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सबकी अपनी-अपनी थ्योरी, कौन सही-कौन गलत?

अहिंसा का पाठ सिखाने वाले महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मना रहे देश ने शायद ही सोचा होगा कि ठीक अगले ही दिन उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में उनके इस सिद्धांत को तार-तार कर दिया जाएगा. किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बीच उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में भड़की हिंसा में चार किसानों, तीन भाजपा कार्यकर्ताओं, एक ड्राइवर और एक पत्रकार की मौत हो गई थी.
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य लखीमपुर खीरी एक गांव में कुश्ती के दंगल का उद्घाटन करने की नीयत से गए थे. लेकिन, अब 9 मौतों के बाद पूरा लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) ही अपनेआप में ‘दंगल का अखाड़ा’ बन चुका है. इस घटना के बाद किसानों और सत्ताधारी पार्टी भाजपा की ओर से एकदूसरे पर आरोपों की बौछार शुरू कर दी गई.
संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra) के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू मिश्रा (Ashish Mishra) ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को गाड़ी से रौंद दिया. जिससे 4 किसानों की मौत हो गई. वहीं, भाजपा सांसद अजय मिश्रा टेनी का कहना है कि आरोप निराधार हैं और अगर मेरा बेटा वहां होता, तो उसकी भी हत्या कर दी जाती. इस घटना के बाद आसन्न यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को मद्देनजर रखते हुए सूबे का विपक्ष भी हरकत में आ गया है. विपक्षी दलों का कहना है कि भाजपा सरकार किसान विरोधी है. आइए जानते हैं क्या है सभी पक्षों की थ्योरी और कौन सही-कौन गलत?
लखीमपुर खीरी में आखिर हुआ क्या?
किसान आंदोलन की आंच में पूरा देश 10 महीनों से तप रहा है. सूबे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश किसान आंदोलन (farmer protest) का मुख्य गढ़ बन गया है. लेकिन, किसानों का छिट-पुट विरोध-प्रदर्शन उत्तर प्रदेश के सभी हिस्सों में सामने आया है. संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में चल रहे किसान आंदोलन को धार देने के लिए बीते महीने ही मुजफ्फरनजर में किसान महापंचायत का आयोजन कर ‘मिशन यूपी’ की घोषणा की गई थी. जिसके बाद किसानों ने सूबे में कई जगहों पर भाजपा नेताओं का विरोध करना शुरू कर दिया था.
ऐसा ही कुछ लखीमपुर खीरी (lakhimpur kheri protest) में भी हुआ. उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपने तय कार्यक्रम के तहत लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के साथ पहुंचना था. लेकिन, केशव प्रसाद के अजय मिश्रा टेनी के पैतृक गांव बनवीरपुर पहुंचने की खबर पर किसानों ने तिकुनिया की ओर कूच कर दिया. किसानों ने महाराजा अग्रसेन खेल मैदान में बने हेलीपैड पर कब्जा कर लिया. जिसके बाद केशव प्रसाद मौर्य लखनऊ से सड़क मार्ग से लखीमपुर खीरी पहुंचे.
वहीं, हिंसा भड़कने के बाद केशव प्रसाद मौर्य बाकी के कार्यक्रम रद्द कर वापस लखनऊ रवाना हो गए. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रदर्शन की सभी संभावित जगहों पर पुलिस-प्रशासन तैनात था. इस दौरान कथित तौर पर तिकुनिया में अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की गाड़ी से कुछ किसान चोटिल हो गए. जिससे आक्रोशित किसानों ने गाड़ी में आग लगा दी और स्थिति तनावपूर्ण हो गई.
