सीकर. जिले में ऑनलाइन शॉपिंग का प्रतिदिन का आंकड़ा एक करोड़ को छू गया है। त्योहारी सीजन में जिले में करीब एक से सवा करोड़ रुपए के समान ई-कॉमर्स कंपनियां सीधे ग्राहकों के घर पहुंचा रही है। जिसका आंकड़ा धनतेरस पर बढ़कर दो से तीन करोड़ रुपए होने का अनुमान है। क्योंकि खरीददारी के लिहाज से शुभ धनतेरस को ध्यान में रखते हुए ही लोगों ने जहां अपने समान की ऑनलाइन बुकिंग करवाई है, वहीं धनतेरस पर रुपए खर्च करने की परंपरा से बहुत से लोग नई बुकिंग भी तेरस को ही करवाएंगे।
सबसे ज्यादा कपड़ों की खरीदऑनलाइन खरीद सबसे ज्यादा कपड़ों की हो रही है। जो मल्टी प्रोडक्ट सेलर ई-कॉमर्स कंपनियों के अलावा लोग सीधे ब्रांड की कंपनियों से भी मंगवा रहे हैं। जिले में करीब 40 से 70 लाख के कपड़े रोजाना ऑनलाइन बुकिंग से पहुंच रहे हैं। मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक आइटम, होम डेकोर, जूते- चप्पल व साइकिल से लेकर नए पुराने दुपहिया वाहन भी ऑनलाइन खरीदे जा रहे हैं।
इसलिए बढ़ रहा ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेजऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज जिले में लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह डिजीटल बैंकिंग, कंपिनयों की सेल व ऑफर, कोरोना काल में भीड़ से बचने की मानसिकता व घर बैठे समान मिलने की सुविधा है।
चुनिंदा कंपनियों पर ही भरोसा, बाकी से दूरीदेश में करीब पांच हजार से ज्यादा ई-कॉमर्स कंपनियां है। लेकिन, ज्यादतार लोग चुनिंदा कंपनियों से ही ऑनलाइन खरीददारी कर रहे हैं। जिनमें जिओ, अमेजोन, स्नेप डील, फ्लिपकार्ट, मीशो, बेवकूफ, पेटीएम सरीखी कंपनियों पर ज्यादा भरोसा जताया जा रहा है।
आसान खरीद पर नुकसान भीऑनलाइन खरीद नेट बेंकिंग व मोबाइल एप के जरिए ज्यादा आसान हो गई है। लेकिन, खरीद में कुछ परेशानियां भी ग्राहकों को उठानी पड़ रही है। मसलन कपड़ों के साइट्स पर दिखने व घर पहुंचने वाले रंग में अंतर मिलना, साइज में फिट नहीं बैठना, समान खराब या टूटा हुआ आ जाना। इसके अलावा मोबाइल या टीवी सरीखे इलेक्ट्रोनिक उत्पाद की खराबी पर स्थानीय सर्विस सेंटर उन्हें सुधारने से मना कर देते हैं। हालांकि बहुत सी ई कॉमर्स कंपनी समान वापस लौटाने या उसी कीमत का दूसरा समान खरीदने की सुविधा देती है। लेकिन, यह प्रक्रिया लंबी हो जाती है।
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