बारिश की बूंदों के बीच आनंद लेने के साथ ही यदि सावधानी न बरती जाए तो जुकाम, खांसी, बुखार, वायरल व बैक्टीरियल इंफेक्शन और त्वचा संबंधी रोगों की आशंका बढ़ती है। व्यक्ति इन समस्याओं को सामान्य समझकर इलाज लेने के बजाय टालता रहता है व घरेलू नुस्खे अपनाता है। लेकिन नुस्खे यदि पुख्ता न हों तो शरीर पर दुष्प्रभाव छोड़ सकते हैं। विशेषज्ञ की राय से ही इलाज लें। आयुर्वेद के अनुसार पेट संबंधी परेशानी का कारण बासी भोजन और लंबे समय पहले कटा सलाद खाना भी है। ध्यान रखें कि इस मौसम में दिन में नींद लेने और जरूरत से ज्यादा व्यायाम करने से बचें।जलजनित रोगों का डर आमतौर पर गर्मी के मौसम में वातावरण में 10 -12 प्रतिशत तक नमी होती है लेकिन बारिश की शुरुआत होते ही ऊमस बढ़ने लगती है जिससे नमी की उपस्थिति 80 फीसदी तक हो जाती है। ऐसे में किटाणुओं की पैदावार बढ़ने से पहले से बीमार व्यक्ति की स्थिति बिगडऩे लगती है और जलजनित बीमारियां होने की आशंका रहती है। इसमें टायफॉइड, मलेरिया, दस्त, बच्चों में डायरिया आदि खासतौर पर शामिल हैं। वहीं दूषित खानपान भी अंदरुनी अंगों की कार्यप्रणाली के अलावा विशेषकर पेट पर असर करता है जिससे पाचनतंत्र की खराबी फूड प्वॉइजनिंग का कारण बनती है। बचाव के लिए ओरल ड्रॉप्स टायफॉइड से बचाव के लिए बच्चों और बुजुर्गों को ओरल डॉप्स दी जाती हैं। इम्युनिटी कमजोर होने से इन्हें तीन माह तक ये ड्रॉप्स दी जाती हैं जिनकी डोज विशेषज्ञ व्यक्ति की स्थिति देखकर तय करते हैं। वहीं युवाओं को टायफॉइड के टीके इंट्रामस्कुलर तरीके से लगाए जाते हैं।
आयुर्वेदिक उपाय हैं कारगर घीया, परवल, टिंडा, तुरई सब्जी के अलावा अन्य सब्जियों का सूप (दानामेथी का छौंक लगाकर) बनाकर पीएं। रोजाना सुबह गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीना फायदेमंद है। तुलसी के 10 पत्ते अदरक के टुकड़े संग पीसें और चुटकीभर पिसी कालीमिर्च मिलाकर चाटें। पाचन ठीक होगा। हरड़ काले नमक के साथ लें। नीम या फिटकरी उबले पानी से नहाएं, त्वचा रोगों में राहत मिलेगी। जोड़ों के दर्द में हल्दी, दानामेथी, अलसी बराबर मात्रा में लेकर इनकी एक चम्मच गुनगुने पानी से दिन में एक बार लें। दही पचने में भारी होता है, इस मौसम में न खाएं। खाना भी है तो सेंधा नमक, मूंग की दाल या आंवले के साथ खाएं। अजवाइन-दानामेथी सेंककर खाएं।
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