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कोरोना के फेर में प्रदेश के स्कूलों में गुम हुई अक्षय पेटी, अब सिर्फ ‘संकल्प’

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सीकर. कोरोना के फेर में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में भाजपा सरकार में लगी अक्षय पेटिकाओं से अब भामाशाहों के साथ ग्रामीणों ने सोशल डिस्टेंस बना लिया है। कोरोना की वजह से हुए बदलाव में अब भामाशाह व ग्रामीण दानदाता भी ज्ञान संकल्प पोटर्ल के जरिए दान में ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं। फिलहाल रोजाना ज्ञान संकल्प पोर्टल पर सरकारी स्कूलों को एक से सवा लाख रुपए का दान मिल रहा है। जबकि स्कूलों में लगी अक्षय पेटियों में इतना पैसा नहीं आ रहा है। कोराना से पहले दान पेटियों में पोटर्ल से ज्यादा पैसा आ रहा था। लेकिन सरकारी स्कूलों में दान की व्यवस्था भी पूरी तरह बदल दी है। लेकिन अब विद्यालयों में नामांकन का आंकड़ा बढऩे पर खुद शिक्षक भामाशाहों के जरिए संसाधन बढ़ाने में जुटे है।
यह भी योजना:प्रदेश के सरकारी स्कूलों में ग्रामीणों की जनभागीदारी बढ़ाने के लिए अक्षय पेटी योजना शुरू की थी। इसके तहत स्कूलों में होने वाले कार्यक्रमों में इस पेटी को रखा जाता, जिससे कोई भी व्यक्ति स्कूल के लिए गुप्त दान कर सके। इसके अलावा कई स्कूलों में प्रार्थना सभा में इसी पेटी को रखे जाने की नई पहल भी हुई थी। इस योजना के जरिए कई स्कूलों में भवन निर्माण, रंगाई-पुताई व फर्नीचर सहित कार्य भी हुए।
अक्षय पेटी से इसलिए सोशल डिस्टेंस-कोराना की वजह से सरकारी स्कूल कई महीनों तक शिक्षण कार्य प्रभावित रहा। इस वजह से भामाशाह स्कूलों तक नहीं पहुंच सके। एेसे में पेटी में दान की आदत भी गुम हुई।-कोरोना गाइडलाइन की वजह से स्कूलों में बड़े स्तर पर आयोजन भी नहीं हुए। इस कारण भामाशाहों का की स्वत: ही दूरी बन गई।-कोरोनाकाल में डिजिटल लेनदेन काइधर, शिक्षामंत्री का फरमान, विद्यालय विकास समितियों के जरिए मजबूत होगा तंत्रकोरोनाकाल में सरकारी स्कूलों में रेकार्ड तोड नामांकन बढऩे के बाद संसाधन जुटाना चुनौती बनी हुई है। शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला की ओर से विद्यालय विकास समितियों के जरिए शिक्षा तंत्र को और मजबूत करने के संकेत दिए है। मीडिया से बातचीत में शिक्षा मंत्री की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि ग्रामीणों का जुड़ाव बढ़ाने के लिए विद्यालय विकास समितियों को दुबारा से सक्रिय किया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने माना कि जिन स्कूलों में यह समिति सक्रिय है वहां काफी विकास कार्य भी हुए है। सभी समितियों को सक्रिय करने के लिए वर्चुअल बैठक सहित अन्य नई पहल भी की जाएगी।———————सहभागिता से नामांकन भी बढ़ेगा और संसाधन भीविद्यालयों में जनसहभागिता बेहद जरूरी है। जहां ग्रामीणों का जुड़ाव ज्यादा है वहां नामांकन भी काफी बढ़ा है। सरकार की ओर से अपने स्तर पर सरकारी स्कूलों में संसाधन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन इसमें ग्रामीणों का सहयोग भी आवश्यक है। कई जिलों में इस राशि से रोल मॉडल स्कूल भी बने है।महेन्द्र पाण्डे, महामंत्री, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक संघ——————–मिसाल: खूडी बड़ी में ३० लाख जुटाएज्ञान संकल्प पोटर्ल के जरिए संसाधन जुटाने में सीकर जिले की खूडी बड़ी स्कूल रोल मॉडल के तौर पर सामने आई है। पोर्टल के जरिए अब तक ३० लाख रुपए का दान मिल चुका है। जबकि अन्य भामाशाहों से अन्य योजनाओं में २४ लाख रुपए की राशि आई है।उपेन्द्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत

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