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वाजपेयी पुण्यतिथि: राजस्थान में विसर्जित हुईं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां

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जयपुर।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी बाजपेयी की आज प्रथम पुण्य तिथि है। काल के कपाट पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले अटल जी आज भी सब के दिलों में जिन्दा है ओर रहेंगे। अटल जी का राजस्थान से भी गहरा नाता रहा है। और इसी लिए अटल जी अस्थियों का एक कलश राजस्थान के प्रयाग बेणेश्वर धाम में विसर्जित की गई थी।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश बांसवाड़ा जिले के कहे जानें वाले बेणेश्वर धाम में विसर्जित की गई। अटल जी की अस्थियों का कलश विधि-विधान के साथ आबुदर्रा के घाट पर विसर्जित किया गया था। अस्थि कलश यात्रा में प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, प्रदेश उपाध्यक्ष चुन्नीलाल गरासिया, राज्यमंत्री सुशील कटारा, सांसद अर्जुनलाल मीणा एवं मानशंकर निनामा, विधायक देवेन्द्र कटारा व अनिता कटारा, जिला प्रमुख माधवलाल वरहात, भाजपा जिलाध्यक्ष वेलजी भाई पाटीदार, पूर्व जिलाध्यक्ष हरीशचन्द्र पाटीदार, महामंत्री सुदर्शन जैन व अशोक पटेल, युवा मोर्चा अध्यक्ष पंकज जैन, मीडिया प्रभारी किरणेश्वर चौबीसा आदि शामिल हुए थे।

कंसारा ने कराया था मुंडनवाजपेयी के अस्थि विसर्जन के दौरान भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता प्रभुलाल कंसारा काफी भावूक हो गए तथा उन्होंने यहां मुण्डन करा कर श्रद्धाजंलि अर्पित की। बता दें की गांव-गांव में निकली कलश यात्रा कलश यात्रा निकली गयी थी।
लोगों ने किए पुष्प अर्पितकलश यात्रा के गांवों से गुजरने पर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए तथा उन्होंने पुष्प अर्पित किए गए थे। बड़ी संख्या में लोग एकत्रित बेणेश्वर धाम पर आबुदर्रा घाट के पास ही भाजपा संगठन की ओर से टेंट एवं कुर्सियां लगवाई गई थी। डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा दोनों ही जिलों से बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता एवं आमजन एकत्रित हुए।
 वागड़ प्रयाग है बेणेश्वर धामजिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित बेणेश्वर धाम सोम एवं माही नदियों का संगम स्थल है तथा कई पौराणिक शास्त्रों की इसकी महिमा का गान किया है। स्कंद पुराण में बेणेश्वर धाम को तीर्थराज की उपमा दी है। साथ ही भीम के पौत्र एवं घटोत्कच के पुत्र बर्बरिक के यहां तपस्या करने का भी उल्लेख है। स्वयं शनि देव एवं नारद मुनि ने भी यहां की उपासना करने पर अनंत फल प्राप्ति की बात कही है।
अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं की रचना में से एक कविता की पंक्तियाँ इस तरह है –
गीत नया गाता हूँ…
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर ,पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,झरे सब पीले पात,कोयल की कूक रात,प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं।गीत नया गाता हूँ।टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।हार नहीं मानूँगा,रार नहीं ठानूँगा,काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ।गीत नया गाता हूँ।

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