सीकर. केंद्र सरकार द्वारा विवादित कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के साथ जिले में भी संयुक्त किसान मोर्चा, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी सहित विभिन्न संगठनों में खुशी की लहर दौड़ गई। इसे किसानों की एकता व संघर्ष की जीत बताते हुए इन संगठनों ने आतिशबाजी कर जश्न मनाया। मिठाइयां भी बांटी। इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा कार्यकर्ताओं ने किसान संगठनों के कार्यालयों व 12 टोल बूथों पर जारी धरना स्थलों पर आतिशबाजी करते हुए आंदोलन को आगे भी जारी रखने की बात कही। प्रवक्ता बीएल मील ने बताया कि अगले 10 दिन तक किसानों के संघर्ष की जीत की खुशी मनाते हुए किसान संसद में इन बिलों की वापसी का प्रस्ताव नहीं होने तक दिल्ली व शाहजहांपुर खेड़ा सीमा पर डटे रहेंगे। उन्होंने बताया कि शाहजहांपुर खेड़ा अब किसान तपस्या स्थल बन गया है। जहां भारतीय किसान यूनियन(टिकैत) के प्रदेशाध्यक्ष राजाराम मील, अ.भा. किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम, प्रदेश अध्यक्ष पेमाराम, भारतीय किसान यूनियन राष्ट्रीय सचिव झाबर सिंह घोंसल्या, सीकर जिलाध्यक्ष दिनेश सिंह जाखड़, सीकर युवा इकाई अध्यक्ष नरेन्द्र धायल, उप प्रधान विकास मुंड, रामचंद्र खीचड़, सुरेंद्र छिल्लर, प्रिंस मुंड सहित कई किसान डटे हुए है।
कांग्रेस सेवादल ने चढ़ाया मंदिर में प्रसादकृषि कानून वापस लेने की पीएम मोदी की घोषणा के बाद कांग्रेस सेवादल ने गुड़ बांटकर तथा आतिशबाजी करते हुए जश्न मनाया। कार्यकर्ता ने गणेश जी के मन्दिर पंहुच कर प्रसाद चढ़ाया। जिलाध्यक्ष नरेन्द्र बाटड़ ने बताया कि पीएम मोदी की सद्बुद्धि के लिए मंदिर में प्रसाद चढ़ाया गया है। ताकि कृषि कानूनों की तरह गैस, पेट्रोल- डीजल की बढ़ी कीमतों को भी सरकार वापस ले ले। बाटड़ ने बताया की सेवादल कार्यकर्ताओं द्वारा जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में मंदिरो में प्रसाद चढ़ाकर गुड़ बांटे गए। इस दौरान राजेन्द्र सैनी, रविकांत तिवाड़ी, अंकुर बहड़ सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
किसान की ऐतिहासिक जीत : भावरिया
श्रीमाधोपुर. कृषि कानूनों को वापस लेने पर किसान महापंचायत के प्रदेश महामंत्री सुंदरलाल भावरिया ने भी खुशी जाहिर करते हुए इसे केंद्र सरकार की हार व किसानों की जीत बताया। कहा कि ये किसान के संघर्ष की जीत है। किसान पिछले 12 माह से लगातार सड़क से लेकर के संसद तक संघर्ष कर रहा था। किसानों के संघर्ष के आगे केंद्र कि भाजपा सरकार को मजबूर होकर झुकना पड़ा। किसान आंदोलन में अनेक किसानों ने अपना बलिदान दिया है। जिन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। कहा कि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को गारंटी कानून घोषित नहीं करती है तब तक किसान का आंदोलन जारी रहेगा।
कृषि कानून वापस लेने पर मंदिरों में चढ़े प्रसाद, बंटे गुड़, जमकर हुई आतिशबाजी
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