सीकर/रामगढ़ शेखावाटी. मजदूरी करने के लिए मुंबई गए पिता-पुत्र बम बलास्ट में बिछड़ गए। पुत्र वापस रामगढ़ शेखावाटी लौट आया। पिता मुंबई में ही भीख मांगने लगा। दोनों ने एक-दूसरे को मृत समझ लिया। अब बेटे को पिता के मरने की सूचना मिली। पिता ने भीख मांगकर बेटे के लिए साढे दस लाख रुपए इक_े कर छोड दिए। झुग्गी में सिक्के, रुपए व एफडी भी रखी मिली। सूचना मिलने के बाद बेटा मुंबई के लिए रवाना हो गया। ये कहानी है कि रामगढ़ शेखावाटी के रहने वाले बिरदीचंद की। वह 40 साल पहले मजदूरी करने के लिए मुंबई गया था। कुछ दिनों के बाद बेटा सुखदेव भी चला गया। 1993 में मुंबई में बम बलास्ट हो गया। दोनों एक-दूसरे से बिछड़ गए। दोनों ने एक-दूसरे को मरा हुआ समझ लिया। इसके बाद बेटा सुखदेव काफी परेशान होकर वापस सीकर में रामगढ शेखावाटी आ गया। पिता बिरदीचंद मुंबई में भीख मांग कर गुजारा करने लगा। रेलवे स्टेशन के पास ही झुग्गी बनाकर रहने लगा। इस दौरान इनके बीच में संपर्क भी नहीं हुआ। वह कभी लौट कर गांव नहीं आया।ट्रेन से कट कर हुई बिरदीचंद की मौत बिरदीचंद की ट्रेन के नीचे आने से मौत हो गई। पुलिस ने शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया। शव की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने झुग्गी को चैक किया। वहां पर कट्टे में सिक्के, रुपए रखे हुए मिले। वहां पर बेटे सुखदेव के नाम एफडी भी मिली। उसका नोमिनी बेटे को बना रखा था। उसके पास से अन्य दस्तावेज भी मिले। वहां से गांव का पता मिला तो मुंबई पुलिस ने सीकर पुलिस से संपर्क किया। तब उसके बेटे को सूचना मिली। बाप की मौत की सूचना मिलने पर बेटा मायूस हो गया। इसके बाद वह मुंबई के लिए रवाना हो गया। बिरदीचंद के परिवार के अन्य लोग भी रामगढ शेखावाटी में ही रहते है।
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