सीकर. दिवाली की देवी मां लक्ष्मी से जिले में आस्था का बेहद अनूठा किस्सा जुड़ा है। जिसके तारों ने सीकर और जयपुर को भी आपस में जोड़ रखा है। कहते हैं कि 352 साल पहले मां लक्ष्मी जिले के खोह यानी रघुनाथगढ़ में साक्षात प्रकट हुई थी। जिसके बाद एक गरीब पुरोहित वंश जयपुर कटले के मालिक से लेकर सीकर विधायक की कुर्सी तक पर राज कर चुका है। किस्से को लोग कोल कल्पित भी मानते हैं, लेकिन दो जिलों से जुड़े सबूत आज भी उसकी गवाही दे रहे हैं।
ठाकुर अलखां ने किया था आह्वान
इतिहासकार महावीर पुरोहित बताते हैं कि खोह यानी रघुनाथगढ़ में 351 साल पहले अलखां टकणेत का शासन था। हरिराम उनके कुल पुरोहित थे। दिवाली के दिन ठाकुर अलखां ने पुरोहित से बोहरा की दुकान से चावल और शक्कर लाने को कहा। लेकिन, पुरानी उधार चुकता नहीं होने पर उन्हें समान नहीं मिला। गुस्साए पुरोहित ने ठाकुर से नाराज होकर कहा कि कहीं ओर आसरा होता तो यह दिन नहीं देखना पड़ता। इस पर ठाकुर ने तांबे के टके पुरोहित को देकर घर पर तेल के दीये जलाने की बात कही। पुरोहित के घर के अलावा गांव में कहीं भी दिवाली नहीं मनाने की घोषणा के साथ मां लक्ष्मी के ध्यान में बैठ गए। कहते हें कि खुश होकर मां लक्ष्मी ठाकुर अलखां के सामने प्रकट हो गई और गढ़ का खजाना खोलने को कहा। इस पर ठाकुर ने उन्हें कुलगुरु के घर जाने की बात कही। मां लक्ष्मी जब पुरोहित के घर पहुंची तो उन्होंने भी मां लक्ष्मी को वापस ठाकुर के पास यह कहकर भेज दिया कि ठाकुर संपन्न होंगे तो उनकी पेट भराई अपने आप हो जाएगी। लेकिन, वापस आने पर ठाकुर ने लक्ष्मीजी को ब्राहम्ण को दान करने की बात कहते हुए वापस लौटा दिया। वापसी पर पुरोहित ने लक्ष्मीजी को स्थाई रूप से रहने की प्रार्थना की। इस पर मां लक्ष्मी ने जुए, नशे और वारांगनाओं से दूर रहने सरीखी शर्त के साथ स्थाई रूप से रहकर पुरोहित परिवार को धनी बना दिया।
Diwali Special: ठाकुर अलखां के पास साक्षात आई थी मां लक्ष्मी, सीकर और जयपुर में आज भी सबूत मौजूद
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