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पिता ने दिखाई राह तो बेटे-बेटियों ने किया संघर्ष अब तीनों प्रशासनिक सेवा में

सीकर.शादी के बाद पढ़ाई और कॅरियर को लेकर समाज में अलग तरह के मिथक बन गए है। लेकिन शेखावाटी की बेटियों ने इन मिथकों को आरएएस भर्ती के परिणाम में पूरी तरह तोड़ दिया है। आरएएस भर्ती के परिणाम में टॉप रैंक हासिल करने वाली सीकर की बहू मुक्ता राव ने जहां शादी के लगभग 14 साल तक अपने सपने के लिए संघर्ष जारी रखा और आरएएस के परिणाम में इस बार इतिहास रच दिया। इसी तरह की संघर्षभरी कहानी है चूरू जिले के हमीरबास गांव के तीन भाई-बहिनों की। इनके पिता का बचपन से सपना था बच्चों को प्रशासनिक अधिकारी बनाने का। इनके सपनों की राह में तमाम मुसीबत आई लेकिन यह संघर्ष के मैदान में डटे रहे। पहले राजस्थान लोक सेवा आयोग के वर्ष 2016 के परिणाम में सबसे छोटी बेटी प्रतिभा पूनियां ने नवीं रैंक हासिल की। इनके संघर्ष से सीख लेते हुए इस बार के परिणाम में बड़ी बेटी प्रभा लाम्बा व भाई गौरव पूनियां ने सफलता हासिल कर ली है। यह संघर्ष की कहानी है चूरू जिले के हमीरबास गांव निवासी रमेश पूनियां के परिवार की। पूनियां फिलहाल चूरू जिले में जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर पदस्थापित है। तीनों ने अपनी सफलता का श्रेय पिता रमेश पूनियां व मां कमला देवी को दिया है। मां फिलहाल चूरू जिले में तृतीय श्रेणी शिक्षिका के पद पर कार्यरत है। तीनों होनहारों ने अपने माता-पिता को सफलता का श्रेय दिया है। बकौल प्रतिभा, माता-पिता ने हमेशा पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया। वह हमेशा यही कहते कि बेटा तुम कर सकते हो, इसके बाद आत्मविश्वास बढ़ता गया।
संघर्ष: बेटी दो महीने की, लेकिन जुटी रही तैयारी मेंप्रभा लाम्बा ने दो छोटी बेटियों के बाद भी तैयारी का जुनून नहीं छोड़ा। आरएएस 2018 की तैयारी के समय एक बेटी महज दो महीने की थी। लेकिन वह अपनी तैयारी में जुटी रही। रात को सात से आठ घंटे पढ़ाई करती। दिन में फिर छोटी बेटी को संभालना और परिवार का काम देखती। इस लगन के दम पर प्रभा ने 317 वीं रैंक हासिल की है। प्रभा के पति डॉ. अनिल लाम्बा चिड़ावा के राजकीय अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ के पद पर कार्यरत है। उनका कहना है कि यदि व्यक्ति में लगन हो तो कोई भी राह कठिन नहीं है। लाम्बा का कहना है कि हर यूथ को जीवन में लक्ष्य जरूर तय करना चाहिए। फिर इसके अनुसार मेहनत करें तो सफलता निश्चित तौर पर मिलती है। इनकी एक बेटिी आर्विका चार साल की तो आर्या दो साल की है।
जज्बा: दिल्ली पुलिस में एसआई फिर बदली राहेंप्रतिभा व प्रभा के भाई गौरव पूनियां ने बहिनों के संघर्ष के जज्बे से सीख लेते हुए आरएएस 2018 के परिणाम में बाजी मारी है। उन्होंने 167 वीं रैंंक के साथ सफलता हासिल की है। पढ़ाई के दौरान ही उनका दिल्ली पुलिस में एसआई में चयन हो गया। लेकिन उनके मन में बहिनों की तरह सफलता का एक जूनुन था। इस बीच छोटी ***** प्रतिभा का आरएएस में चयन हो गया। इस दौरान उन्होंने भी तय किया कि वह दिल्ली पुलिस में कार्यग्रहण करने के बाद आरएएस की तैयारी करेंगे। उन्होंने पहले ही प्रयास में 167 वीं रैंक हासिल की है।
मिसाल: तीनों ने सरकारी स्कूल से पढ़ाई कीखास बात यह है कि तीनों भाई-बहिनों ने सरकारी स्कूलों के मिथक को भी तोड़ा है। रमेश पूनियां की दोनों बेटियों ने हमीरबास गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल से पढ़ाई की। जबकि भाई गौरव पूनियां ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय चांदगोठी से पढ़ाई की। इसके बाद दिल्ली कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। प्रतिभा के पति अविनाश सिंह डोटासरा भी आरएएस भर्ती 2016 में बाजी मार चुके है।
पहले दंत चिकित्सक फिर प्रशासनिक सेवादोनों बहिनों ने पहले दंत चिकित्सक की पढ़ाई की। उन्होंने बताया कि दंत चिकित्सक के पेशे से कही भी राजकीय सेवा में जॉब मिल जाता, लेकिन पिता का सपना कभी पूरा नहीं होता। इसलिए शुरूआत से ही पिता के सपने को ध्यान में रखकर नजरें प्रशासनिक सेवा की तैयारी पर थी।
संदेश: हर प्रोफेशन अच्छा, प्रशासनिक सेवा का अपना अलग क्रेजआरएएस भर्ती 2016 की टॉपर प्रतिभा पूनियां का कहना है कि हर प्रोफेशन ही अच्छा है। लेकिन प्रशासनिक सेवा में जाने का यूथ में अपना अलग क्रेज है। इस सेवा के जरिए समाज के आखिरी पक्ति में बैठे व्यक्ति को सरकार की योजनाओं का फायदा दिया जा सकता है।

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