रविप्रकाश. बावड़ी. एनएच.52 के दक्षिण दिशा में ग्राम पंचायत लाखनी गांव 600 साल पूर्व का बसा हुआ है। श्री माणा बाबा सेवा समिति कार्यकर्ता जगदीश प्रसाद बाजिया व शंकर लाल जिंजवाडिया, सरपंच महेश कुमार बाजिया पूर्व उप सरपंच बलवीर बिजारणियां, समिति अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण गढ़वाल, मोहन लाल बाजिया, जगनसिंह, गणपतराम बाजिया ने बताया कि श्री माणा बाबा पत्थर की देवली के रूप में 1452 संवत में प्रकट हुए थे। तब से लोग माणा बाबा को देवता के रूप में मानते आ रहे है। आज तक प्ररप्परा चली आ रही है। लोग हर साल बडे धूम-धाम से मनाते है। प्रारंभ में जमीन में से पत्थर की देवली निकली इसके बाद लोगों ने चबूतरा बनाकर माणा बाबा को पूजने लगे। आज श्री माणा बाबा सेवा समिति व ग्रामीणों के जागरूकता के कारण माणा बाबा का धाम जोधपुर के लाल पत्थरों से विशाल मंदिर बन गया है। जिसमें माणा बाबा का इतिहास लिखा हुआ है। चैत्र सुदी एकम को माणा बाबा ने पूजा पाई। तथा संवत 1638 की साल में 500 बीघा जोहड़ के जमीन गायों के लिए दो बहिने हिमदड़ी, धूड़ी तथा ठेडू व माणा के नाम से छोड़ी गई। ग्रामीणों ने बताया कि गांव चार दिशोओं को जोड़ता है लाखनी से रींगस- खाटूश्यामजी रोड़ व लाखनी से रींगस, लाखनी से धीरजपुरा, बावड़ी, चौथा लाखनी से एनएच 52 सीकर रींगस हाईवे को जोड़ता है। ऐसे में जिला मुख्यालय, तहसील मुख्यालय खण्डेला, श्रीमाधोपुर के लिए कोई रोडवेज परिवहन बस सेवा नहींहै। लाखनी से रींगस की तरफ 700 मीटर का टुकड़ा ग्रेवल रोड़ पर हो डामरकीण। गांव मे विज्ञान संकाय नहीं होने से सीकर, जयपुर, रींगस पढने के लिए छात्र छात्राएं मजबूर हो रहे है। तो कुछ गरीब परिवार के लोग विज्ञान संकाय नहीं होने से पढ़ाई छोड़ देते है। जिससे डाक्टर बनने का सपना अधूरा रहकर धरातल पर ही रह जाता है। गांव में राउमावि., उच्चजलाश्य टंकी, रा.उप पशु चिकित्सा केन्द्र, राप्रावि., राउप्रावि., उप स्वास्थ्य केन्द्र हंै।
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