किसानों की थ्योरी
दरअसल, 25 सितंबर को लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के एक बयान से किसान भड़क गए थे. अपने संसदीय क्षेत्र में काले झंडे दिखाने से नाराज हुए अजय मिश्रा ने लखीमपुर के संपूर्णानगर इलाके में चेतावनी भरे लहजे में आंदोलनरत किसानों को सुधर जाने की नसीहत दी थी. वीडियो में भाजपा सांसद अजय मिश्रा कहते नजर आ रहे हैं कि सामना करो आकर, हम आपको सुधार देंगे, दो मिनट लगेगा केवल. मैं केवल मंत्री नहीं हूं, सांसद, विधायक नहीं हूं, जो विधायक और सांसद बनने से पहले मेरे विषय में जानते होंगे, उनको यह भी मालूम होगा कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं. जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार करके काम कर लिया उस दिन पलिया नहीं, लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जाएगा, यह याद रखना. बताया जा रहा है कि अजय मिश्रा टेनी के इसी बयान से किसान नाराज थे और तब से ही उनका विरोध कर रहे थे.
किसानों के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम का पता चला, तो शांतिपूर्ण तरीके से काले झंडे दिखाने की बात तय हुई. केशव प्रसाद और अजय मिश्रा का विरोध करने के लिए हजारों की संख्या में किसान हाथों में काला झंडा लेकर तिकुनिया के साथ ही पूरे रास्तेभर में कई जगहों पर मौजूद थे. लेकिन, इसी दौरान किसानों को पता चला कि केशव प्रसाद मौर्य किसी और रास्ते से चले गए हैं, तो किसान वापसी की तैयारी करने लगे.
किसानों का आरोप है कि इसी दौरान तिकुनिया कस्बे में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के काफिले की एक गाड़ी से कथित तौर पर किसानों को कुचलने की कोशिश की गई. जिसके बाद 4 किसानों की मौत हो गई. किसानों का कहना है कि तेज रफ्तार कारों में सवार होकर अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा निकल रहा था. इसी दौरान आशीष मिश्रा ने कथित तौर पर किसानों को रौंद दिया. जिसके बाद आक्रोशित किसानों ने गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया.
किसानों को कुचलने की खबर से हिंसा भड़क गई. किसानों का कहना है कि आशीष मिश्रा और भाजपा समर्थकों ने किसानों को कुचल दिया और वहां से भाग निकले. मृतक दलजीत के बेटे राजदीप का कहना है कि बहराइच के नानपारा से कुछ लोग मोटरसाइकिल से लखीमपुर गए थे. वहां प्रदर्शन कर रहे किसानों को गाड़ियों ने कुचल दिया. राजदीप के अनुसार, आशीष मिश्रा ही गाड़ियां लेकर आया था. उसने फायरिंग भी की.
अजय मिश्रा की थ्योरी
वहीं, इस मामले पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने आरोपों को पूरी तरह से नकार दिया है. अजय मिश्रा टेनी ने आजतक से बातचीत में कहा है कि किसानों के प्रदर्शन की खबर पर मुख्य अतिथि केशव प्रसाद मौर्य के काफिले का रास्ता बदल दिया गया था. जिसके बाद कुछ कार्यकर्ता उनके स्वागत के लिए आ रहे थे. जिसमें किसानों के साथ खड़े उपद्रवी तत्वों ने गाड़ियों पर हमला किया. गाड़ियों पर पत्थरबाजी होने से कार चालक घायल हो गया और संतुलन बिगड़ गया. जिसके बाद उप्रदवी तत्वों ने भाजपा कार्यकर्ताओं और ड्राइवर को कार से उतारकर पर लाठियों और तलवारों हत्या कर दी गई. कई वीडियो सामने आए हैं. हमारे पास प्रमाण हैं. हमलावरों ने कार्यकर्ताओं को कहने पर मजबूर करने की कोशिश की कि मैंने किसानों को कुचलने के लिए कहा था.
