सीकर. पहले कोरोना और फिर प्रदेश में मचे सियासी घमसान ने प्रभारी मंत्रियों को प्रभार वाले जिलों से दूर कर दिया। जैसे-तैसे प्रदेश में सियासी घमासान थमा तो अब आचार संहिता ने नेताजी के दौरों पर ब्रेक लगा दिया। सरकार ने पिछले दिनों प्रभारी मंत्रियों के प्रभार वाले जिले भी बदल दिए। ऐसे में जिन जिलों में प्रभारी मंत्रियों को लेकर थोड़ी नाराजगी थी वहां के लोगों में आस जगी। लेकिन निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि प्रभारी मंत्री जिलास्तरीय अधिकारियों की बैठक नहीं ले सकते हैं। ऐसे में प्रभारी मंत्री चाहते हुए भी अपने-अपने जिलों के दौरे नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में प्रभारी मंत्री फोन के जरिए ही इलाके के लोगों की पीड़ा सुन रहे हैं। प्रभारी मंत्रियों के दौरे अटकने की वजह से आमजन की आस अटकी हुई है। गौरतलब है कि पिछले दिनों कांग्रेस के संवाद कार्यक्रम में भी कार्यकर्ताओं ने प्रभारी मंत्रियों के दौरे और जनसुनवाई को और ज्यादा प्रभावी बनाने की बात कही थी।
प्रभारी मंत्री आए तो इन मुद्दों की निकलें राह
मेडिकल कॉलेज:जिले में लगातार कोरोना के मामले बढऩे के बाद भी मेडिकल कॉलेज को अनुमति नहीं मिली है। सरकार सीकर मेडिकल कॉलेज को शुरू करने की कई बार घोषणा कर चुकी है। जिले के पिछले प्रभारी मंत्री ने भी भी खूब दावे किए लेकिन मेडिकल कॉलेज धरातल पर नहीं आ सका। ऐसे में आमजन को मेडिकल कॉलेज का इंतजार है।
हर्ष की टूटी सड़क:
हर्ष पर्वत की टूटी सड़क भी जिले का बढ़ा मुद्दा है। विधानसभा चुनाव के दौरान हर्ष पर रोपवे के दावे किए गए। लेकिन अब तो टूटी सड़क की वजह से प्रशासन ने वाहनों का आवागमन ही बंद कर दिया। ऐसे में जिले के लोग प्रभारी मंत्री को हर्ष पर्वत के दर्द को लेकर भी रूबरू होना चाहते हैं।
कुम्भाराम लिफ्ट पेयजल योजना:जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में पेयजल बड़ी समस्या है। कांग्रेस सरकार अभी तक पेयजल योजना की डीपीआर भी नहीं बनवा सकी है। ऐसे में अगले गर्मियों के सीजन में फिर बड़ी समस्या बनेगा। जिले की छोटी पेयजल योजनाओं को भी बजट की मंजूरी नहीं मिल रही है। ऐसे में नए प्रभारी मंत्री से सीकर जिले की जनता को अटके हुए पेयजल प्रोजेक्टों को मंजूरी दिलाने की भी आस है।
रसीदपुरा प्याज मंडी:
पिछली भाजपा सरकार के समय रसीदपुरा में प्याज मंडी बनकर तैयार हो गई थी। लेकिन आचार संहिता की वजह से भाजपा राज में प्याज मंडी का उद्घाटन नहीं हो सका। कांग्रेस सत्ता में आने के बाद उद्घाटन की योजना बनाती रही। इस दुकान आंवटन सहित अन्य मुद्दों को लेकर पेंच उलझ गया। सरकार अब तक प्याज मंडी शुरू नहीं करा सकी। इस कारण लोगों में काफी नाराजगी है।
नवलगढ़ पुलिया फोरलेन:विधानसभा चुनाव में नवलगढ़ पुलिया को फोरलेन करने का मामला भी काफी गूंजा था। पिछली सरकार के समय इसकी डीपीआर की घोषणा हुई थी। लेकिन आचार संहिता की वजह से डीपीआर नहीं बन सकी थी। पुलिया के फोरलेन नहीं होने की वजह से शहर में दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है।
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