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उत्तर भारत के कई स्थानों पर चल रहे मोबाइल टॉवर के फर्जी कॉल सेंटर

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सीकर. उत्तर भारत के कई स्थानों पर मोबाइल टॉवर के नाम पर ठगी के फर्जी कॉल सेंटर संचालित हो रहे हैं। फर्जी टोल फ्री नंबर बनाकर अखबारों में विज्ञापन देकर लाखों रुपए की ठगी की जा रही है। इसका खुलासा ठगों से पुलिस की पूछताछ में हुआ है। पुलिस जांच में सामने आया कि दिल्ली, नोएडा, गुडगांव, देहरादून, उतराखंड के अलावा कई जगहों पर कॉल सेंटर लगाकार लोगों से ठगी की वारदात की जा रही है। देहरादून से गिरफ्तार पांच ठगों से पुलिस पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं। सीकर की उद्योग नगर पुलिस देहरादून में अब मास्टरमाइंड की तलाश में दबिश देगी। थानाधिकारी वीरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि देहरादून से पंकज चौहान, विक्रम राजपूत उर्फ जहर, शरद नेगी, विनोद कुमार उर्फ बिन्नू व सन्नी उर्फ टोटो को गिरफ्तार किया था। पांचों ठगों को 11 फरवरी तक पुलिस रिमांड पर लिया है। अब पुलिस इनको देहरादून ले जाकर फर्जी कॉल सेंटरों के बारे में पता लगाएगी। टोडास, नागौर के रहने वाले राजेश से टॉवर लगाने के नाम पर अलग-अलग तरीकों से 3.50 लाख रुपए की ठगी कर खाते में जमा करवाए गए। पुलिस ने देहरादून से पांचों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपियों के एक खाते की जांच की है। हैरानी की बात है कि महज दो महीने पुराने खाते में डेढ़ करोड़ से अधिक का लेनदेन हुआ है। इन 3 बिंदुओं से समझें ठगी का पूरा खेल1. फर्जी टोल फ्री नंबर , 90 लाख एडवांस व किराए का लालच शातिर ठग फर्जी कंपनी बनाकर एक टोल फ्री नंबर बना लेते हैं। टोल फ्री नंबर में खुद ही बैलेंंस जमा करके रखते हैं। जिससे कॉल करने वाले का बैलेंस नहीं कटता। शातिर ठग कंपनी की ओर से खाली जमीन, छत, खेत, प्लॉट पर 4जी व 5जी डिजीटल टॉवर लगवाने का विज्ञापन देते हैं। लोगों को एडवांस 90 लाख, किराया 40 हजार, नौकरी सैलेरी 15 हजार व 20 साल का एग्रीमेंट देने का लालच दिया जाता है। सबसे पहले 2250 रुपए रजिस्ट्रेशन के नाम से लिए जाते हैं। फिर लोगों से जमीन का सर्वे, टैक्स, एग्रीमेंट के नाम पर लाखों रुपए ठग लेते हैं। 2. दो माह में नया बैंक खाता, नई पहचान गिरोह ने अलग-अलग नामों से बैंकों में फर्जी खाते खुलवा रखे हैं। इन्हीं खातों में लोगों से रुपए जमा करवाए जाते हैं। खाते में रुपए जमा होने के बाद उसे अन्य खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है। दो महीने के अंतराल में ही खातों को बंद करा दिया जाता है। फिर अन्य बैंक में नए खाते खुलवाए जाते हैं। गिरोह में कई नेपाली युवक शामिल हैं। इनके उतराखंड में फर्जी पहचान पत्र बनवा कर बैंकों में फर्जी खाते खुलवाए जाते हैं। 3. 15 से 20 हजार रुपए वेतन व मौज मस्ती का इन्सेंटिव युवकों को कॉलसेंटर में काम करने के लिए 15 से 20 हजार रुपए दिए जाते हैं। साथ ही ठगी के रुपए आने पर मौजमस्ती के लिए इन्सेंटिव दिया जाता है। काम सीखने के बाद नए कॉलसेंटर में उन्हें संचालक बना दिया जाता है। थानाधिकारी वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि विक्रम नेपाल का रहने वाला है। दो साल से गिरोह के संपर्क में है। विक्रम के नाम से ही बैंक में फर्जी पहचान पत्र बनवाकर खाते खुलवाए। इसी खाते में ठगी के रुपए जमा करवाए जाते थे। विक्रम के एटीएम पंकज ने ले रखे थे।

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