सीकर. भारतीय पुनर्वास परिषद के एक आदेश ने कोरोनाकाल में बेरोजगारों की मुसीबत बढ़ा दी है। परिषद की ओर से अप्रेल-मई में सीआरई (सतत एवं व्यापक मूल्यांकन) के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया गया था। बेरोजगारों ने भी ऑनलाइन प्रशिक्षण का फायदा उठाते हुए उत्साह से भाग लिया। उस दौरान परिषद की ओर से किसी तरह की फीस का उल्लेख नहीं किया गया था। अब पांच महीने बाद परिषद ने बेरोजगारों से 500 रुपए ऑनलाइन जमा कराने की बात कही जा रही है। यह फीस जमा करवाने के बाद ही सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के 50 अंक देने का फरमान जारी किया है। जिससे अभ्यर्थियों की परेशानी बढ़ गई है।
एक लाख अभ्यर्थी प्रभावित, आक्रोशभारतीय पुनर्वास परिषद के इस फैसले से देशभर के एक लाख से अधिक अभ्यर्थियों की मुसीबत बढ़ गई है। उनमें इस नियम को लेकर आक्रोश भी है। अभ्यर्थियों का कहना है कि ऑनलाइन प्रशिक्षण के समय ही भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा फीस की जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए थी। ताकि स्थिति स्पष्ट होने पर पहले ही अभ्यर्थी पाठ्यक्रम करने व नहीं करने का फैसला सोच समझ कर करता। लेकिन, कोर्स के बाद भारतीय पुनर्वास परिषद का यह फैसला अभ्यर्थियों के साथ धोखा है। अभ्यर्थियों का ये भी कहना है कि कई संस्थाओं की ओर से इससे कम फीस में भी इतने अंक की सीआरई कराई जा रही है। बेरोजगारों का कहना है कि ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का लिंक डब्ल्यूएचओ की ओर से उपलब्ध कराया गया था। ऐसे में अब परिषद की ओर से प्रशिक्षण के अंक जोडऩे के नाम पर राशि लेना गलत है। इस संबंध में बेरोजगार अभ्यर्थियों की ओर से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधिकारियों को भी पत्र लिखा गया है।
इसलिए जरूरी है सीआरईदेशभर के विशेष शिक्षकों का पुनर्वास परिषद में हर पांच साल के लिए पंजीयन किया जाता है। नवीनीकरण के लिए पांच साल के दौरान 100 अंकों की सीआरई आवश्यक होती है। निशुल्क सीआरई समझते हुए इसी वर्ष अप्रेल-मई में बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण ले लिया था।
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