने की बात का भी उल्लेख किया. महात्मा गांधी ने कहा था कि, जब तक लोग दुखी हैं और उनकी आंखों में आंसू है तब तक हमारा काम पूरा नहीं हुआ.
जिस तरीके से प्रधानमंत्री मोदी के ठीक सामने गांधी-नेहरू के विचारों का,गांधी नेहरू के भारत का उल्लेख हुआ, उससे साफ पता चलता है कि, भारत में भले ही नेहरू के विचारों को मिटाने की कोशिश की जा रही हो,भारत में नेहरू के प्रति भले नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही हो लेकिन अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश में भी नेहरू के विचारों को संजो कर रखा गया है.
प्रधानमंत्री मोदी लगातार अपने भाषणों में देश की हर नाकामी के लिए नेहरू को जिम्मेदार बताते रहते हैं, जिस तरीके से अमेरिका में नेहरू के विचारों का जिक्र हुआ है,उससे प्रधानमंत्री मोदी को भी पता चला होगा कि वह नेहरू के विचारों को मिटा नहीं सकते. उनकी जगह पर सावरकर और बाकी तमाम अपनी विचारधारा के नेताओं को कभी नहीं ला सकते.
अमेरिकी मीडिया में गांधी- नेहरू के विचारों की चर्चा है और भारतीय मीडिया गांधी नेहरू के जिक्र को गोल कर गई है.
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राष्ट्र के विचार
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