सीकर. बाल अधिकारिता विभाग ने आए दिन नवजातों को लावारिस हालात में फेंकनें की घटनाएं बढने पर चिंता जताते हुए इसको रोकने के लिए नई पहल की है। विभाग की सहायक निदेशक प्रियंका पारीक ने नवजात शिशु को लावारिश अवस्था में ना फेंकने की अपील की हैं। उन्होंने कहा कि यदि वे आर्थिक नैतिक किसी भी कारणवश अपने नवजात शिशु या 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के पालन-पोषण में असमर्थ है, तो बच्चे को लावारिश न छोड़ेे या फेंके हमे दे। उनकी सुरक्षा के लिए शहर में विभिन्न जगह पर स्थापित नेहरू पार्क के पास स्थित जनाना अस्पताल व पालवास रोड़ पर स्थित शिशु पालनागृह में बिना पहचान बताए बच्चें को छोड़ सकते है। बाल कल्याण समिति व चाइल्ड लाइन 1098 को भी सुपुर्द कर सकते हैं। बच्चे के संबंध में कोई भी पूछताछ नहीं की जाएगी। इस तरह से हम अपने बच्चों को एक सुरक्षित भविष्य दे पाएंगे।दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृति हैलावारिस अवस्था में झाड़ी, कूड़े के ढ़ेर, सुनसान जगह पर नवजात शिशुओं की मृत्यु हो जाती है। यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृति है, इस तरह से बच्चों के जीने के अधिकार को छीना जा रहा है। प्रत्येक बच्चे को जीवन जीने, विकास, सुरक्षा का मूलभूत अधिकार संविधान ने दिया है। इन अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार ने बाल अधिकारिता विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल कल्याण समिति एवं चाइल्ड लाइन 1098 को जिम्मेदारी दी हैं।बालश्रमिक मुक्त करवायासीकर. मानव तस्करी यूनिट ने पुलिस के सहयोग से एक बाल श्रमिक को मुक्त करवाया है। बाल श्रमिक को बाल कल्याण समिति के सदस्य गजेंद्र सिंह के समक्ष पेश किया। वहां से बच्चे को बाल आश्रम भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि मानव तस्करी यूनिट की एसआई विमला सुंडा ने रानोली में एक मिठाई की दुकान पर कार्रवाई की। बच्चा जोधपुर का रहने वाला है। उसे फूंफा ने ही दुकान पर काम करने के लिए लगाया था। पिता और मां मजदूरी करती है। वह तीन भाई व बहन है। दुकान पर उससे सुबह 6 बजे से 8 बजे तक काम करवाया जाता है। उसे महीने के सात हजार रुपए दिए जाते है। टीम में चाइल्ड लाइन सदस्य कृष्ण माथुर, हैड कांस्टेबल पूरणसिंह शामिल थे।
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