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कोरोना ने छीना रोजगार, मनरेगा ने नहीं बुझने दिया चूल्हा

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सीकर. कोरोना की दूसरी लहर में मनरेगा योजना श्रमिकों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। कोरोना की वजह से कई श्रमिक परिवार दूसरे राज्यों में भी काम धंधे प्रभावित होने की वजह से अपने गांव लौट आए। ऐसे में पिछले एक महीने में मनरेगा में काम मांगने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। सोमवार को प्रदेश के सभी जिलों में 23 लाख 18 हजार से अधिक श्रमिकों ने मनरेगा के जरिए रोजगार हासिल किया। हालांकि पिछले साल जून महीने में यह आंकड़ा 25 से 30 लाख को पार कर गया था। कोरोना की वजह से पिछले दो साल में प्रदेश के 21 से अधिक जिलों में पिछले दस सालों के रेकॉर्ड भी टूट चुके हैं। कई जिलों में श्रमिक खुद मांगने के लिए भी आगे आ रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश में सैकड़ों परिवार ऐसे भी है जिन्होंने पिछले तीन से पांच सालों में कभी काम मांगा ही नहीं। लेकिन कोरोना की वजह से बिगड़े आर्थिक समीकरणों में वह मनरेगा में रोजगार तलाश रहे हैं।
कहां कितने श्रमिक कार्यरत
जिला: श्रमिक
अजमेर: 103576अलवर: 45774
बांसवाड़ा: 280565बांरा: 72491
बाड़मेर: 146880भरतपुर: 34968
भीलवाड़ा: 98828बीकानेर: 52377
बूंदी: 37515चित्तौडगढ़: 78508
चूरू: 33485दौसा: 13803
धौलपुर: 13244डूंगरपुर: 201033
हनुमानगढ़: 25053जयपुर: 74088
जैसलमेर: 21129जालौर: 35161
झालावाड़: 139717झुंझुनूं: 17190
जोधपुर: 81874करौली: 27876
कोटा: 40873नागौर: 98214
पाली: 77746प्रतापगढ़: 100912
राजसमंद: 75020सवाईमाधोपुर: 22049
सीकर: 15055सिरोही: 57215
श्रीगंगानगर: 44257टोंक: 55499
उदयपुर: 96439
अभी भी 50 लाख से ज्यादा जॉब कार्ड कागजों मेंप्रदेश में अभी भी 50 लाख से अधिक जॉबकार्ड कागजों में है। इन्होंने पिछले कई सालों से काम की भी मांग नहीं की है। लेकिन मनरेगा की धारा की वजह से विभाग इनके जॉब कार्ड रद्द नहीं कर पा रहा है। कई परिवार तो ऐसे है जिन्होंने पहले जॉबकार्ड तो बनवा लिया लेकिन बाद में स्थिति बेहतर होने पर कभी काम पर गए नहीं।
श्रमिक बोले, मनरेगा ने ही बचाया
दिल्ली में पहले मजदूरी का काम करने वाले सुरेन्द्र ने बताया लॉकडाउन होते ही वह गांव सीकर आ गए। यहां गांव में और कोई काम मिला नहीं। ऐसे में मनरेगा के जरिए ही रोजगार हासिल किया। उन्होंने बताया कि कोरोना की पहली लहर के दौरान भी मनरेगा से सहारा मिला था।
कोरोना से मनरेगा का बढ़ा ग्राफकोरोना की पहली व दूसरी लहर में मनरेगा में श्रमिकों की संख्या बढ़ी है। सीकर जिले में भी आंकड़ा 15 हजार को पार कर गया है।
हरिराम, अधिशाषी अभियंता, मनरेगा, सीकर

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