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सीकर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों का खून पीकर खूंखार हो रहे कुत्ते !

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सीकर.
शेखावाटी के सबसे बड़े सरकारी एसके अस्पताल ( SK Hospital Sikar ) की एक गम्भीर लापरवाही से मरीजों की जान खतरे में है। अस्पताल की लैब ( Laboratory in SK Hospital ) में जांच के लिए निकाला गया मरीजों खून कुत्तों को परोसा जा रहा है। खून के नमूनों ( Blood Sample of Patients ) को पॉलिथीन में भर लैब के बाहर ही फैंका जा रहा है, जिन्हें कुत्ते पीते और मुंह मारते नजर आते हैं। कुत्ते इतने खुंखार होते जा रहे हैं कि वे आपस में लड़ते हैं और जब इन्हें खून नहीं मिलता है, तो अस्पताल में मरीजों को काटने के लिए दौड़ते हैं। लैब के बाहर नजर रखें तो ऐसे हृदयविदारक दृश्य देखने को मिलते हैं, जिससे मरीज और उनके परिजन रोजाना दो-चार हो रहे थे। एस के अस्पताल में रोजाना डेढ़ सौ से अधिक मरीजों के खून के नमूने लिए जाते हैं। अस्पताल में रोजाना दो हजार से ज्यादा मरीज आउटडोर में आते हैं साथ ही तीन सौ से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं। कर्मचारियों को प्रशिक्षण के बावजूद लैब से निकलने वाले बॉयावेस्ट ( Bio West Medical ) का सही निरस्तारण नहीं होने से संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसके अलावा स्टोर रूम से रोजाना बॉयावेस्ट के लिए एक विशेष प्रकार का बॉक्स भी दिया जाता है।
जांच हो रही तो सैंपल कचरे में क्यों? चिकित्सा विभाग ( Medical Department ) पर सीधा सवाल उठता है कि अगर इन सैंपल की सही जांच हो रही है तो इन्हें कचरे में क्यों डाला जा रहा है। खुले में फैंकने से अस्पताल में ही हवा में संक्रमण फैल रहा है। वायु प्रदूषित हो रही है। अस्पताल में जिन मरीजों को इलाज के लिए भर्ती करवाया जा रहा है वे अन्य बीमारियों से ग्रस्त हो रहे है। इनके लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। सोलिड वेस्ट प्रोजेक्ट के तहत इनका निस्तारण अलग से करवाया जा सकता है।
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सीकर में स्वाइन फ्लू से अब तक 6 मौत हो चुकीखून पीकर खूंखार हो रहे कुत्ते अस्पताल में लैब के आसपास ही कुत्ते घूमते रहते है। मरीजों का खून पीकर कुत्ते खूंखार हो रहे है। अस्पताल में लैब की ओर आने वाले लोगों को काटने के लिए दौड पड़ते है। प्लास्टिक की वॉयल को तोड़ कर खोल लेते है।
बड़ा सवाल: क्या मरीजों के खून के सैंपल की लैब में जांच होती है ?मौसमी बीमारियों और गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीज का खून अस्पताल में सैंपल के लिए लिया जाता है। लैब के बाहर ही कचरे के पास पोलिथीन में खून की वॉयल को लाकर डाल दिया जाता है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि जो खून सैंपल के लिए लिया जा रहा है उसकी लैब में जांच हो रही है या नहीं ? क्या इन सैंपल को बिना जांच के ही डाला जा रहा है। क्या मरीजों के खून के सैंपल को जयपुर और अन्य लैबों में जांच के लिए भेजा जाता है। या फिर यूं हीं सैंपल फैंक दिए जाते है। क्या बिना जांच के ही रिपोर्ट तैयार की जा रही है।लोगों को संक्रमण और अस्पताल को दिखा रहे ठेंगाजिले के सबसे बड़े कल्याण अस्पताल में रोजाना दो हजार से ज्यादा मरीज आउटडोर में आते हैं साथ ही तीन सौ से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं। ऐसे में अस्पताल में लैब से निकलने वाले बॉयावेस्ट का सही निरस्तारण नहीं होने से लोगों में संक्रमण फैलने का हर समय खतरा बना रहता है। खास बात यह है कि आम आदमी के लिए घातक बॉयोवेस्ट के निस्तारण के लिए लैब के हर व्यक्ति को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसके अलावा स्टोर रूम से रोजाना बॉयावेस्ट के लिए एक विशेष प्रकार का बॉक्स भी दिया जाता है। इसके बाद लैब में ऐसी गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।

पीएमओ के अधीन है लैब की जिम्मेदारीसिस्टम के अनुसार ही बॉयोवेस्ट का मैनेजमेंट होना चाहिए। बॉयावेस्ट का सही निस्तारण नहीं होना आमजन के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। मामले की जांच कराई जाएगी। दोषी होने पर जिम्मेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि जिला अस्पताल में संचालित लैब की जिम्मेदारी पीएमओ के अधीन है। मामले में पीएमओ कार्यालय से जानकारी ली जाएगी। -डा. अजय चौधरी, सीएमएचओ सीकरघोर लापरवाही है, जांच कराएंगेबॉयोवेस्ट मैनेजमेंट के लिए अस्पताल के पूरे स्टॉफ को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसके बावजूद ऐसा हो रहा है तो इस घोर लापरवाही की जांच करवाई जाएगी। साथ ही मामले की जानकारी लैब प्रभारी व बॉयोवेस्ट के नोडल अधिकारी से ली जाएगी। जांच के बाद कठोर कार्रवाई की जाएगी। -डा. अशोक चौधरी, पीएमओ एसके अस्पताल
सवाल सुन कर सफाई देते हुए कहा कि नियमित रूप से बायोवेस्ट सफाईकर्मी पैक कर रोजाना लेकर जाते है। ऐसी लापरवाही हो रही है तो जांच की जाएगी। -ऊषा मिश्रा, लैब प्रभारी

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