अलवर. अलवर के अनाथ बालिका गृह में रहने वाली 11 साल की बालिका को हर साल रक्षाबंधन ( rakshabandhan ) का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। यह वह दिन होता है जब वह अपने दो बिछुडे हुए भाइयों से मिलती है। वह दो साल बाद जयपुर जाकर अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधेगी।
अलवर शहर के आरती बालिका गृह में रहने वाली 11 साल की बालिका जब मात्र 7 साल की थी तो कोटा में वह अपने भाइयों के साथ माता पिता से बिछुड गई थी। तब भाइयों की उम्र मात्र 5 और 4 साल की थी। तब से ये तीनों अलग अलग बालगृहों में ही रह रहे हैं।
अलवर बाल कल्याण समिति के अथक प्रयासों के बाद इस बालिका के दो भाइयों को खोजा गया । करीब दो साल पहले यह बालिका अपने भाइयों से मिली। इस बार वह चाहती है कि रक्षाबंधन का पर्व वह अपने भाइयों के साथ मनाए। बाल गृह की संचालिका मीरा सैनी ने बताया कि बच्ची बताती है कि बस स्टैंड पर पुलिस ने जब पता पूछा तो इन्होंने किशनगढ़ का पता बताया। पुलिस ने अलवर जिले का किशनगढबास समझते हुए बच्चों को चाइल्ड लाइन के माध्यम से अलवर पहुंचा दिया। पहले बच्ची को केडलगंज के चेरिटी ऑफ मिशनरीज में रखा गया और दो छोटे भाइयों को विराटनगर बचपन बचाओ संस्था की ओर से चलने वाले बालगृह में रखा गया। यहां से दोनों भाइयों को जयपुर में पीतल फैक्ट्री के पास चलने वाले एसओएस बालगृह में भेज दिया गया।
एसओएस से जवाब नहीं आया
बालिका रक्षाबंधन पर अपने भाइयों को राखी बांधना चाहती है । इसके लिए बाल कल्याण समिति जयपुर को पत्र लिखकर उनसे बच्चों को अलवर लाने का आग्रह किया गया है। दो साल पहले अलवर बाल कल्याण समिति ने इन भाई बहनों को मिलवाया था। लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं आया है। इसलिए बच्ची को रक्षाबंधन पर जयपुर ले जाया जाएगा।दया गर्ग, सदस्य, बाल कल्याण समिति अलवर।
चार साल पहले अपने परिवार और भाइयों से बिछड़ गई थी बालिका, अब इस बार रक्षाबंधन पर भाई को बांधेगी रक्षासूत्र
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