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दो मौत के बाद किरडोली ने दी कोरोना को मात, दिन में 16-16 बार नहाए नर्सिंगकर्मी

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सीकर. कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। कोरोना से जंग के लिए सतर्कता बड़ा हथियार है। यह साबित कर दिखाया है सीकर जिले के किरडोली गांव के ग्रामीणों ने। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गांव में दो मौत हो गई। जिससे सबक लेते हुए गांव ने सतर्कता को अपना हथियार बना लिया। गांव की सरपंच हसीना बानो, नर्सिंगकर्मी श्रवण कुमार व मकसूद खां किरडोली सहित अन्य की पहल पर गांव में बैठक बुलाई गई। फिर सबसे पहले पांच दिन का सम्पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया। लॉकडाउन के आखिरी दिन गांव की फिर बैठक हुई। इसमें तय हुआ कि गांव में सैम्पलिंग पर सबसे ज्यादा फोकस किया जाए। गांव के 175 से अधिक लक्षण वाले मरीजों की जांच कराई गई। अगले दिन रिपोर्ट आई तो 54 पॉजिटिव मिले। जिनके उपचार के साथ ग्रामीणों ने कोरेाना गाइडलाइन की सिरे से पालना की। जागरुकता के भी हर संभव प्रयास किए। और आलम ये है कि गांव पूरी तरह कोरोना फ्री हो गया।
गांव के हर व्यक्ति ने दिया चंदा, दो लाख से जुटाई दवा व उपकरणकोरोना को हराने के लिए पूरा गांव योद्धा की भूमिका में नजर आया। गांव के ज्यादातर लोगों ने 200 रुपए से अधिक की राशि इस जंग के लिए दी। इसके अलावा अन्य भामाशाहों का भी सहयोग मिला। इससे गांव में लगभग दो लाख रुपए की राशि एकत्रित हो गई। इस राशि से गांव में मेडिकल किट व दवाएं आदि जुटाए गए।संघर्ष: गांव का मेल नर्स श्रवण कई बार दिन में 16 बार नहायागांव के राजकीय अस्पताल में कार्यरत मेल नर्स श्रवण कुमार जांगिड़ ने कोरोना को हराने में महत्वपूर्ण रोल निभाया। लगातार मरीजों के सम्पर्क में आने की वजह से कई बार तो एक दिन में वह 16 बार नहाया था। पत्रिका से बातचीत में भावुक हुए जांगिड़ ने बताया कि जिदंगी में इन 15 दिनों को कभी नहीं भुला सकूंगा।गांव ने इन चार नवाचार से हराया कोरोना को:1. लॉकडाउन:गांव में सर्व सम्मति से पांच दिन का लॉकडाउन लगाया गया है। इससे संक्रमितों की चेन टूटने में मदद मिली। बिना काम घरों से बाहर कोई नहीं निकले। इसके लिए गांव में युवाओं के निगरानी दल बनाए गए। गांव के दौरान युवाओं ने मास्क व सोशल डिस्टेंस को लेकर लेकर भी बड़ी मुहिम छेड़ी। गांव की सभी गलियों को पैक कर दिया गया।2. सैम्पलिंग:गांव में लगातार सैम्पलिंग की गई। इससे मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचने से पहले ही उपचार मिल सका। ऐसे में लॉकडाउन के बाद ऐसा एक भी मरीज नहीं मिला जिसको सांवली रैफर करने की नौबत आई हो।3. मेडिकल किट:गांव के लोगों ने एकत्रित राशि से मेडिकल किट बनाए। गांव के नर्सिंगकर्मी व युवाओं की ओर से घर-घर मेडिकल किट बांटे गए। युवाओं की ओर से गंभीर मरीजों को पल्स ऑक्सीमीटर व थर्मामीटर भी उपलब्ध कराए गए।4. क्वॉरंटीन सेंटर:गांव के लोागों ने मरीजों के लिए आईसोलेशन व क्वॉरंटीन सेंटर भी शुरू किया। इसमें गांव के युवाओं की ओर से दूसरे शहरों से ऑक्सीजन मंगवाकर कर सप्लाई की गई।रियल हीरो:कोरोना को आसानी से हराया जा सकता है। इससे घबराए नहीं। लक्षण आने पर तत्काल जांच कराए। हमने भी गांव में हल्के लक्षण वाले मरीजों की जांच कराई। यही वजह है कि गांव में अब एक भी पॉजिटिव नहीं है। गांव के लोग खुद अपने दम पर सतर्कता बरत रहे है।
हसीना बानो, सरपंच, किरडोलीगांव में कई वर्षो से कार्यरत होने की वजह से हर परिवार के गंभीर मरीजों की पूरी जानकारी थी। पिछले एक महीने में 15 घंटे से अधिक सेवाएं दी। दवा वितरण से लेकर अन्य व्यवस्थाओं की कमान संभाली।श्रवण कुमार जांगिड़, नर्सिंगकर्मीगांव के जनप्रतिनिधि, युवा व चिकित्सा विभाग की टीमों के लगातार सम्पर्क में रही। खुद कई बार गांव जाकर व्यवस्थाओं को देखकर हौसला बढ़ाया। ग्रामीणों को शुरूआत से ही सैम्पलिंग पर ही फोकस करने के लिए समझाया। दूर-दराज की ढाणियों तक भी टीम भेजी। गांव के मॉडल बनने पर प्रस्ताव उच्च स्तर पर भिजवाया है।रजनी यादव, तहसीलदार, धोदअन्य गांव में भी करें ऐसे पहले तो हारेगा कोरोनाकिरडोली गांव के मॉडल से दूसरे गांवों को भी सीख लेनी चाहिए। यदि गांव व शहर मिलकर इसी तरह पहल करेंगे तो कोरोना हारेगा और सीकर

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