सीकर. नवरात्रि स्थापना के साथ शहर में मां दुर्गा महोत्सव रविवार से शुरू हुआ। घर से लेकर मंदिर तथा पांडालों से लेकर प्रतिष्ठानों तक में घट स्थापना हुई। मंत्रोच्चारण, आरती व मां जगदंबा के जयकारों की गूंज के बीच पहले दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया गया। इससे पहले सुबह शहर में जगह- जगह कलश यात्रा निकाली गई। पांडालों में भागवत कथा के साथ भजन – कीर्तन व सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का दौर देर रात तक चलता रहा। जिले का प्रसिद्ध जीणमाताजी का मेला भी पहले दिन परवान पर नजर आया, तो हर्ष स्थित हर्षनाथ भैरुंजी मंदिर में भी भाई हर्ष के साथ जीणमाता का विशेष पूजा महोत्सव शुरू हुआ। पंडित विजय पुजारी ने बताया कि पहले दिन मां जीण और हर्षभैरव के छप्पन भोग लगाया गया। भाई- बहन के दर्शनों के लिए दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। इस दौरान हर्ष भैरुं मंदिर को रंग बिरंगे गुब्बारों और विशेष फूलों से सजाया गया।पांडालों में आस्था के साथ उमड़ी उमंगनवरात्रि के साथ दुर्गा पूजा महोत्सव की धूम शहरभर में शुरू हो गई। इस दौरान सुभाष चौक में दुर्गा पूजा महोत्सव संत मोहनदास के सानिध्य में पूजा अर्चना के साथ शुरू हुआ। माधोगज मोहल्ले में चिमनजी के कुए से कलश यात्रा के बाद दुर्गापूजा चौक में सेवादास महाराज के सानिध्य में महोत्सव शुरू हुआ। यजमान कैलाश पारी रहे। रामलीला मैदान में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया और पूर्व विधायक रतनलाल जलधारी के अतिथ्य में दुर्गा पूजा शुरू हुई। सिटी डिस्पेंसरी नंबर दो के पास आन्जनेय समिति की ओर से आयोजित महोत्सव में घट स्थापना भानूप्रकाश पारीक की यजमानी में हुई। राधाकिशनपुरा में त्रिमूर्ति चौक से कलश यात्रा के बाद साईंबाबा मंदिर के पास दुर्गा पूजा शुरू हुई। सांवली में दुर्गा पूजा महोत्सव लक्ष्मीनारायण मंदिर से कलश यात्रा के बाद शुरू हुआ। शीतला चौक, डोलियों का बास, सैनी नगर, नायकान मोहल्ला सहित विभिन्न स्थानों पर भी दुर्गा पूजा महोत्सव शुरु हुए। सुबह शाम की आरती के साथ इस दौरान पांडालों में दोपहर में मंगलगीत और कथाएं हुई। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। सजे मंदिरों में दिनभर उमड़ी श्रद्धानवरात्र को लेकर दुर्गा मंदिरों में भी दिनभर की रौनक शुरू हो गई। बजाज रोड स्थित दधिमती माताजी मंदिर, सुभाष चौक स्थित राज राजेश्वरी मंदिर, डिपो में दुर्गा माता मंदिर और कैला देवी मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में दिनभर श्रद्धालु मां की पूजा आराधना के लिए पहुंचते रहे। नौ दिवसीय महोत्सव के लिए इस दौरान मंदिरों में विशेष साज-सज्जा भी की गई है।
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