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पाली लोकसभा सीट सर्वे: जो प्रत्याशी पाली की पंचायती से पार पा लेगा वह दिल्ली का टिकट कटा लेगा।

आजकलराजस्थान /जोधपुर. मारवाड़ में सबसे प्रसिद्ध है पाली की पंचायती और चुनावी माहौल में यह चरम पर पहुंच जाती है। भीषण गर्मी में होने जा रहे इस चुनाव में कांग्रेस ने इस बार पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ को अपना प्रत्याशी बनाया है तो भाजपा ने केन्द्रीय विधि राज्य मंत्री पीपी चौधरी को एक बार फिर अवसर प्रदान किया है। दोनों के बीच इस बार जोरदार मुकाबला देखने को मिल रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि जो प्रत्याशी पाली की पंचायती से पार पा लेगा वह दिल्ली का टिकट कटा लेगा।असंतुष्टों का दबदबाचुनाव निकट आने के साथ पाली की पंचायती चौड़े आ जाती है। भाजपा और कांग्रेस दोनों को पार्टी के असंतुष्ट धड़ों को साधने में पसीना आ रहा है। पाली की राजनीति में असंतुष्टों के दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर नाराज हो इनमें से कई लोग पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनावी समर में कूद पड़े थे। पाली की आठों विधानसभा क्षेत्रों में ये असंतुष्ट कुल मिलाकर साढ़े तीन लाख से अधिक वोट हासिल कर दोनों पार्टियों के समीकरण गड़बड़ा चुके है। ऐसे में दोनों प्रत्याशी इन असंतुष्टों को साधने में लगे है। यहीं कारण है कि 29 अप्रैल को प्रस्तावित मतदान में महज चंद दिन शेष रहते अभी तक चुनाव प्रचार गति नहीं पकड़ पाया है।दब गए चुनावी मुद्देपाली शहर सहित पूरे जिले में पेयजल सबसे बड़ी समस्या है। गर्मी के दिनों में कई बार चार से पांच दिन से अंतराल से पेयजल वितरित होता है। साथ ही औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले तेजाबी पानी के कारण बंजर हो रही खेती की जमीन भी अहम मुद्दा है। लेकिन चुनावी चकलस में सारे मुद्दे गौण हो गए है।

ऐसा है पाली का चुनावी इतिहास

पाली लोकसभा क्षेत्र का गठन जोधपुर की 3 और पाली जिले की 5 विधासभा सीटों को मिलाकर किया गया है। आजादी के बाद इस सीट पर हुए कुछ 16 लोकसभा और 1 उपचुनाव में से 8 बार कांग्रेस, 6 बार बीजेपी, 1-1 बार स्वतंत्र पार्टी, भारतीय लोकदल और निर्दलीय का कब्जा रहा। वर्ष 1989 से भाजपा ने कांग्रेस के इस गढ़ में सेंध मार दी। उसके बाद से वर्ष 2009 में सिर्फ एक बार कांग्रेस को जीत मिल पाई। भाजपा के गुमानमल लोढ़ा यहां से लगातार तीन बार जीत हासिल कर रिकॉर्ड बना चुके है।

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इस प्रकार है जातीय समीकरण

राजस्थान का पाली जिला आरावली पर्वत श्रृंखला, नागौर, जोधपुर और पश्चिम जालोर घिरा हुआ है। पालीवाल ब्राह्मणों के नाम पड़े इस शहर पर मुगलों ने कई हमले किए और यह शहर कई बार उजड़ा और बसा। वर्तमान में पाली राजस्थान का औद्योगिक शहर है और यहां की आबादी मिश्रित है। यहां की प्रसिद्ध उम्मेद मिल के कारण इसकी अलग पहचान है। पाली लोकसभा क्षेत्र जाट, सीरवी, विश्नोई, राजपूत और अनुसूचित जाति-जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है। यहां के 22.36 लाख मतदाताओं में से 3.40 लाख जाट, 1.75 सीरवी, सवा लाख मुस्लिम, व छह लाख से कुछ अधिक अनुसूचित जाति-जनजाति के मतदाता है। इसके अलावा राजपूत, विश्नोई व मूल ओबीसी की प्रभावी उपस्थिति है। (नोट: जातीय संख्या अनुमानित है)

2014 मेंपीपी चौधरी की रिकॉर्ड जीतसाल 2014 के लोकसभा चुनाव में पाली संसदीय सीट पर 57.9 फीसदी मतदान हुआ था। जिसमें भाजपा को 65.0 फीसदी और कांग्रेस को 28.5 फीसदी वोट मिले। भाजपा के पीपी चौधरी ने कांग्रेस की मुन्नी देवी गोदारा को 3,99,039 मतों के रिकॉर्ड अंतर से पराजित किया। इस चुनाव में चौधरी को 7,11,772 और मुन्नी देवी को 3,12,733 वोट मिले थे। प्रदेश में चार माह पूर्व संपन्न विधानसभा चुनाव में पाली लोकसभा की आठ में से चार सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। जबकि दो सीट पर कांग्रेस व एक-एक पर रालोपा और निर्दलीय ने जीत हासिल की थी। मारवाड़ा जंक्शन से जीते निर्दलीय खुशवीर सिंह कांग्रेस का हाथ थाम चुके है।अब तक ये जीते पाली से1952 – अजीतसिंह – निर्दलीय1957 – हरीशचन्द्र माथुर- कांग्रेस1962 – जसवंत राज मेहता – कांग्रेस1967 – एसके तापड़ियां – स्वतंत्र1971 – मूलचंद डागा – कांग्रेस1977 – अमृत नाहटा – भारतीय लोकदल(जनता पार्टी)1980 – मूलचंद डागा – कांग्रेस1984 – मूलचंद डागा – कांग्रेस1989 – गुमानमल लोढ़ा – भाजपा1991 – गुमानमल लोढ़ा – भाजपा1996 – गुमानमल लोढ़ा – भाजपा1998 – मिठालाल जैन – कांग्रेस1999 – पुष्प जैन – भाजपा2004 – पुष्प जैन – भाजपा2009 – बद्रीराम जाखड़ – कांग्रेस2014 – पीपी चौधरी – भाजपा

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