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‘नाबालिग’ हाथों से पुज रही ‘देहरी’

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नरेंद्र शर्मा.सीकर. शिक्षा, चिकित्सा और बाजार संस्कृति में तरक्की कर रहे शेखावाटी के माथे पर रूढि़वादिता का कलंक भी लगा है। विशेषकर कम उम्र में बच्चों की शादी एक अभिशाप की तरह प्रदेश के साथ ही शेखावाटी को अपने में लपेटे है। यह पारिवारिक जिम्मेदारी से मुक्ति के लिए नहीं, वरन यहां की रूढि़वादी परम्परा ही बड़ा कारण है कि विशेषकर ग्रामीण इलाकों में बाली उम्र में बेटियों को ब्याह दिया जाता है। राज्य सरकार की बड़ी योजनाओं और करोड़ों रुपए फूंकने के बावजूद शेखावाटी सहित प्रदेश में बाल विवाह नहीं थम रहे हैं। हर साल गांव-शहरों में सैकड़ों बेटियां कच्ची उम्र में ब्याही जा रही हैं। पिछले समय हुए एक स्वास्थ्य सर्वे में करीब 65 प्रतिशत बेटियों व बेटों ने माना, उनके हाथ बाली उम्र में ही पीले कर दिए गए। 16-17 की उम्र में बेटियों के ब्याह का प्रतिशत शेखावाटी के ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है।पहले भी हुआ सच का सामनाजनगणना वर्ष 2011 में भी बाल विवाह का सच सामने आया था। माना गया था कि प्रदेश में 16-17 साल की उम्र में शादीशुदा लोगों की संख्या घटने की बजाय बढ़ रही है। 4.50 लाख शादियां 16 से 17 वर्ष की उम्र में हुई। वहीं, 15-16 साल की उम्र में 2.50 लाख बच्चों की शादियां हुई थी।ये है कानूनबाल विवाह निषेध कानून 2006 के अनुसार बाल विवाह कराने और सहयोग करने पर 2 साल की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। इसमें सम्मिलित लोग, पंडित और हलवाई, टैंट व बैंडवालों को भी सजा संभव।सेहत पर पड़ा असरस्त्री रोग विशेषज्ञों के अनुसार नाबालिग लड़कियां मां बनने के लिए शारीरिक-मानसिक रूप से तैयार नहीं होतीं। बच्चा होने पर जच्चा-बच्चा का शारीरिक विकास गड़बड़ा जाता है। कई बार समय पूर्व प्रसव के मामले सामने आते हंै। इस स्थिति में मानसिक-शारीरिक अक्षमता पैदा हो सकती है जो कई पीढिय़ों तक चलती रहती हैं।हकीकत : सिर्फ सावों पर अभियानबाल विवाह पर रोक का जिम्मा जिला प्रशासन का है लेकिन संबंधित अधिकारी आखातीज, भड़ल्या नवमी जैसे बड़े सावों पर ही सक्रिय होते हैं। सालभर में केवल इन सावों पर बाल विवाह के खिलाफ जागरुकता अभियान छेड़े जाते हैं।उपाय : शिक्षा, जागरुकताजानकारों के अनुसार, शिक्षा व जागरुकता से ही यह कुरीति बंद हो सकती है। सरकार व अफसरों के अलावा जन प्रतिनिधियों को इच्छा शक्ति दिखानी होगी।रोक की योजनाएं कई, नतीजा सिफर-सामूहिक विवाह योजना : राज्य सामूहिक विवाह नियमन एवं अनुदान नियम 2009 के तहत सामूहिक विवाह पर जोड़ों को 10 हजार रुपए व ऐसी आयोजक संस्थाओं को 2500 रुपए का अनुदान मिलता है।- सबला योजना : स्कूल नहीं जाने वाली किशोरियों के विकास के लिए केंद्र ने 2010 में राज्य के 10 जिलों में यह योजना चलाई। वर्ष 2014 तक 119 करोड़ रुपए खर्च किए गए। सालभर पहले बंद कर दी गई।-किशोरी शक्ति योजना : सबला योजना से जुड़े 10 जिलों को छोड़ अन्य 23 जिलों में योजना चलाई जा रही है। बीते 5 साल में करीब 125 करोड़ रुपए खर्चे जा चुके हैं।

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