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आप भी संभल कर रहें…पैंथर को अपनी टेरिटरि में नहीं मिला रहा शिकार, सब पर मार रहा झपट्टा!

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सीकर/नीमकाथाना. खतरनाक वन्यजीव पैंथर इन दिनों अपनी जद से बाहर आया हुआ है। अमूमन सीकर जिले में गणेश्वर के जंगलों तक ही सीमित रहने वाला पैंथर का कुनबा बालेश्वर से लेकर खूड़, दांतारामगढ़ क्षेत्र तक मूवमेंट कर रहा है। पिछले तीन दिन में ही पैंथर पहले अजीतगढ़ व बाद में सीकर के पास आबादी क्षेत्र से ट्रेंक्यूलाइज किया गया है। वन्य विशेषज्ञों के अनुसार पैंथर के आबादी क्षेत्र में आने की दो बड़ी वजह सामने आ रही हैं। पहली यह कि उनके क्षेत्र में इंसानों की चहलकदमी बढ़ गई है। दूसरा यह कि जंगल व पहाड़ों पर इस समय वन्यजीवों को भोजन और पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। लिहाजा पैंथर अपना क्षेत्र छोडकऱ आबादी क्षेत्र में सक्रिय है। जिले का 50 फीसदी वन क्षेत्र नीमकाथाना में मौजूद है। वन्य जीवों की आबादी के लिए एक से बढकऱ एक प्राकृतिक व मुफीद वन क्षेत्र हैं, लेकिन एक तो इस वन्य क्षेत्र को रिजर्व घोषित नहीं किया। दूसरा इसमें इंसानों का दखल बढ़ता जा रहा है। नतीजन पैंथर आबादी की ओर आ रहा है।हर तीसरे दिन दस्तक अभी हाल ही में गांव टोडा में पैंथर एक दर्जन से अधिक बार आबादी में घुसकर मवेशियों का शिकार कर चुका है। पैंथर आए दिन नीमकाथाना वन क्षेत्र से सटे गांवों में पहुंच रहा है। हर तीसरे दिन आबादी में पैंथर दस्तक दे रहा है। इससे ग्रामीणों में दहशत है। अजीतगढ़ व कुंडलपुर के आबादी में घुसकर पैंथर ने काफी आतंक मचाया। समय रहते वन विभाग ने इन हिसंक वन्य जीवों की तरफ ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले दिनों में स्थिति भयावह हो सकती है, क्योंकि क्षेत्र में हर वर्ष पैंथर की संख्या में इजाफा हो रहा है और विभाग वन्यजीवों के संरक्षण में नाकाम हो रहा है। संरक्षण के अभाव में हर साल वन्य जीवों की मौत हो रही है। 2 मई 2018 को पाटन में अज्ञात वाहन की टक्कर से और 31 मई 2019 को बालेश्वर में भीषण गर्मी के कारण पैंथर की मौत हो चुकी है।2016 के बाद सिर्फ फाइलों में रिजव…र्जिले के नीमकाथाना वन क्षेत्र को कंजर्वेशन बनाने के लिए वर्ष 2016 में फाइल बनाई गई थी। इसके अलावा ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव भी लिए गए थे, लेकिन विभाग की उदासीनता व राजनैतिक दबाव के कारण कंजर्वेशन घोषित नहीं हो सका। वन विभाग की माने तो पिछले दो साल में सीकर जिले में पैंथर का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस कारण वन विभाग भी मान रहा है कि पैंथर की संख्या जिले में चार दर्जन से ज्यादा है। नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर, पाटन, दांतारामगढ़ व हर्ष इलाके में पैंथर नजर आ रहे हैं। सीकर जिला मुख्यालय पर पहला रेस्क्यू राधाकिशनपुरा के मकान के बेसमेंट, दूसरा रेस्क्यू दांतारामगढ, तीसरा दूजोद, चौथा रींगस, पांचवा अजीतगढ और छठा रेस्क्यू कुंडलपुर गांव में किया गया है।[MORE_ADVERTISE1]

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