सीकर. कोरोना के साए के बीच शादी समारोह भी सादगी से होने लगे हैं। लक्ष्मणगढ़ इलाके के खूड़ी बड़ी गांव के एक परिवार ने अपने दो बेटों की शादी को लेकर खूब तैयारी की। शादी में लगभग 1500 लोगों का खाना और अन्य तैयारियों पर लगभग 25 लाख का खर्चा होना था। लेकिन कोरोना के साए की वजह से दोनों बेटों की शादी सादगी से करनी पड़ी। परिवार ने चार लोगों की मौजूदगी में सामान्य तरीके से शादी करना तय किया। पूरा शादी समारोह महज 25 हजार रुपए में ही संपन्न हो गया।
खूड़ी निवासी प्रेम सिंह महरिया ने बताया कि आठ महीने पहले अपने दोनों बेटों की शादी तय की थी। लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि पूरा विश्व भयभीत है और ना ही कानूनी तौर पर इस प्रकार के समारोह एवं कार्यक्रम की इजाजत प्रशासन से मिल सकती है। ऐसे में दोनों वर-वधू जोड़ों को पंडित की उपस्थिति में अलग-अलग जगह चार-चार लोगों की उपस्थिति में फेरे की रस्म पूरी करवाई गई।सोशल मीडिया पर संदेशमहरिया ने बताया कि वैसे तो सभी के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है, लेकिन शादी वाले परिवारों के लिए और भी बड़ी चुनौती है। परिवार ने सभी प्रकार के कार्यक्रम रद्द कर दिए। सोशल मीडिया के जरिए सभी मेहमानों को इसकी जानकारी दी गई। मेहमानों को सूचित करते हुए कहा कि कोरोना वायरस महामारी के संभावित खतरे के मद्देनजर परिवार, समाज एवं राष्ट्रहित में शादी समारोह संक्षिप्त रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।पिता ने ऐसे की दोनों बेटों की शादीइस परिवार ने अपने घर से दोनों बेटों की अलग-अलग बारात की रस्म के लिए प्रशासन से अनुमति लेकर एक-एक निजी कार में भेजा। धारा 144 एवं लॉकडाउन का पालन करते हुए केवल चार-चार लोगों की उपस्थिति में सात फेरे लिए। किसी प्रकार का दहेज नहीं लिया और ना ही बैंड बाजे का उपयोग किया। शादी के भव्य आयोजनों को नकारते हुए सजावट तक नहीं की। बारात के लिए दूल्हे के पिता बड़े बेटे दिनेश के साथ अपने गांव खूड़ी बड़ी से ग्राम टिडियासर जिला चूरूगए और चंद्रकांता के साथ उसके फेरे होने के बाद छोटे बेटे कपिल को टिडियासर बुलाकर सुमन के साथ उसके फेरे की रस्म पूरी करवाई।गणगौर आजसीकर. सुहागिनों का पर्व गणगौर शुक्रवार को कोरोना के साए में मनाया जाएगा। शहर में 330 वर्ष में पहली बार गणगौर की शाही सवारी नहीं निकलेगी। यहां तक की ईशर और गणगौर की प्रतिमा को दर्शनार्थ भी नहीं रखा जाएगा। लोग अपने घरों में ही गणगौर की पूजा-अर्चना कर पर्व मनाएंगे। सिंजारा भी गुरुवार को घर में तैयार मिठाइयों से ही मनाया गया। इस बार 54वीं गणगौर मेले होना था। पिछले 330 वर्ष से गणगौर की सवारी निकाली जा रही है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि महिलाएं ईसर गणगौर की प्रतिमा के दर्शन भी नहीं कर पाएगी। कुछ लोगों ने गणगौर की छोटी प्रतिमा पहले ही मंगवा ली, लेकिन जो नहीं मंगवा सके, उन्होंने कागज पर ईसर गणगौर पेंटिंग बनाकर सिंजारा मना लिया।
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