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Aajkal Rajasthan Newsसीकर. शिक्षकों का प्रतिनियोजन गैर शैक्षणिक कार्यो में किया जाना मना है। शिक्षकों से शैक्षणिक दिवस एवं शैक्षणिक समय में गैर शैक्षणिक कार्य कराने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने भी राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को आदेश जारी कर शिक्षकों से किसी भी कीमत पर शैक्षणिक अवधि में गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिए जाने को कहा है। अब शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में भी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने की बात कही हैं। इसके बावजूद जिले के २०५९ बूथों पर बीएलओ के कार्यों में ८० प्रतिशत शिक्षक उलझे हुए हैं। जिससे पढ़ाई में व्यावधान उत्पन्न हो रहा हैं।

शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लेने का मामला सुप्रीम  कोर्ट तक इस तरह पहुंचा

शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 में भी शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लेने से मना किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2007 में सिविल अपील उक्त आदेश को पारित किया। भारत निर्वाचन आयोग की ओर से दायर मामले में विपक्षी संत मैरी स्कूल एवं अन्य के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उक्त आदेश पारित किया गया। चुनाव आयोग ने संत मैरी स्कूल सहित कई अन्य पक्षों पर चुनाव कार्य नहीं किए जाने पर स्कूल प्रबंधन एवं शिक्षकों पर कारवाई की अनुशंसा की। इसके विरोध में स्कूल प्रबंधन ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जहां विद्यालय प्रबंधन के निर्णय को सही ठहराते हुए कार्रवाई से राहत दी। उच्च न्यायालय की आेर से दिए गए फैसले के विरोध में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर स्कूल प्रबंधन एवं शिक्षकों पर कार्रवाई का आदेश पारित करने की मांग रखी। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित किया।

मौलिक अधिकार के तहत होगी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी भी तरह के चुनाव, जनगणना, स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों तथा आपदा में विद्यालय अवधि के दौरान शिक्षकों का प्रतिनियोजन नहीं किया जाए। विद्यालय उसी परिस्थिति में बंद होगा या शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लिया जाए जब तक विद्यालय स्वयं उक्त आपदा से प्रभावित नहीं हो। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा को व्यक्ति का मौलिक अधिकार बताते हुए इससे वंचित रखने वालों पर कारवाई की बात भी कही है। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने भी पत्र जारी कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा है। बावजूद उक्त आदेश का पालन नहीं हो रहा है।

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