आशीष मिश्रा के कार चलाने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हर साल आयोजित होता है. इसमें पुलिस-प्रशासन के अलावा और भी लोग मौजूद थे. मेरा बेटा उसी कार्यक्रम में था. हमारे पास इसका वीडियो भी है. अजय मिश्रा का कहना है कि हम भी इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाएंगे. हमारे पास पूरे वीडियो हैं. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में लंबे समय से उपद्रवी तत्व घुसकर माहौल खराब कर रहे हैं. 26 जनवरी की घटना में भी बब्बर खालसा जैसे आतंकी संगठन किसानों के विरोध में शामिल हुए थे. ये किसान नेता राकेश टिकैत की जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने आंदोलन से ऐसे उपद्रवी और अराजक तत्वों को दूर रखें. अजय मिश्रा ने मांग की है कि घटना की जांच हो और दोषी को सजा दी जाए.
विपक्ष का क्या कहना है?
इस घटना के बाद लखीमपुर खीरी सियासी अखाड़े में तब्दील हो चुका है. सभी सियासी दलों के बड़े नेता वहां पहुंचकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं. हालांकि, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती समेत कई नेताओं को पुलिस ने नजरबंद कर दिया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा (BJP) देश के किसानों से कितनी नफरत करती है? उन्हें जीने का हक नहीं है? यदि वे आवाज उठाएंगे तो उन्हें गोली मार दोगे, गाड़ी चढ़ाकर रौंद दोगे? बहुत हो चुका. ये किसानों का देश है, भाजपा की क्रूर विचारधारा की जागीर नहीं है. किसान सत्याग्रह मजबूत होगा और किसान की आवाज और बुलंद होगी.
इस घटना के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि कृषि कानूनों का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे किसानों को भाजपा सरकार के गृह राज्यमंत्री के पुत्र द्वारा, गाड़ी से रौंदना घोर अमानवीय और क्रूर कृत्य है. उप्र दंभी भाजपाइयों का ज़ुल्म अब और नहीं सहेगा. यही हाल रहा तो उप्र में भाजपाई न गाड़ी से चल पाएंगे, न उतर पाएंगे. बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्विटर के जरिये भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बीएसपी राज्यसभा सांसद एससी मिश्र को लखनऊ में उनके निवास पर नजरबंद कर दिया गया. यूपी के दुःखद खीरी कांड में भाजपा के दो मंत्रियों की संलिप्तता के कारण इस घटना की सही सरकारी जांच व पीड़ितों के साथ न्याय तथा दोषियों को सख्त सजा संभव नहीं लगती है. इसलिए इस घटना की, जिसमें अब तक 8 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है, न्यायिक जांच जरूरी है.
सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. सीएम योगी ने कहा है कि सरकार इस घटना की तह में जाएगी और इसमें शामिल तत्वों को बेनकाब करेगी. घटना में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. योगी आदित्यनाथ ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि किसी के बहकावे में न आएं और शांति व्यवस्था कायम रखने में योगदान दें. किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले मौके पर हो रही जांच और कार्यवाही का इंतजार करें.
कौन सही-कौन गलत?
लखीमपुर खीरी में भड़की हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग को मान लिया गया है. साथ ही मारे गए किसानों के परिवार को सरकारी नौकरी, 45 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की जा चुकी है. घायलों को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की बात की गई है. पुलिस का कहना है कि किसानों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की जाएगी और हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज इस हिंसा मामले की जांच करेंगे. साथ ही घटना के दोषियों को आठ दिनों में गिरफ्तार किया जाएगा. वैसे, भाजपा सांसद अजय मिश्रा का किसानों पर दिया गया बयान सभी के सामने है.
अगर जांच में अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की संलिप्तता सामने आती है, तो कानून को अपना काम करना चाहिए. लेकिन, केवल इस वजह से किसानों को क्लीन चिट नहीं दी जा सकती है. कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिसमें किसान गाड़ियों के काफिले पर लाठी-डंडा बरसाते और लोगों को पीटते हुए देखे जा सकते हैं. लखीमपुर खीरी में भड़की हिंसा (lakhimpur incident) में कौन सही और कौन गलत है, ये तय करना कानून का काम है.
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