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विश्व योग दिवस विशेष: योग से भगाया ह्रदय व केंसर रोग

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सीकर. योग रखे निरोग व योग भगाए रोग के नारे तो आपने खूब पढ़े- सुने होंगे। लेकिन आज हम आपको योग से जुड़े दो ऐसे केस बता रहे हैं, जिन्होंने इन नारों को ही सही साबित नहीं किया बल्कि, मेडिकल साइंस को भी अचरज में डाल दिया है। जी, हां पलथाना निवासी सेवानिवृत शिक्षक व योग गुरु केसर देव व शिक्षा विभाग से सहायक प्रशासनिक अधिकारी पद से सेवानिवृत हुए सुठोठ निवासी जगदीशप्रसाद पिलानियां ने योग से स्लिप डिस्क, ह्रदय रोग तथा केंसर जैसी असाध्य बीमारी को ठीक करने का दावा किया है। योग दिवस पर पेश है दोनों की कहानी उनकी ही जुबानी..।
योग से दी केंसर को मातमई 2018 में सेवा काल में ही मुझे गले में तकलीफ हुई। जयपुर के संतोकबा दुर्लभ अस्पताल में ऑपरेशन के बाद मुझे महावीर केंसर रैफर कर दिया गया। जहां गले में केंसर की पुष्टि के बाद मुझे 35 रेडियो थैरेपी दी गई। जिससे शरीर में काफी कमजोरी आ गई। मौत का डर भी सताने लगा। अस्पताल से छूटने के बाद मैं धोद बाईपास स्थित फार्म हाउस में आ गया। जहां मैंने बीमारी से लडऩे के लिए योग का सहारा लेना शुरू किया। शुरू में 15 मिनट से योग शुरू करते हुए मैंने उसे बढ़ाना शुरू कर दिया। साथ में घर पर बना एक आयुर्वेदिक काढा भी लेता रहा। योग का असर हुआ और धीरे धीरे में बिल्कुल स्वस्थ महसूस करने लगा। जांच रिपोर्ट भी बिल्कुल सही आने लगी। शुरुआती महीनों में बुलाने के बाद चिकित्सकों ने केंसर फ्री बताते हुए मुझे अब अस्पताल नहीं आने की सलाह दे दी है। सुबह पौने पांच बजे उठकर कपाल भांति, अनुलोम विलोम, भुजंगासान, शवासन, ताड़ासन, वृक्षासन सहित कई सूक्ष्म व्यायाम करना मेरी जिंदगी का अनिवार्य हिस्सा बन गया है।
पहले स्लिपडिस्क फिर ह्रदय रोग को दी मातमेरा पहले योग में विश्वास नहीं था। 2002 में स्लिपडिस्क से पीडि़त होने पर जब मुंबई में मेरा ऑपरेशन करवाना तय हो गया तो इसी बीच पत्नी ने जबरदस्ती टीवी के सामने बिठाकर योग करवाना शुरू किया। जिससे मेरे शरीर में धीरे धीरे सुधार होकर मैं पूरी तरह स्वस्थ हो गया। यहीं से मुझमें योग की लगन लगी और मैंने योग की कक्षाए भी शुरू कर दी। जिसके बाद शरीर में काफी सकारात्मक बदलाव महसूस हुए। लेकिन इसी बीच गरिष्ठ खानपान व परिवार में एक मौत के तनाव से अगस्त 2018 में मैं फिर ह्रदय रोग की चपेट में आ गया। जिसकी जयपुर के निजी अस्पताल में एंजियोग्राफी करवाने पर चिकित्सकों ने 90 प्रतिशत तक ब्लॉकेज बताकर ओपन हार्ट सर्जरी की सलाह दे दी। लेकिन, योग पर भरोसा होने के कारण मैं जबरदस्ती अस्पताल से छुट्टी लेकर आ गया और डॉ रविन्द्र धाभाई के सानिध्य में ह्रदय रोग निवारक योगाभ्यास बढ़ा दिए। जिसके परिणाम भाी मुझे जल्द ही मिल गए। 3 महीने 20 दिन बाद जयपुर में वापस जांच करवाने पर चिकित्सकों ने मेरी रिपोर्ट सामान्य बताई और इसे मेडिकल साइंस के लिए भी एक चमत्कार बताया।

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